1991, न्यूज चैनल जैसी चीज तब भारत में नहीं हुआ करती थी. रेडियो से सुबह और शाम के समाचार सुने जाते थे. ऐसे ही नियमित प्रसारण में 21 मई 1991 के सुबह अचानक सन्न कर देने वाली खबर प्रसारित हुई. खबर थी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की. भारत अवाक रह गया. करोड़ों लोग स्तब्ध रह गए. ज्यादातर की आंखों में आंसू थे. ये आंसू कांग्रेसी नेता की खातिर नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति का पहले दमकते नौजवान चेहरे राजीव गांधी के लिए थे. सरकारी दफ्तरों में शोक के माहौल को गमगीन फुसफुसाहट के बीच तिरंगा झुका दिया गया. स्कूली बच्चे राजीव की मौत की गंभीरता नहीं समझ पा रहे थे लेकिन उन्हें ये एहसास जरूर हुआ कि आज कुछ बड़ी त्रासदी हुई है. राजीव के बाद कई नेता दुनिया से गुजरे लेकिन देश को वैसी पीड़ा फिर कभी नहीं हुई. आखिर क्या थी राजीव गांधी की शख्सियत.
नई सोच का नौजवान
राजीव गांधी की हत्या को बीस साल हो गए हैं. इन 20 सालों में भारत राजीव के सपनों का देश बना है या नहीं, यह कहना मुश्किल होगा. राजीव नवीनतम तकनीक से लैस करके 21वीं सदी में भारत को उन्नत राष्ट्र बनाने का सपने देखते रहे और उसी रास्ते पर आगे बढ़े. 31 अक्तूबर 1984 को अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वे भारतीय इतिहास के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने. उन्होंने 40 साल की उम्र में सत्ता संभाली. वे उस समय सत्ता में आए जब पंजाब, असम और मिजोरम हिंसा में जल रहे थे. ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब और दिल्ली में सिख विरोधी दंगे हुए. अवैध प्रवासियों के खिलाफ नस्लीय हिंसा से भी असम झुलस रहा था. मिजोरम में भी विद्रोह के बिगुल बज रहे थे. राजीव की सिख दंगों पर प्रतिक्रिया की कड़ी निंदा की गई. युवा प्रधानमंत्री और कम अनुभवी होते हुए भी राजीव ने इन समस्याओं से मुंह नहीं चुराया. उनकी सादगी और अहंकार के बिना गलतियां सुधारने की कोशिश ने धीरे धीरे माहौल को फिर से जीने लायक बनाया.
राजीव के सपनों का भारत
इसमें कोई शक नहीं कि राजीव गांधी एक दूरदर्शी नेता थे. चुनाव जीतने और सरकार में शामिल होने जैसी बातें उनके कद के आगे बौनी थीं. एयर इंडिया के पायलट रह चुके राजीव धाराप्रवाह हिंदी और अंग्रेजी बोलते और लिखते थे. चुनावी रैलियों में सुरक्षा घेरे तोड़ते हुए गांव के बुजुर्गों के पास पहुंच जाना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था. उनकी मुस्कुराहट उम्मीदें जगाती थीं. एक ऐसे वक्त में जब कोई भी देश को आगे ले जाने के बारे में सोच नहीं रहा था, वह देश को 21वीं सदी में ले जाने की सोच विकसित कर चुके थे. चाहे आईटी फील्ड ही क्यों न हो, राजीव सूचना प्रौद्योगिकी में भारत की भूमिका अहम मानते थे. उन्होंने कंप्यूटर के इस्तेमाल को आम करने की शुरुआत की. साइंस और टेक्नॉलोजी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी बजट बढ़ाए. हवाई सोच से परहेज राजीव चाहते थे कि देश में शिक्षा का स्तर सुधरे और 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एलान किया. जवाहर नवोदय विद्यालय के नाम से आज ग्रामीण बच्चों को शिक्षा मिल रही है. आज इन विद्यालयों में लाखों बच्चे पढ़ रहे हैं. 1986 में राजीव ने महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की स्थापना की. पब्लिक कॉल ऑफिस के जरिए ग्रामीण इलाकों में संचार सेवा का तेजी से विस्तार हुआ.
भ्रष्टाचार को पहचाना
राजीव गांधी ने भ्रष्टाचार को देश के विकास का सबसे बड़ा दुश्मन बताया. उनका चर्चित बयान था. सरकार के आवंटित एक रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही गांव तक पहुंचते हैं. वे पहले नेता थे जिन्होंने भ्रष्टाचार को इतना करीब से पहचाना और सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार किया. भ्रष्टाचार से निपटने के लिए राजीव ने कानूनों को सख्ती से लागू कराया, जो भ्रष्टाचार को रोकने में ताकतवर भी साबित हुए. यही नहीं उन्होंने दल-बदल विरोधी कानून भी लागू कराया जिससे राजनीति में भ्रष्टाटार पर रोक लग सके. राजीव पर खुद भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. उन पर बोफोर्स तोप की खरीद में घूस लेने के आरोप लगे, लेकिन कोर्ट में साबित नहीं हो पाए. आखिरकार उनकी मौत के कई साल बाद अदालत ने उन्हें बेगुनाह बताया.
क्यों हुआ राजीव पर हमला
श्रीलंका में तमिलविद्रोही संगठन लिट्टे यानी लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम ने हिंसा फैला रखी थी. राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान वहां शांति सेना भेज दी. राजीव के इस कदम से लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण गुस्से में आ गया और उसने राजीव की हत्या की साजिश रची. राजीव गांधी 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपरंबदूर में कांग्रेस प्रत्याक्षी के लिए प्रचार कर रहे थे. तभी लिट्टे की महिला आत्मघाती हमलावर धनु अपने शरीर पर 700 ग्राम आरडीएक्स बांधकर भीड़ में राजीव गांधी के पास जा पहुंची और उनके पैर छूने के बहाने झुककर शरीर पर बंधे विस्फोटकों से खुद को उड़ा दिया.
इस हमले में राजीव गांधी के अलावा कई लोग मारे गए. राजीव गांधी हत्याकांड को अंजाम देने वाले पांच सदस्यीय दल की एकमात्र जीवित सदस्य नलिनी फिलहाल जेल में सजा काट रही है. नलिनी को हत्याकांड के लगभग एक महीने बाद गिरफ्तार किया गया और मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई. लेकिन बाद में नलिनी ने जेल में जन्मी अपनी बेटी का वास्ता देते हुए माफ करने की याचिका दी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. ये थे राजीव गांधी. एक ऐसे नेता जिनका अक्स आज भी लोग उनके बेटे राहुल गांधी और उनकी बेटी प्रियंका वढेरा में ढूंढने की कोशिश करते हैं.