नई दिल्ली: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया। चार दशकों से भारतीय राजनीति की प्रमुख हस्ती रहीं 67 वर्षीय सुषमा स्वराज का ने एम्स में अंतिम सांस लीं। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है। सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें 'जन मंत्री' कहा जाता था।
Full View
इतना ही नहीं वह जब विदेश मंत्री बनीं तो उन्होंने आम आदमी को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया। वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं। लोकसभा में विपक्ष की नेता रहीं सुषमा स्वराज का लोहा उनका वैचारिक और राजनीतिक विरोधी भी मानते थे। एक बार संसद में खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि मैं उनकी (स्वराज) की तरह ओजस्वी वक्ता नहीं हूं।
Full View
बजट सत्र 2011 के दौरान लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के बीच सांसदों की वाहवाही से बंधे समां में शेरो शायरी का दिलचस्प जवाबी मुकाबला देखने को मिला था। सुषमा ने नियम-193 के तहत हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री के नेतृत्व और कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए शहाब जाफ़री का शेर पढ़ा, तू इधर-उधर की न बात कर, ये बता के कारवां क्यों लुटा, मुझे रहजनों (लुटेरों) से गिला नहीं, तेरी रहबरी (नेतृत्व) का सवाल है।
Full View
इस शेर पर सुषमा के सामने बैठे सिंह मुस्कुरा दिए। चर्चा के जवाब के दौरान सिंह ने सुषमा से मुखातिब होते हुए कहा कि उनके शेर के जवाब में वह भी एक शेर कहना चाहते हैं, इस पर सुषमा ने हंसते हुए कहा, इरशाद। सिंह ने अल्लामा इकबाल का मशहूर शेर पढ़ा, माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख मेरा इंतजार देख। सिंह के इस शेर को सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से मेजों की थपथपाहट के साथ वाहवाही मिली जबकि विपक्षी सदस्य सन्नाटे में नजर आए।