बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के दौरे पर आए मध्यप्रदेश कांग्रेस की चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि, "इस समय देश में एक ऐसी सरकार है, जिसने तानाशाही वाले तरीके से एक गैर लोकतांत्रिक फैसला कर नोटबंदी का ऐलान कर दिया, इसके चलते इस देश की अर्थव्यवस्था के इंजन से तेल ही निकाल लिया गया। नोटबंदी के लागू होने के बाद लोगों को अपनी ही रकम हासिल करने के लिए कई हफ्तों तक लाइन में लगना पड़ा और इसमें 125 लोगों की जान तक चली गई। जान गंवाने वालों के लिए प्रधानमंत्री के मुंह से संवेदना के दो शब्द तक नहीं निकले।"सिंधिया ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने देश से 50 दिन का समय मांगते हुए कहा था कि अगर इस अवधि में हालात न सुधरें तो देश की जनता उन्हें जो चाहे, जिस चौराहे पर चाहे बुलाकर सजा दे, अब मोदीजी स्वयं बताएं कि देश की जनता उन्हें किस चौराहे पर सजा दे।''
''नोटबंदी के समय सरकार की ओर से किए गए दावों का जिक्र करते हुए सांसद ने कहा, "प्रधानमंत्री का दावा था कि तीन लाख करोड़ से ज्यादा की रकम वापस नहीं आएगी, मगर 99.30 प्रतिशत रकम बैंकों में वापस आ चुकी है, इसके अलावा भारत की मुद्रा भूटान, नेपाल आदि देशों में चलती है और उसका ब्यौरा आना अभी बाकी है। सरकार के सारे दावे फेल हुए हैं। गरीब जनता को नाहक परेशानी का सामना करना पड़ा। माताओं-बहनों ने आड़े वक्त में काम आने के लिए जो पैसे रखे थे, उन्हें मजबूरन वे पैसे निकालने पड़े। बच्चों को अपने गुल्लक तक फोड़ने पड़े। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। इतनी तबाही का उन्हें आखिर फायदा क्या मिला? सरकार अब इस पर चुप है।"
सिंधिया ने आगे कहा कि नोटबंदी के समय कालाधन, आतंकवाद और जाली नोट की समस्या का खात्मा हो जाने का दावा किया गया था, मगर हुआ क्या यह भी तो सरकार बताए। कालाधन कहां गया, आतंकवाद बंद हुआ क्या? जाली नोटों पर रोक लगी क्या? एटीएम ही जाली नोट उगलने लगी। एक झटके में 86 प्रतिशत मुद्रा को चलन से बाहर कर देने का फैसला देशहित में बिल्कुल नहीं था। यह देश के साथ सरासर अन्याय था और देश की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा था। देश में सरकार और उसकी पार्टी की विचारधारा से असहमति जताने वालों पर हो रहे हमलों के सवाल पर सिंधिया ने कहा, "पहले तो यह दल सिर्फ कांग्रेस पर ही हमला करता था, मगर अब हर वर्ग उसके निशाने पर पर हैं।
सहयोगी दल चाहे शिवसेना हो, टीडीपी हो या अन्य सभी का इस दल ने बुरा हाल कर रखा है। लेखक, साहित्यकार और अब तो पत्रकार भी इस दल के जुल्मों से अछूते नहीं हैं। देश में इस समय ऐसी सरकार है, जो किसी भी असहमति से सहमति नहीं रखती।"मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव और गठबंधन की संभावनाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर सिंधिया ने कहा, "गठबंधन सीटों की संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि विचारधारा के आधार पर होगा, जो भी दल अपने को कांग्रेस की विचारधारा के करीब पाते हैं, उन सभी दलों से गठबंधन किया जाएगा। आगामी चुनाव में बीजेपी की हार तय है, प्रदेश का हर वर्ग इस सरकार से परेशान है और वह हर हाल में बदलाव के लिए तैयार है।"