उत्तर प्रदेश और बिहार के उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को एक और बड़ा झटका लगा है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगू देशम पार्टी (TDP) मोदी सरकार से बाहर होने के बाद अब बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) गठबंधन से बाहर आने का फैसला लिया है। आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जा ना मिलने से नाराज चल रही टीडीपी ने शुक्रवार (16 मार्च) सुबह ये बड़ा फैसला लिया। फिलहाल टीडीपी पोलित ब्यूरो की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक चल रही है। पार्टी की ओर से जल्दी ही इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा। बता दें कि टीडीपी पहले ही केंद्र सरकार और बीजेपी से नाता तोड़ चुकी है। आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जे के मुद्दे को लेकर पहले ही टीडीपी कोटे के मंत्रियों ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया था। वहीं बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने राज्य सरकार से अपना इस्तीफा दे दिया था। अविश्वास प्रस्ताव का करेगी समर्थन यही नहीं पार्टी ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर वाईएसआर कांग्रेस की ओर से शुक्रवार को संसद में लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का भी समर्थन करने का ऐलान किया है। गुरुवार को वाईएसआर कांग्रेस के 6 सांसदों की ओर से आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा के सवाल पर लोकसभा महासचिव को इस आशय का नोटिस दिया गया था।
अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन जुटाने के लिए वाईएसआर कांग्रेस ने कोशिश शुरू कर दी है। वाईएसआर कांग्रेस ने बीजेपी नीत एनडीए सरकार के खिलाफ गुरुवार को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया।यह कदम आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार करने की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। पार्टी के सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने लोकसभा सचिवालय को नोटिस दिया कि इस प्रस्ताव को सदन के शुक्रवार के कामकाज में शामिल किया जाए। टीडीपी ने गुरुवार को कहा कि वह आंध्र प्रदेश के हित में केंद्र में बीजेपी नीत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के साथ अन्याय किया है।टीडीपी प्रमुख और मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य विधानसभा में यह बात कही। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी वाईएसआर कांग्रेस द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने के कुछ घंटे बाद कही। वाईएसआर कांग्रेस ने यह कदम केंद्र के आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से मना करने के बाद उठाया है। नायडू ने विधानसभा में कहा कि, 'जो भी अविश्वास प्रस्ताव लाएगा हम उसका समर्थन करेंगे। हम उसके लिए तैयार रहेंगे और हमारे 16-17 सांसद उसका पूरी तरह समर्थन करेंगे। हम राज्य के अधिकारों के लिए जो भी लड़ेगा उसका समर्थन करेंगे। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो। वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा में 9 सदस्य हैं।
अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो यह मोदी सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा। वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने विभिन्न दलों के नेताओं को पत्र लिखकर प्रस्ताव के लिए समर्थन मांगा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि अगर केंद्र राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर अनिच्छुक रहता है तो उसके सभी सांसद छह अप्रैल को इस्तीफा दे देंगे।536 सदस्यीय लोकसभा में बीजेपी के 274 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दलों के 56 सदस्य हैं। अगर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है तो निश्चित तौर पर यह गिर जाएगा, लेकिन यह राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को मुश्किल स्थिति में डाल देगा। अगर अविश्वास प्रस्ताव को टीडीपी के 16 सदस्यों का भी समर्थन मिल जाता है तो भी एनडीए सरकार को संख्या बल के मामले में कोई परेशानी नहीं होने वाली है। क्योंकि लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने रुख साफ नहीं किया है।