नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने कुल 21 मोबाइल निर्माता कंपनियों को नोटिस भेजा है. इसकी वजह मोबाइल निर्माता कंपनियों के स्तर पर यूजर्स की जानकारी चोरी होने का खतरा है. इन कंपनियों में एपल, सैमसंग, माइक्रोमैक्स, वीवो, ओप्पो, शाओमी और जियोनी भी शामिल हैं. सरकार ने इन कंपनियों से पूछा है कि इनके स्मार्टफोन में यूजर्स का डेटा कितना सुरक्षित है. क्या यह डाटा देश से बाहर भेजा जाता है या अन्य व्यावसायिक कार्यो में तो इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
6 महीने तक हुई जांच, फिर भेजा नोटिस
नोटिस भेजने से पहले सरकार ने करीब 6 महीनों तक चांज की है. मोबाइल निर्माता कंपनियों द्वारा डेटा सुरक्षा से किए जा रही छेड़छाड़ से जुड़ी शिकायतों की समीक्षा की गई. स्मार्टफोन से डेटा चोरी की घटनाएं अमेरिका और यूरोप में भी हैं. वहां चीन और कुछ अमेरिकी कंपनियों पर डेटा चुराने का शक है. इस आधार पर भारत में जांच हुई और उसके बात नोटिस जारी किए गए.
लगाया जाएगा जुर्माना
कंपनियों को सभी सुरक्षा संबंधी शर्तों का अनुपालन करने के लिए 28 अगस्त तक का समय दिया गया है. इसके बाद सुरक्षा संबंधी नियमों का अनुपालन हुआ या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से ऑडिट किया जा सकता है. सरकार को संदेह है कि मोबाइल कंपनियां ग्राहकों की कांटैक्ट लिस्ट और अन्य प्रकार की निजी सूचनाएं चुरा रही हैं. अगर कंपनियां दोषी पाएगी तो आईटी एक्ट की धारा 43 ए के तहत उन पर जुर्माना लगेगा.
चीनी कंपनियों पर ख़ास नज़र
सरकार की तरफ से जारी किया गया यह निर्देश ऐसे समय में आया है, जब डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच तनाव बरकरार है. इसकी वजह से चीन से इंपोर्ट होने वाले आईटी और टेलिकॉम प्रोडक्ट्स को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. दरअसल, भारत में बिकने वाले ज्यादातर मोबाइल हैंडसेट चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित हैं. इन कंपनियों का सर्वर भारत में होकर किसी तीसरे देश में होता है. ऐसे में अगर डेटा चोरी होता है तो ये सरकार और भारतीय ग्राहकों के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
किस तरह के डेटा को है ज्यादा ख़तरा
आपके फोन में मौजूद कॉन्टैक्ट लिस्ट का डेटा चोरी किया जा सकता है. ये डेटा टेलीकॉलर्स या विज्ञापन कंपनियों को बेचा जाता है. लोकेशन डेटा से आप पर नजर रखी जा सकती है. ये आपकी सुरक्षा के लिए खतरनाक है, आपराधिक तत्व इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. वॉह्ट्सैप जैसी मैसेजिंग आप में यूजर्स की सारी जानकारियां जमा हो जाती हैं.
इसका डेटा भी लीक हो सकता है. इसके अलावा, अपने निजी फोटो भी आपकी जानकारी के बिना लीक हो सकते हैं.एंटीवायरस बनाने वाली सिमेंटेक के मुताबिक, 36 फीसदी से ज्यादा ऐप में वायरस होता है. हर 6 में से एक एप में मालवेयर हैं. यह फोन में मौजूद कॉन्टेक्ट, बैंकिंग ट्रांजेक्शन डीटेल और दूसरी जानकारी हैकर्स तक पहुंचा रहा है.