नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को राजनीतिक दलों को फंडिंग के मामले में नोटिस थमा दिया है। कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों के चंदे पर मोदी सरकार से सवाल किए हैं। नोटिस में राजनीतिक दलों को फंडिंग की प्रक्रिया को कम पारदर्शी बनाने और कॉर्पोरेट घराने के साथ विदेश से मिलने वाले असीमित चंदे पर सवाल खड़े किए गए हैं। मंगलवार को कोर्ट ने एक एनजीओ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को यह नोटिस थमाया है। दिल्ली की एनजीओ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को लेकर जनहित याचिका दायर की थी।
याचिका में राजनीतिक दलों को होने वाली फंडिंग को लेकर नियमों में किए गए संशोधन पर सवाल खड़े किए गए हैं। नए नियमों के अनुसार राजनीतिक दल किसी भी कॉर्पोरेट घराने से चंदा ले सकते हैं, राजनीतिक दलों को नेट प्रॉफिट से सात फीसदी चंदा लेने की अनुमति दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी मोदी सरकार पर सवाल खड़ा किया है।
उन्होंने कहा कि आखिर क्यों राजनीतिक दलों को संशोधन के तहत बॉड्स के जरिए चंदा लेने की अनुमति दी गई है। इस स्रोत का खुलासा किए बगैर चंदा लेने की इजाजत क्यों दी गई। गौरतलब है कि इसी वर्ष मार्च में एक संशोधन किया गया है, इस प्रस्ताव को खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली की मौजूदगी में पास किया गया है।