सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बहुचर्चित हदिया मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह इस बात की समीक्षा करेगा कि क्या कोई हाई कोर्ट किसी दूसरे धर्म के लड़के से शादी करने वाली लड़की के पिता की याचिका पर शादी रद्द करने का फैसला सुना सकता है या नहीं। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच शफीन जहां की उस याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें हादिया के साथ उसकी शादी को रद्द कर दिया गया है।केरल हाई कोर्ट ने उनकी शादी को रद्द करते हुए उसे 'लव जिहाद' का मामला कहा था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया।कोर्ट ने इस फैसले पर भी आश्चर्य जताया कि 24 वर्षीय महिला को कैसे अपने पिता की निगरानी में रहने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
अपने पिछले आदेश में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की पीठ ने शफीन जहां और हादिया की शादी की वजहों का पता लगाने के लिए NIA जांच का आदेश दिया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी।शफीन जहां के वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट में कहा कि कोर्ट एनआईए जांच के बजाय हदिया को खुद तलब कर सच्चाई जान सकती है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को करेगा।इस बीच हदिया को अपने परिवार की निगरानी से मुक्त कराने के लिए महिलाओं के एक समूह ने केरल के तिरुवनंतपुरम में सचिवालय तक विरोध मार्च किया।