अलविदा पासवान: लालू और नीतीश से सीनियर थे पासवान, ऐसा रहा जीवन, विवादों में भी रहे
बिहार की राजनीति में मजबूत माने जाने वाले दोनों नेताओं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से वे सियासत के मैदान में वरिष्ठ थे। वे 1969 में तभी बिहार विधानसभा पहुंच गए थे जब लालू और नीतीश दोनों पढ़ाई कर रहे थे।
नई दिल्ली: सियासत पर मजबूत पकड़ रखने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को नई दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। यह उनके राजनीतिक कौशल का ही परिणाम था कि पिछले दो दशक से ज्यादा समय से वे केंद्र की सरकार में मंत्री रहे। पिछले पांच दशकों के दौरान उन्होंने आठ बार लोकसभा का चुनाव जीता।
बिहार की राजनीति में मजबूत माने जाने वाले दोनों नेताओं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से वे सियासत के मैदान में वरिष्ठ थे। वे 1969 में तभी बिहार विधानसभा पहुंच गए थे जब लालू और नीतीश दोनों पढ़ाई कर रहे थे। हालांकि पासवान की निजी जिंदगी में उनकी दो शादियों को लेकर विवाद भी रहा।
इमरजेंसी का पूरा समय जेल में काटा
खगड़िया के एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे राम विलास पासवान पढ़ाई में भी काफी अच्छे माने जाते थे और राजनीति के मैदान में उतरने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा अधिकारी थे। 1975 में इंदिरा गांधी के आपातकाल घोषित करने पर उन्होंने विरोध का झंडा बुलंद कर दिया था और यही कारण था कि उन्हें इमरजेंसी का पूरा दौर जेल की सलाखों के पीछे गुजारना पड़ा। इमरजेंसी के दौरान इंदिरा सरकार से मोर्चा लेने वाले पासवान अगले 5 दशकों के दौरान कई बार कांग्रेस के साथ तो कई बार उसके खिलाफ चुनाव लड़ते रहे और उन्हें विजय हासिल होती रही।
1977 में कायम किया रिकॉर्ड
इमरजेंसी खत्म होने के बाद उन्होंने 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर रहा हाजीपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़कर भारी मतों से जीत हासिल की थी। पासवान ने चार लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल कर रिकॉर्ड कायम किया था। इसके बाद उन्होंने 2014 तक 8 बार लोकसभा का चुनाव जीता। मतदाताओं पर उनकी काफी मजबूत पकड़ मानी जाती थी और यही कारण था कि वह हमेशा चुनाव जीतने में कामयाब होते रहे।
2009 में लगा था झटका
हालांकि अपने सियासी सफर के दौरान पासवान को 2009 में बड़ा झटका लगा था। 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान जनता दल के रामसुंदर दास के हाथों में हाजीपुर लोकसभा सीट पर पहली चुनावी हार झेलनी पड़ी। इस चुनाव के दौरान पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी।
पासवान ने संभाले कई महत्वपूर्ण मंत्रालय
1977 में रिकॉर्ड मतों से जीत के बाद पासवान 1980 और 1989 के लोकसभा चुनाव में जीतने में कामयाब हुए थे। 1989 में उन्हें पहली बार विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला। कैबिनेट मंत्री के रूप में पासवान ने कोयला, श्रम, दूरसंचार और रेलवे जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।
अपनी सियासी जिंदगी के दौरान पासवान जदयू, भाजपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन में रहे और छह पीएम की कैबिनेट में मंत्री बने। मौजूदा समय में वे बिहार से राज्यसभा के सदस्य थे और पीएम मोदी के दोनों कार्यकाल में उन्हें खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
गुजरात दंगों के बाद तोड़ा था एनडीए से नाता
पासवान ने 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन अटल सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही एनडीए से नाता तोड़ दिया था। इसके बाद वे यूपीए में शामिल हो गए थे और फिर मनमोहन सिंह के दो कार्यकाल के दौरान केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहे।
2014 में पासवान का यूपीए से मोहभंग हो गया उन्होंने एक बार फिर एनडीए में शामिल होने का फैसला किया। हवा का रुख मापने की पासवान इसी कला के कारण ही उन्हें मौसम विज्ञानी की संज्ञा दी जाती रही है।
दो शादियों को लेकर विवाद
पासवान ने अपनी निजी जिंदगी को हमेशा पर्दे में रखने का प्रयास किया मगर उनकी दो शादियों को लेकर विवाद भी पैदा हुआ। बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राजद की ओर से उनकी दो शादियों को लेकर हमला भी किया गया था। दरअसल रामविलास पासवान ने दो शादियां की हैं। उनकी पहली शादी 1960 में राजकुमारी देवी से हुई थी जबकि उन्होंने 1983 में दूसरी शादी रीना शर्मा से की थी।
बेटी से पासवान के नहीं थे अच्छे रिश्ते
पहली पत्नी से पासवान की दो बेटियां हैं आशा और ऊषा, जबकि दूसरी पत्नी से भी पासवान की दो संतानें हैं एक चिराग पासवान और एक उनकी बहन। पहली पत्नी से पासवान की बेटी आशा की शादी अनिल साधू उर्फ साधू पासवान से हुई है। आशा और साधू के रामविलास और चिराग पासवान से अच्छे रिश्ते नहीं बताए जाते हैं।
बेटी ने पिता पर लगाया था आरोप
आशा पासवान ने एक बार अपने पिता पर आरोप लगाया था कि उनकी मां को शायद उन्होंने इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वह अनपढ़ थी। आशा पासवान रामविलास पासवान के खिलाफ पटना में लोजपा कार्यालय पर धरना भी दे चुकी हैं। आशा के पति साधू पासवान भी कई बार अपने ससुर के खिलाफ तीखे आरोप लगा चुके हैं। साधू पासवान अब रामविलास के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए राजद का दामन थाम चुके हैं।