बिहार में सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) दो फाड़ हो सकती है। महागठबंधन से अलग होने के बाद से ही जदयू में भीतरी तनातनी बरकरार है। पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले पूर्व अध्यक्ष शरद यादव पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खफा चल रहे हैं। शरद यादव आज (10 अगस्त) से बिहार के सात जिलों की तीन दिवसीय संवाद यात्रा पर निकले हैं। माना जा रहा है कि शरद यादव इस दौरान अपने समर्थकों से आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे।
आशंका जताई जा रही है कि शरद यादव गुट 19 अगस्त को पटना में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार को पार्टी अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर सकता है। शरद यादव के समर्थक और पार्टी के पूर्व महासचिव अरुण श्रीवास्तव ने एचटी मीडिया को बताया कि नीतीश कुमार द्वारा अचानक महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाना 2015 के विधान सभा चुनावों में मिले जनादेश का अपमान है। श्रीवास्तव ने कहा कि देशभर के 12 राज्यों के पार्टी अध्यक्षों ने हाल ही में शरद यादव से मुलाकात की थी और इस फैसले का पार्टी फोरम पर विरोध करने को कहा था।
श्रीवास्तव ने कहा कि नीतीश कुमार को पार्टी से निकालने के लिए कानूनी और संवैधानिक पहलुओं पर विचार कर रहे हैं।बता दें कि दो दिन पहले ही (मंगलवार, 08 अगस्त को) नीतीश कुमार ने अरुण श्रीवास्तव को महासचिव पद से हटाया है। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। गुजरात राज्य सभा चुनाव में जदयू के एकमात्र विधायक छोटू भाई वसावा ने पार्टी लाइन से हटकर कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट किया था, इसी वजह से पटेल की जीत हो सकी थी। इससे खफा पार्टी नेतृत्व ने पार्टी महासचिव अरुण श्रीवास्तव को यह कहते हुए पद से हटा दिया था कि उन्होंने पार्टी के फैसले से विधायक को सही तरीके से अवगत नहीं कराया।