सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जज लोया की मौत 'प्राकृतिक' थी, प्रशांत भूषण बोले- आज इतिहास का काला दिन

Update: 2018-04-19 10:50 GMT

जज लोया की संदिग्ध मौत को सुप्रीम कोर्ट ने प्राकृतिक मौत बताया है। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की जांच वाली मांग की याचिका को ठुकरा दिया है। इसके साथी याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका में कोई दम नहीं है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने की है। दरअसल साल 2014 में सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई करने वाले जज लोया की 1 दिसंबर को नागपुर में उनकी मौत हो गई।




शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति को भी 2006 में गुजरात पुलिस द्वारा मार डाला गया।उसे सोहराबुद्दीन मुठभेड का गवाह माना जा रहा था। इससे पहले 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया और 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति और शेख के केस को एक साथ जोड़ दिया। शुरुआत में जज जेटी उत्पत केस की सुनवाई कर रहे थे लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश ना होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया। फिर इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस मामले बाद में आरोपमुक्त कर जाते है।



सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राजनीतिक लड़ाई मैदान में की जानी चाहिए, कोर्ट में नहीं। कोर्ट ने माना है कि जज लोया की मौत प्राकृतिक है। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जस्टिस लोया की मौत प्राकृतिक थी। सुप्रीम कोर्ट ने PIL के दुरुपयोग की आलोचना भी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, PIL का दुरुपयोग चिंता का विषय। याचिकाकर्ता का उद्देश्य जजों को बदनाम करना है। यह न्यायपालिका पर सीधा हमला है। राजनैतिक प्रतिद्वंद्विताओं को लोकतंत्र के सदन में ही सुलझाना होगा। PIL शरारतपूर्ण उद्देश्य से दाखिल की गई, यह आपराधिक अवमानना है।

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