नई दिल्लीः कर्नाटक के मनोनीत मुख्यमंत्री एवं जनता दल(एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने कहा है कि कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के साथ बेंगलुरु में बैठक कर मंगलवार को मंत्रिमंडल को अंतिम रूप दिया जाएगा। कांग्रेस के सरकार बनाने का समर्थन देने के बाद कुमारस्वामी ने सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और गठबंधन सरकार के स्वरूप को लेकर चर्चा की।
राहुल से मंत्रिमंडल को लेकर हुई चर्चा
कांग्रेस अध्यक्ष तथा संप्रग अध्यक्ष से करीब आधे घंटे की मुलाकात के बाद कुमारस्वामी ने मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर पत्रकारों से कहा कि गांधी ने मंत्रिमंडल के गठन के संबंध में अपनी स्वीकृति दे दी है और इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर बातचीत के लिए कांग्रेस के प्रभारी महासचिव के सी वेणुगोपाल को अधिकृत किया है। वह उनके और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के साथ कल बैठक कर मंत्रिमंडल के स्वरूप को अंतिम रूप देंगे।
जद(एस) नेता ने कहा कि सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी को कांग्रेस ने जो समर्थन दिया है, उसका आभार व्यक्त करने के लिए वह गांधी और सोनिया गांधी से मिले। दोनों नेताओं को उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का आमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
कुमारस्वामी ने की सोनिया गांधी से मुलाकात
कुमारस्वामी शाम करीब सात बजे कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पर पहुंचे और दोनों नेताओं के साथ कर्नाटक में सरकार गठन के बारे में विस्तार से विचार विमर्श किया। इस दौरान कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी केसी वेणुगोपाल तथा जद(एस) के महासचिव दानिश अली भी मौजूद थे।
इससे पहले कुमारस्वामी ने बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती से भी मुलाकात की। बसपा ने कर्नाटक में जद(एस) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है और उसे एक सीट मिली है। कर्नाटक में भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस-जद(एस) की सरकार बनेगी। कुमारस्वामी बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
लिंगायत चेहरे को आगे करना चाहती है कांग्रेस
कर्नाटक में गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस और जद(एस) के बीच खींचतान चल रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस लिंगायत समुदाय तथा दलित समुदाय को खुश करने के लिए अपने दो उपमख्यमंत्री बनाना चाहती है, लेकिन जद(एस) इसके लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस का यह भी तर्क है कि उसके पास 78 विधायक हैं, जबकि जद(एस) के पास महज 38 विधायक हैं, इसलिए उसे मंत्रिमंडल में ज्यादा भागीदारी मिलनी चाहिए।