नई दिल्ली। देश में बढती मॉब लिचिंग की घटनाओं पर सुप्रीमकोर्ट ने एक बार फिर नाराज़गी जताई है। सर्वोच्च अदालत ने सभी 29 राज्यों तथा सात केंद्र शासित प्रदेशों से एक सप्ताह के अंदर स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की है। देश के 16 राज्यों ने अभी इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। मामले में अगली सुनवाई 13 सितम्बर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को कानून अपने हाथ में लेने से रोकना होगा। समाज में शांति और सद्भाव हर हाल में बनाए रखना होगा। कोर्ट ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि अपने आधिकारिक वेबसाइटों पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ गाइडलाइन जारी करें।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने ऐसा नहीं करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रिपोर्ट पेश करने का अंतिम अवसर देते हुए चेतावनी दी कि यदि उन्होंने एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश नहीं की तो उनके गृह सचिवों को न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होना पड़ेगा। इस मामले की सुनवाई के दौरान, केंद्र ने पीठ को सूचित किया कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के मुद्द पर कोर्ट के फैसले के बाद भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के बारे में कानून बनाने पर विचार के लिए मंत्रियों के समूह का गठन किया गया है। कोर्ट कांग्रेस के नेता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में राजस्थान में 20 जुलाई को डेयरी किसान रकबर खान की कथित तौर पर पीट-पीटकर हुई हत्या के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रदेश के पुलिस प्रमुख, मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने की मांग की गयी थी। इससे पहले कोर्ट ने 17 जुलाई को कहा था कि " भीड़तंत्र की भयावह हरकतों" को कानून पर हावी नहीं होने दिया जा सकता. इसके साथ ही गोरक्षा के नाम पर हिंसा और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामलों में कई दिशा-निर्देश जारी किये थे। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि इस तरह की घटनाओं से सख्ती से निबटने के लिये वह नया कानून बनाने पर विचार करे।