मोदी, योगी के बढ़ते राजनीतिक कद से भयभीत, दिल्ली नगर निगम चुनाव से किया दूर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बढ़ते राजनीतिक कद से भाजपा नेतृत्व भयभीत होता दिख रहा है। इसके चलते ही अंतिम समय में योगी को दिल्ली नगर निगमचुनाव प्रचार से दूर किया गया है।
पार्टी ने तय किया है कि अब दिल्ली में भाजपा शासित राज्यों का कोई मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया जाएगा। योगी की 19 और 20 अप्रैल को तीन सभाएं और रोड शो तय थे। चुनाव अभियान की पूरी कमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हाथों में थी। चुनाव अभियान की शुरुआत 25 मार्च को रामलीला मैदान में शाह की जनसभा से हुई थी।
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद चार राज्यों में भाजपा की सरकारें बनीं लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही सुर्खियों में छाए रहे। उनके हर कार्यक्रम और घोषणाओं को मीडिया ने हाथों हाथ लिया। योगी का बढ़ती लोकप्रियता से विरोधी दलों से अधिक भाजपा के ही नेता भयभीत हो रहे हैं।
भाजपा दिल्ली तीनों नगर निगमों में दस साल से काबिज है। सत्ता में होने से चुनाव में होने वाले नुकसान को खत्म करने के लिए अमित शाह ने सारे मौजूदा पार्षदों के टिकट काट दिए।
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चुनाव की घोषणा से पहले बिहार मूल के भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली का अध्यक्ष बना दिया। भाजपा पूर्वांचल के प्रवासियों (बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि) में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए ऐसा किया गया। फिर शाह ने अपने विश्वासपात्र केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, निर्मला सीतारमण और संजीव बालियान को दिल्ली चुना की बागड़ोर सौंप दी।
कुछ ही दिनों में पार्टी उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे को श्याम जाजू के साथ दिल्ली का प्रभारी बना दिया। सारे केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के नौ मुख्यमंत्रियों को दिल्ली चुनाव में लगाना तय किया गया। लगातार गर्मी बढ़ने से सभाएं होनी कठिन होने लगी लेकिन पार्टी प्रमुख के आदेश के पालन में वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह आदि बड़े नेताओं ने छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित किया। मनोज तिवारी, हेमा मालिनी, रवि किशन, परेश रावल जैसे लोकप्रिय कलाकारों ने रोड शो किए। दिल्ली के सभा नेता तो पसीना बहा ही रहे हैं।
आदित्यनाथ के कार्यक्रम अंतिम समय में रद्द कर दिए गए। फिर दिखाने के लिए बाकी मुख्यमंत्रियों के कार्यक्रम भी यह कह कर रद्द कर दिया गया कि इसकी जरूरत नहीं है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि ऐसा योगी का बढ़ती लोकप्रियता के चलते हुआ। माना जा रहा था कि जितने समय योगी दिल्ली चुनाव प्रचार में रहेंगे उतनी देर मीडिया योगी-यागी करती रहेगी। बाद में जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से अधिक योगी आदित्यनाथ के सिर बांध देगी।
ऐसा वातावरण बनता कि भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका योगी की है जबकि चुनाव की पूरी रणनीति अमित शाह ने बनाई। वे लगातार उसे संचालित कर रहे हैं। चुनाव अभियान की खुद शुरुआत की। उनको करीब से जानने वाले मानते हैं कि वे आसानी से प्रधानमंत्री के अलावा किसी और को जीत का श्रेय नहीं दे सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बढ़ते राजनीतिक कद से भाजपा नेतृत्व भयभीत होता दिख रहा है। इसके चलते ही अंतिम समय में योगी को दिल्ली नगर निगमचुनाव प्रचार से दूर किया गया है।
पार्टी ने तय किया है कि अब दिल्ली में भाजपा शासित राज्यों का कोई मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया जाएगा। योगी की 19 और 20 अप्रैल को तीन सभाएं और रोड शो तय थे। चुनाव अभियान की पूरी कमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हाथों में थी। चुनाव अभियान की शुरुआत 25 मार्च को रामलीला मैदान में शाह की जनसभा से हुई थी।
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद चार राज्यों में भाजपा की सरकारें बनीं लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही सुर्खियों में छाए रहे। उनके हर कार्यक्रम और घोषणाओं को मीडिया ने हाथों हाथ लिया। योगी का बढ़ती लोकप्रियता से विरोधी दलों से अधिक भाजपा के ही नेता भयभीत हो रहे हैं।
भाजपा दिल्ली तीनों नगर निगमों में दस साल से काबिज है। सत्ता में होने से चुनाव में होने वाले नुकसान को खत्म करने के लिए अमित शाह ने सारे मौजूदा पार्षदों के टिकट काट दिए।
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चुनाव की घोषणा से पहले बिहार मूल के भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली का अध्यक्ष बना दिया। भाजपा पूर्वांचल के प्रवासियों (बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि) में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए ऐसा किया गया। फिर शाह ने अपने विश्वासपात्र केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, निर्मला सीतारमण और संजीव बालियान को दिल्ली चुना की बागड़ोर सौंप दी।
कुछ ही दिनों में पार्टी उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे को श्याम जाजू के साथ दिल्ली का प्रभारी बना दिया। सारे केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के नौ मुख्यमंत्रियों को दिल्ली चुनाव में लगाना तय किया गया। लगातार गर्मी बढ़ने से सभाएं होनी कठिन होने लगी लेकिन पार्टी प्रमुख के आदेश के पालन में वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह आदि बड़े नेताओं ने छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित किया। मनोज तिवारी, हेमा मालिनी, रवि किशन, परेश रावल जैसे लोकप्रिय कलाकारों ने रोड शो किए। दिल्ली के सभा नेता तो पसीना बहा ही रहे हैं।
आदित्यनाथ के कार्यक्रम अंतिम समय में रद्द कर दिए गए। फिर दिखाने के लिए बाकी मुख्यमंत्रियों के कार्यक्रम भी यह कह कर रद्द कर दिया गया कि इसकी जरूरत नहीं है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि ऐसा योगी का बढ़ती लोकप्रियता के चलते हुआ। माना जा रहा था कि जितने समय योगी दिल्ली चुनाव प्रचार में रहेंगे उतनी देर मीडिया योगी-यागी करती रहेगी। बाद में जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से अधिक योगी आदित्यनाथ के सिर बांध देगी।
ऐसा वातावरण बनता कि भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका योगी की है जबकि चुनाव की पूरी रणनीति अमित शाह ने बनाई। वे लगातार उसे संचालित कर रहे हैं। चुनाव अभियान की खुद शुरुआत की। उनको करीब से जानने वाले मानते हैं कि वे आसानी से प्रधानमंत्री के अलावा किसी और को जीत का श्रेय नहीं दे सकते हैं।