UP प्रशासन ने जनता के आक्रोश को बता दिया 'दंगाई साजिश', क्या ये योगी सरकार की नकामी को छुपाने का है प्रयास?

उत्तरप्रदेश सरकार ने अलग-अलग थानों में विपक्षी पार्टियों के खिलाफ राज्य में दंगा भड़काने के आरोप में 24 FIR दर्ज कर लीं हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का आरोप है कि सरकार के प्रति द्वेष पैदा करने के लिए गहरी "साजिश" रची गई है। जबकि लोगो और विपक्ष को सरकार की हाइपोथिसिस समझ नहीं आ रही है।

Update: 2020-10-06 06:39 GMT

नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश सरकार ने अलग-अलग थानों में विपक्षी पार्टियों के खिलाफ राज्य में दंगा भड़काने के आरोप में 24 FIR दर्ज कर लीं हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का आरोप है कि सरकार के प्रति द्वेष पैदा करने के लिए गहरी "साजिश" रची गई है। जबकि लोगो और विपक्ष को सरकार की हाइपोथिसिस समझ नहीं आ रही है। जिसके बाद अब विपक्ष ने सरकार से कुछ सवाल पूँछा है?

क्या ये विपक्ष की साजिश थी कि घटना के बाद FIR दर्ज कराने थाने आई बच्ची को पुलिस अस्पताल भी न ले जाया जाए?

क्या ये विपक्ष की साजिश थी कि दुष्कर्म की घटना को केवल हत्या के प्रयास की धारा में बदल दिया जाए?

क्या विपक्ष के कहने पर दुष्कर्म के आरोपियों को दो-दो दिन हिरासत में लेकर छोड़ दिया गया?

क्या विपक्ष के कहने पर ही बच्ची को एम्स में भर्ती करने की बजाय 12 दिन तक स्थानीय अस्पताल में ही रखा गया?

क्या विपक्ष के कहने पर ही बच्ची को रात में जला दिया गया?

क्या राहुल गांधी के कहने पर ही पीड़ित परिवार के फोन छीन लिए थे?

क्या चन्द्रशेखर आजाद के कहने पर हाथरस डीएम ने बच्ची के ताऊ की छाती पर लात मारी थी?

क्या अखिलेश यादव के कहने पर मीडिया कवरेज रोकने का प्रयास किया गया था?

क्या जयंत चौधरी(लोकदल) के कहने पर ही "बलात्कार नहीं हुआ है" जैसी अफवाह पुलिस द्वारा फैलाई गई?

क्या विपक्ष के कहने पर ही मीडिया को रोका गया और सवर्ण पंचायतें होने दीं? उनपर कोई महामारी एक्ट क्यों नहीं?

आप क्या सोचते हैं इतना बेशर्मी भरा रवैया होने के बाद भी जनता चुप रहती?

शर्म करिएउत्तरप्रदेश सरकार, कम से कम बच्ची के साथ हुए अत्याचारों पर तो अपनी धूर्तता भरी राजनीति मत करिए। बच्ची को न्याय नहीं दे सकते तो चुप रहिए, माफी मांग लीजिए। ये क्या हद्द बेशर्मी पर उतर आए हैं।

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