समाजवादी चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने निष्कासन के फैसले को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि वे समाजवाद एवं समाजवादी कार्यकर्ताओं के हितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे। मुझे पार्टी से निकालकर सत्य, ईमानदारी, समाजवादी सिद्धांतों एवं डा० लोहिया की विरासत का मजाक बनाया गया है। अब समाजवादी पार्टी लोहिया, जे.पी. के आदर्शों पर चलने वाले जनेश्वर मिश्र, मोहन सिंह, बृजभूषण तिवारी, बाबू कपिलदेव सिंह सरीखे समाजवादियों की जगह किरणमय नन्दा, नरेश अग्रवाल सरीखे पूंजीवादी एजेंटो एवं स्वार्थी तत्वों की पार्टी बन कर रह गई है।
इन्हीं भ्रष्ट तत्वों से सतत् संघर्ष की कीमत मुझे चुकानी पड़ी। 10 जुलाई 1955 में डा० लोहिया को तत्कालीन समाजवादी दल ने निकालकर जो भूल की थी वही पाप आज सपा ने मुझे और अन्य प्रतिबद्ध समाजवादियों को निकालकर किया है। मेरी आशंका है कि धीरे-धीरे सभी समाजवादियों को निष्कासित कर सपा को निरंतर कमजोर करने की साजिश में पूंजीवादी एवं साम्प्रदायिक ताकतें अपने मंसूबों में कामयाब होती जा रही हैं। मिश्र ने कहा कि उन्होंने समाजवादी आन्दोलन, विचारधारा एवं पार्टी को मजबूत करने के लिए गत 20 वर्षों से निरंतर संघर्ष किया है।