बड़ी खबर: देश को अमीरों के हाथों बेच रही है मोदी सरकार! रेलवे के बाद 15 हवाई अड्डे बेचने की तैयारी

Update: 2018-04-25 14:59 GMT

मोदी सरकार पूरी तरह देश को निजी कंपनियों के हाथों में सौप आम आदमी की कमर तोड़ने पर उतारू है। अमर उजाला की खबर के मुताबिक, सरकार देश के 15 हवाई अड्डों को निजी कंपनियों को देने जा रही है। जबकि इससे पहले देश के चार बड़े हवाई अड्डों पर से सरकार का नियंत्रण पूरी तरह से खत्म हो चुका है। अभी भी देश के चार बड़े एयरपोर्ट्स का ऑपरेंशन पूरी तरह से निजी हाथों में है। यह एयरपोर्ट हैं दिल्ली, मुंबई, बंगलूरू और हैदराबाद।जिन एयरपोर्ट्स को बेचा जाएगा उनमें अहमदाबाद, चेन्नई, जयपुर, कोलकाता और लखनऊ शामिल हैं। इससे पहले भी सरकार ने जयपुर और अहमदाबाद के एयरपोर्ट का मैनेजमेंट निजी हाथों में देने की बात कही थी, लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो सकी, क्योंकि कोई भी कंपनी बोली शामिल नहीं हुई।



पीएमओ ने डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स और नीति आयोग को निर्देश दिया है कि वो एक प्लान को तैयार करें जिससे देश के अधिकांश एयरपोर्ट को निजी हाथों में बेचा सके। इसके लिए नागर विमानन मंत्रालय को भी मदद करने के लिए कहा गया है। किसी भी सरकारी कंपनी या संपत्ति के निजीकरण के पीछे तर्क दिया जाता है कि ये मुनाफा नहीं कमा रही है। वैसे तो ये तर्क भी विवादास्पद है। लेकिन सरकार जिन हवाई अड्डों का निजीकरण कर रही है वो सभी मुनाफा कमा रहे हैं। ये सभी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के स्वामित्व में चल रहे हैं।  बता दें, कि मोदी सरकार पर लगातार देश की सरकारी संपत्ति को निजी कंपनियों को बेंच उद्योगपतियों को मुनाफा कमाने के आरोप लग रहे हैं।



2017 में मोदी सरकार देश की 1.25 लाख करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति वाली सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में बेच चुकी है।  हाल ही में देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी ओएनजीसी का भी निजीकरण करने का फैसला लिया गया है, जबकि इसका सालाना कारोबारी लाभ लगभग 20 हज़ार करोड़ का है। जो देश की सरकारी कंपनियों में सबसे ज़्यादा है। लगातार हो रहे निजीकरण का असर जनता के जेब पर पड़ेगा। ये सभी सरकारी यानि देश की संपत्तियां हैं। इनका प्रयोग आम जनता करती है। निजी कम्पनियाँ मुनाफे की होड़ में इनके उत्पादों और सेवाओं को महंगा करेंगी। जिसका भुगतान जनता भरेगी।

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