लखनऊ। समाजवादी पार्टी से अलग अपनी राह चुनने वाले शिवपाल सिंह यादव आज लखनऊ में पहली बार किसी कार्यक्रम में भाग लेंगे। लखनऊ में आज श्रीकृष्ण वाहिनी संस्था की ओर आयोजित राज्य सम्मेलन को शिवपाल सिंह यादव का शक्ति परीक्षण भी माना जा रहा है। लखनऊ के गोमतीनगर में श्रीकृष्ण वाहिनी का सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, गोमती नगर में होगा। इस राज्य स्तरीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव होंगे। श्रीकृष्ण वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष विजय यादव ने बताया कि वाहिनी का यह कार्यक्रम सांय चार बजे तक चलेगा। इस कार्यक्रम में हम सभी को मुख्य अतिथि से आशीर्वाद मिलेगा। इसमें प्रदेश के हर जिले के कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे। श्रीकृष्ण वाहिनी के मुख्य महासिचव अशोक यादव ने बताया इस कार्यक्रम में वाहिनी के पदाधिकारी शिवपाल सिंह यादव के सामने अपनी हर बात को रखेंगे। इसमें पीडि़त तथा अपमानित जनप्रतिनिधयों की बात को गंभीरता से सुना जाएगा। इसके साथ ही आने वाले लोकसभा चुनाव में श्रीकृष्ण वाहिनी की भूमिका भी तय की जाएगी।
माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में ही शिवपाल सिंह यादव अपने समर्थकों के साथ विचार-विमर्श पर भावी रणनीति भी सबके सामने रखेंगे। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन के बाद शिवपाल सिंह यादव पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। यह उनका पहला प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम है। श्रीकृष्ण वाहिनी शिवपाल सिंह यादव के युवा तथा कट्टर समर्थकों का संगठन है। यह सभी लोग सक्रिय रूप से कई वर्ष के कार्य कर रहे हैं।
शिवपाल सिंह यादव ने कल लखनऊ में कहा था कि हम समान विचारधारा वाली छोटी पार्टियों के साथ मिलकर प्रदेश की 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। समाजवादी और सेक्यूलर मूल्यों के साथ चुनाव में उतरेंगे और सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। समाजवादी पार्टी (सपा) में मच धमासान के बाद अब शिवपाल यादव ने दावा किया है उनके बड़े भाई मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद उनके साथ है। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव ने लंबे समय तक पार्टी में हाशिये पर रहने के बाद हाल में समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि सपा में मुलायम और अपने 'अपमान' के बाद उन्हें मजबूरन अलग पार्टी बनानी पड़ी। शिवपाल से जब पूछा गया कि उत्तर प्रदेश में पहले से कई बड़ी पार्टियां होने के कारण सेक्यूलर मोर्चा चुनावी रेस में अपनी जगह कैसे मजबूत करेगा। इस पर उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई को किसी गठबंधन या पार्टी विशेष के संदर्भ में मत देखें। अगर आपकी बात मानें तो ऐसे में तो भारत में सिर्फ दो दल होने चाहिए।