पूरे देश की नजरें आज लोकसभा की 4 और विधानसभा की 10 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों पर टिकी हैं. लोकसभा की जिन सीटों पर सबकी नजर है उनमें उत्तर प्रदेश की कैराना और महाराष्ट्र की पालघर सीट है. कैराना में बीजेपी की मृगांका सिंह का मुकाबला आरएलडी के तबस्सुम हसन से है. यहां बीजेपी को एकजुट विपक्ष से मुकाबला करना पड़ा है. कैराना में कुल 14 उम्मीदवारों में से लोकदल के प्रत्याशी कंवर हसन ने आखिरी वक्त में आरएलडी को समर्थन देते हुए चुनावी मैदान से हट गए थे. अब 13 प्रत्याशी हैं. मुख्य मुकाबला मृगांका सिंह और तबस्सुम के बीच है. कैराना लोकसभा सीट पर सोमवार को हुए उपचुनाव में वोटिंग के दौरान कुछ वीवीपैट मशीनों में गड़बड़ी की शिकायत आई थी. जिसके बाद बुधवार को 73 बूथों पर दोबारा से मतदान कराए गए थे.
इन लोकसभा सीटों पर होने वाला है फैसला
यूपी की कैराना लोकसभा सीट- मुख्य मुकाबला बीजेपी की मृगांका सिंह और आरएलडी के तबस्सुम हसन के बीच है. बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के चलते इस सीट पर चुनाव हुए थे. उनकी बेटी मृगांका सिंह उपचुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार हैं. उनका सीधा मुकाबला राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन से है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने चुनावों में तबस्सुम का समर्थन किया था.
महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट- पालघर सीट बीजेपी सांसद चिंतामन वनगापर के निधन से खाली हुई थी. यहां बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ही उससे टक्कर ले रही है. इस लड़ाई में बीजेपी को और बड़ा झटका तब लगा जब चिंतामन वनगा के परिवार ने उसका साथ छोड़कर शिवसेना का दामन थाम लिया. शिवसेना ने वनगा के बेटे श्रीनिवास को ही इस सीट से उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा है. उधर बीजेपी ने भी कांग्रेस से टूटकर आए इलाके के कद्दावर आदिवासी नेता राजेंद्र गावित को टिकट देकर लड़ाई को और रोचक बना दिया. हालांकि इस चुनाव का एक तीसरा पक्ष बहुजन विकास आघाडी पार्टी भी है. वसई-विरार और पालघर में सक्रिय बहुजन विकास आघाडी ने भी इन उपचुनावों में बलिराम जाधव को मैदान में उतारा है. कांग्रेस-एनसीपी ने इस सीट पर दामू शिघडा को टिकट दिया है. शिवसेना और बहुजन विकास आघाडी दोनों ही पार्टियां विधानसभा में फड़नवीस सरकार का समर्थन कर रही हैं.
2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को करीब 53% वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रही बीवीए को 29% वोटों से संतोष करना पड़ा था. महाराष्ट्र की गोंदिया-भंडारा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आने वाले हैं. ये सीट बीजेपी के नाना पटोले के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. पटोले ने पीएम मोदी से खुलकर नाराजगी जाहिर की थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे. ये सीट एनसीपी के पास रही है और पटोले के होने के बावजूद भी कांग्रेस ने सीट पर अपना दावा नहीं किया. यहां मुकाबला एनसीपी उम्मीदवार मधुकर कुकड़े और बीजेपी के हेमंत पटले के बीच है. भंडारा गोंदिया के 49 मतदान केन्द्रों पर दोबारा वोटिंग कराई गई है. 28 मई को हुए मतदान के वक़्त यहां की 19% वोटिंग मशीनें ख़राब पाई गईं थीं. नगालैंड में लोकसभा की एक सीट के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आने हैं. फरवरी में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफ्यू रियो के लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया गया. रियो अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. नगालैंड में बीजेपी और एनडीपीपी की सहयोगी पीडीए ने इस सीट पर पूर्व मंत्री तोखेहो येपथेमी को उतारा है. कांग्रेस एनपीएफ उम्मीदवार सी अपोक जमीर को समर्थन कर रही है.
इन विधानसभा सीटों पर आएंगे नतीजे
पलुस कादेगांव (महाराष्ट्र), नूरपुर (यूपी), जोकीहाट (बिहार), गोमिया और सिल्ली (झारखंड), चेंगानूर (केरल), अंपति (मेघालय), शाहकोट (पंजाब) थराली (उत्तराखंड) और मेहेशतला (पश्चिम बंगाल) विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आएंगे.बंगाल में महेश्ताला विधानसभा सीट के लिए तृणमूल ने दुलाल दास को उतारा है. उनकी पत्नी और विधायक कस्तूरी दास के निधन के चलते इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी. बीजेपी ने सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक सुजीत घोष को चुनाव में उतारा. जबकि लेफ्ट ने एक आम व्यक्ति प्रभात चौधरी को टिकट दिया. झारखंड के गोमिया विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे. जबकि झारखंड के ही सिल्ली विधानसभा सीट पर उपचुनाव में मुख्य मुकाबला पूर्व उप मुख्यमंत्री और एजेएसयू अध्यक्ष सुदेश महतो और सीमा महतो के बीच है. सीमा अयोग्य घोषित किए गए विधायक अमित महतो की पत्नी हैं.
बिहार में अररिया जिले के जोकीहाट विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में जेडीयू और आरजेडी के बीच एक बार फिर टक्कर है. जेडीयू विधायक सरफराज आलम के इस्तीफा देने के चलते इस सीट पर उपचुनाव हुए थे. आलम इस साल की शुरुआत में पार्टी छोड़ अरनिया लोकसभा सीट के लिए आरजेडी की टिकट पर चुनकर आए. मेघालय के अंपाती सीट के लिए हुए उपचुनाव में मुख्य मुकाबला कांगेस और बीजेपी समर्थित नेशनल पीपुल्स पार्टी के बीच है. इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में उतरे. मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के इस सीट को छोड़ने के कारण यहां उपचुनाव कराए गए थे.