कर्ज में डूबा देश का किसान सैकड़ों मील नंगे पांव चल कर सरकारों से राहत की प्रार्थना लेकर आता है, राहत न मिलने पर धरना देते हैं, पुलिस की लाठी खाते हैं, आंदोलन करते हैं और जब इन सब से भी बात न बने तो आखिरी उपाय के तौर पर आत्महत्या कर लेते हैं। लेकिन उसकी मौत भी उसके साहुकारों को खून चूसने से नहीं रोक पाती। इस देश का दुर्भाग्य है कि 'जय जवान, जय किसान' का नारा बोलकर आजके नेता अपनी अपनी सरकारें तो बना लेते हैं लेकिन हकीकत यह है कि आज देश का न जवान खुश है और न ही किसान। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा के अंदर किसान कर्ज़ माफी और उद्योग टैक्स माफी से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की जिसमें मोदी सरकार किसानों के कर्ज़ से ज्यादा उद्योगपतियों के बकाया टैक्स माफ करती है। इस बात से यह साफ हो गया कि सरकार की प्राथमिकता में केवल उद्योगपति ही आते हैं। किसानों की उसे कोई परवाह नहीं।रिपोर्ट के मुताबिक देश के किसानों पर करीब 12 लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज है जिस पर मोदी सरकार ने अभी तक किसानों को किसी तरह की राहत नहीं दी है। किसान राज्य सरकारों से कर्ज माफी की मांग करते हैं।
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वहीं, उद्योगपतियों का 17 लाख करोड़ से ज्यादा बकाया टैक्स मोदी सरकार माफ कर चुकी है। राज्य सरकारें केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर बात करती है। लेकिन मोदी सरकार हर बार राज्य सरकारों को यह बोल कर मुद्दे को टाल देती है कि यह राज्य सरकार का मामला है। यानी चुनावी रैलियों में दर्जनों राज्य का दौरा कर किसानों को अपना साथी बताने वाले पीएम मोदी को केवल किसानों के वोटों से ही मतलब है। बाकि का ज़िम्मा राज्य सरकार का है जो कि कभी पूरा नहीं हो सकता।