नई दिल्ली। बीएसपी सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुसलमानों को रुझाने की कोशिश में लग गई हैं। इसीलिए कई उम्मीदवारों का टिकट काटकर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया गया है।
मायावती ने ब्राह्मणों को किया दूर
लखनऊ में बीएसपी के प्रदर्शन के दौरान जब दयाशंकर के परिवार के खिलाफ गाली वाले नारे लग रहे थे। तब पार्टी के ब्राह्मण और ठाकुर जाति के कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया था। ये बात मायावती को भी ये बात बताई गई थी। बताया जा रहा है कि स्वाति सिंह विवाद के बाद माया का अगड़ी जातियों से मोहभंग हुआ है।
उन्होंने अपने जातीय समीकरण से ब्राह्मणों को दूर रखने का फैसला किया है। जिन्हें बीएसपी का टिकट मिला है उनमें मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या 128 है जबकि ब्राह्मणों की संख्या महज 32 है।
बता दें कि माया के जातीय समीकरण में दलित और मुस्लिम के साथ-साथ ब्राह्मणों को भी अहमियत देने की खबर थी। लेकिन अब उन्होंने ब्राह्मणों को किनारे करके मुसलमानों पर दांव लगाने का फैसला किया है।
मायावती को लगता है की अगर ब्राह्मण बीजेपी के साथ दिए तो फिर मुसलमान बसपा का साथ दे सकते हैं। दलित राजनीति के बल पर अपनी पहचान बनानेवाली मायावती ने साल 2007 के चुनाव में एक नया समीकऱण तैयार किया था- दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण।
राज्य में दलितों की संख्या करीब 21 फीसदी हैं जबकि मुस्लिम 20 फीसदी और ब्राह्मण करीब 12 फीसदी हैं। इसलिए बहन जी का ज्यादा ध्यान मुसलमानों की तरफ है।