नई दिल्ली: राजनितिक शह पाकर पुलिस जब दरिंदों का एक समूह बन जाती है तो नरसंहार होता है। छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा आदि राज्यों में इसके उदाहरण हर रोज देखने को मिलते हैं। भारतीय गणराज्य के ज्यादातर पुलिस ऐसे ही हैं, जो बड़े पूंजीपतियों की सेवा कर रहे हैं। भारत के कानून को अगर किसी से खतरा है, तो वह पुलिस ही है। तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता स्टरलाइट के प्लांट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को तमिलनाडु की पुलिस ने गोलियों से भून दिया है। यह नागरिक स्टरलाईट कम्पनी द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण का विरोध कर रहे थे। अब जल्द ही मोदी सरकार विरोध प्रदर्शन को गैरकानूनी घोषित करने वाली है। इसे ही सरकारी आतंकवाद कहते हैं। और पुलिस को सरकारी आतंकवादी।
स्टरलाईट कम्पनी का मालिक अनिल अग्रवाल है। इसकी मूल कम्पनी वेदांता है। अनिल अग्रवाल ब्रिटिश नागरिक है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 600 किलोमीटर दूर तूतीकोरिन में वेदांता की स्टरलाईट कम्पनी है। ये कंपनी यहां कॉपर गलाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा प्लांट चलाती है। यह प्लांट हर साल 4,38,000 टन कॉपर पैदा करती है। प्रतिदिन के हिसाब से इसकी 1200 टन कॉपर की पैदा करने की क्षमता है। इस प्लांट के आसपास दस किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 4.6 लाख लोग, आठ कस्बे और 27 गांव हैं। विकास के नाम पर यहां रहने वाले 4.6 लाख लोगों के फेफड़े में लगातार जहर भरा जा रहा था। प्लांट की वजह से वायु प्रदूषण फैल चुका है। लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो चुके हैं।
सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है। नेता और पुलिस अधिकारी इस कम्पनी से बड़ी रिश्वतें लेते हैं। ये सारा खेल जनता को विकास का चरस सुंघा कर खेला जाता है। पहले से ही वायु प्रदूषण की मार झेल रहे स्थानिय लोगों को जब पता चला की स्टरलाईट एक और प्लांट लगाने जा रही है तो वो डर गए। लोगों ने प्रदर्शन शुरू किया। क्या आपको पता है आम जनता का ये प्रदर्शन पिछले 100 दिनों से चल रहा है। क्या किसी टीवी चैनल में आपने इसके बारे में सुना, देखा? क्या कोई एंकर इसपर बात करते हुए दिखा? 12 फरवरी को प्रदर्शनकारी तूतीकोरिन पहुंचे। 24 मार्च को करीब दो लाख लोग प्रदर्शन में शामिल हुए। दो लाख लोग, क्या अपने इन दो लाख लोगों की आवाज अपने टीवी पर सुनी? अगर नहीं सुनी मरने के लिए तैयार रहिए। आप भी मारे जाएंगे और कोई आपकी आवाज नहीं सुनेगा।