नई दिल्ली : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के खिलाफ विरोध जताने के लिए देशभर के सरकारी अस्पतालों में बुधवार को ओपीडी सुविधा बंद रहेगी. डॉक्टरों का कहना है कि विधेयक में शामिल किए गए प्रावधानों से नीम-हकीमों को प्रोत्साहन मिलेगा. सोमवार को लोकसभा में पारित किए गए इस विधेयक के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रदर्शन किया.
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एसोसिएशन ने देशभर में गैर-जरूरी सेवाओं को 24 घंटे तक बंद करने की बात कही है. इस दौरान सभी राज्यों में प्रदर्शन और भूख हड़ताल की जाएगी. आईएमए ने मेडिकल छात्रों से एकजुटता दिखाते हुए कक्षाओं का बहिष्कार करने को भी कहा है. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉकटर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) सहित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपने सदस्यों को काले बैज पहनने को कहा है. आरडीए के एक बयान में कहा गया है कि अगर संशोधन नहीं किया गया तो इससे न केवल चिकित्सा शिक्षा के मानकों में गिरावट आएगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आएगी.
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ओपीडी सहित गैर-जरूरी सेवाएं बुधवार को सुबह 6 बजे से गुरुवार की सुबह 6 बजे तक बंद रहेंगी. जबकि आपातकालीन, दुर्घटना, आईसीयू और संबंधित सेवाएं सामान्य रूप से काम करेंगी. आईएमए के महासचिव आरवी असोकन ने कहा, 'एनएमसी बिल की धारा-32 में आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने के लिए 3.5 लाख अयोग्य एवं गैर चिकित्सकों को लाइसेंस देने का प्रावधान है. सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता शब्द को अस्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जो आधुनिक चिकित्सा से जुड़े किसी व्यक्ति को एनएमसी में पंजीकृत होने और आधुनिक अभ्यास करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की अनुमति देता है.' उन्होंने कहा, 'इसका मतलब यह होगा कि सभी तरह के पैरामेडिक्स जिसमें फार्मासिस्ट, नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑप्टोमेट्रिस्ट इत्यादि आधुनिक चिकित्सा पद्धति का उपयोग करने के साथ ही स्वतंत्र रूप से दवाइयां परामर्श करने के लिए वैध होंगे.'