गुजरात राज्यसभा चुनाव: मतदान के बाद चली गई एक चाल की जीत गए अहमद पटेल, वरना एक वोट से होती हार

Update: 2017-08-09 03:04 GMT

कांग्रेस और बीजेपी के लिए गुजरात के राज्य सभा की तीन सीटों का चुनाव नाक की लड़ाई बन चुके थे। दांव पर वरिष्ठ कांग्रेसी और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की कुर्सी थी। राज्य सभा चुनाव की घोषणा के साथ ही गुजरात में भारी उठापटक शुरू हो गई थी। आधा दर्जन कांग्रेसी विधायक बीजेपी के पाले में चले गए। कांग्रेस को अपने 44 विधायकों को लेकर कर्नाटक जाना पड़ा और वो चुनाव से एक दिन पहले ही गृह राज्य वापस लौट पाए। मंगलवार (आठ अगस्त) को चुनाव के दिन भी उलटफेर जारी रहा। लेकिन अहमद पटेल आखिरकार चुनाव जीतने में सफल रहे। चुनाव नतीजों से जाहिर है कि लड़ाई कांटे की थी।


अहमद पटेल बाल-बाल ही हारने से बचे। अहमद पटेल ने चुनाव जीतने के बाद ट्विटर पर "सत्यमेव जयते" लिखा। अहमद पटेल चुनाव हार गए होते अगर चुनाव आयोग ने कांग्रेस की गुजरात के दो विधायकों के वोट को रद्द करने की मांग को स्वीकार न किया होता। कांग्रेस ने दावा किया था कि दो बागी कांग्रेसी विधायकों ने अपना वोट बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को दिखा दिया था। चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दावे को स्वीकार कर लिया। इस तरह कांग्रेस के इस एक फैसले से अहमद पटेल की जीत संभव हो पाई। मंगलवार को गुजरात के 182 में से 176 विधायकों ने वोट दिया। दो विधायकों के वोट अवैध घोषित हो जाने के बाद अंतिम मुकाबला 174 वोटों के आधार पर हुआ। यानी अब जीत के लिए पहले के 45 की जगह केवल 44 विधायकों के वोट की जरूरत रह गई।


अहमद पटेल को ठीक 44 वोट ही मिले।कांग्रेस के गुजरात में कुल 51 विधायक हैं लेकिन इनमें से 44 विधायक ही कर्नाटक के रिसॉर्ट गए थे। कांग्रेस को उम्मीद थी कि ये सभी विधायक उसे वोट देंगे लेकिन इनमें से केवल 43 विधायकों ने ही अहमद पटेल को वोट दिया। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि किस एक अन्य विधायक ने अहमद पटेल को वोट दिया जिससे उनकी जीत हो पाई। पटले को जनता दल (यू) के एकमात्र विधायक छोटूभाई वासवा और शरद पवार की एनसीपी के दो विधायकों के समर्थन की उम्मीद थी।बहरहाल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी 46-46 वोट पाकर चुनाव जीते। अमित शाह पहली बार संसद के किसी सदन के सदस्य बनेंगे।


तीसरी सीट पर बीजेपी ने पूर्व कांग्रेसी बलवंत सिंह राजपूत को उतारा था जो चुनाव हार गए। राजपूत पूर्व कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला के रिश्तेदार हैं। हाल ही में कांग्रेस छोड़ने वाले वाघेला ने मतदान के बाद ही कहा था कि उन्होंने अहमद पटेल को वोट नहीं दिया है इसलिए वो चुनाव हार जाएंगे। लेकिन उनकी बात गलत साबित हुई। गुजरात में इस साल के अंत में विधान सभा चुनाव होने हैं। ऐसे में देश की शीर्ष दो पार्टियों के बीच की ये जंग जल्द खत्म नहीं होने वाली।

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