बिहार की सियासत में अचानक बदले समीकरणों से जद(यू) के ही कुछ नेता असमंजस में फँस गए हैं। वरिष्ठ नेता शरद यादव से लेकर अली अनवर तक पार्टी आलाकमान से खासे नाराज हैं, भले ही उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जगजाहिर ना की हो, लेकिन उनकी चुप्पी ही बगावत के सुर बुलंद कर रही है। नीतीश के खिलाफ पार्टी में विरोधी सुर ना केवल बिहार से उठ रहे हैं बल्कि देश के 20 राज्यों में इसकी गूँज सुनाई दे रही है। बिहार में महागठबंधन तोड़कर, नीतीश ने चंद घंटों में भले ही नई सरकार बना ली हो, लेकिन इससे जद(यू) टूट की कगार पर जरुर आ गई है।
आलम ये है, कि देश के 20 राज्यों में जद(यू) नेता पार्टी के मुखिया के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार करने को तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए 20 राज्यों के नेता नीतीश को पत्र लिखेंगे। नीतीश से खफा नेताओं का कहना है, कि नीतीश 2013 में जिस तरह राजग गठबंधन से जल्दबाजी में अलग हुए थे, उसी तरह इस बार शामिल हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ कहा ये भी जा रहा है कि 19 अगस्त को पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है, जिसमें पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर करेंगे। जदयू के एक सूत्र ने बताया कि शरद यादव बीजेपी के साथ गठजोड़ के पूरी तरह खिलाफ थे।
शरद यादव ने तेजी से बदले घटनाक्रम पर अभी तक सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है, लेकिन जदयू समेत कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। शरद यादव मध्य प्रदेश, गुजरात और केरल के जदयू नेताओं से भी मिले हैं। कहा जा रहा है कि शरद ने इन नेताओं से कहा है कि... उन्हें इस फैसले से काफी तकलीफ है क्योंकि नीतीश ने ये फैसला ऐसे समय में लिया है जब विपक्षी एकता की सबसे ज्यादा जरूरत थी। शरद यादव के आवास पर उनसे मिलने वालों में सीपीआई नेता डी राजा और रालोद प्रमुख अजीत सिंह शामिल थे। लालू यादव के रिश्तेदार और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने भी शरद से बात की है। लालू यादव ने भी शरद यादव से साथ आने की अपील की है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी शरद यादव से बात की है.