योगीराज: RSS की नीतियों से खिन्न गोरखपुर के नवनिर्वाचित सांसद ने सपरिवार हिन्दू धर्म छोड़ा, अपनाया ये धर्म

Update: 2018-03-20 11:18 GMT

लखनऊ: गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी के हारने के बाद RSS और बीजेपी के लोगो ने यह बात बोलना शुरू कर दिया था कि यह हार सिर्फ बीजेपी की ही नहीं सारे हिन्दूओ की हार हैं। जो इस बात को स्पष्ट करता है, कि पिछडी जाति के लोग भी हिन्दू नहीं हैं, इन्हीं सब बातो से आहत होकर गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव जीतकर संसद पहुचने वाले नवनिर्वाचित सासंद इ.प्रवीण निषाद ने कुशीनगर के पूज्य भन्ते श्री भन्ते उत्तरानन्द जी से स्वेच्छा से अपने पिता श्री डा. संजय निषाद के साथ सपरिवार बौद्ध धम्म ग्रहण कर लिया। बताते चले कि सांसद प्रवीण कुमार का ये कोई पहला मामला नही है आरएसएस बजरंग दल के लोगों की कार्यशैली परेशान बोहोत से लोगो ने हिंदू धर्म को त्यागा है,वही बात अगर भाजपा की की जाए तो इनकी नीति भी लोगों को कम ही भाती है खास कर के पिछड़ी जारी के लोगों को इसी को लेकर कई बार लोगों ने इस्लाम धर्म या बौद्ध धर्म को अपनाया है कि बार तो ऐसा हुआ है कि पूरे पूरे गांव ने हिंदू धर्म छोड़ने की धमकी दी है जिसका वीडियो युट्यूब पर मौजूद है। गोरखपुर लोकसभा सीट पर 29 सालों के बाद पहली बार कोई गोरक्षा धाम मठ से बाहर का व्यक्ति सांसद बना है। पांच बार से योगी आदित्यनाथ यहां से सांसद बनते रहे, उससे पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ इस सीट का प्रतिनिधित्व किया करते थे, लेकिन अब उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत के साथ ही प्रवीण कुमार निषाद गोरखपुर के सांसद बन गए है।                 


संतोष उर्फ प्रवीण कुमार निषाद गोरखपुर के कैम्‍पियरगंज क्षेत्र के रहने वाले हैं। गोरखपुर के नए सांसद की उम्र केवल 29 वर्ष है। प्रवीण निषाद ने पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा। प्रवीण ने एनएनआईटी ग्रेटर नोएडा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है। नौकरी के दौरान ही उन्होंने सिक्किम मनीपाल यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से एमबीए किया। प्रवीण द्वारा जमा किए गए हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है और उनके पास कोई भी जमीन नहीं है। प्रवीण ने नामांकन के दौरान जमा शपथपत्र में कुल 11 लाख रुपये की संपत्ति दिखाई है। जिसमें उन पर 99 हजार रुपये का कर्ज भी है। प्रवीण की पत्नी रितिका सरकारी नौकरी करती हैं। प्रवीण और रितिका को एक बेटा और एक बेटी भी है।                 


राजनीति प्रवीण के लिए नई नहीं है, यह उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है। उनके पिता डॉ. संजय निषाद राष्ट्रीय निषाद पार्टी के संस्थापक थे। साल 2013 में उन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया था। वर्ष 2009 से 2013 तक उन्होंने राजस्थान के भिवाड़ी में एक प्राइवेट कंपनी में बतौर प्रोडक्शन इंजीनियर नौकरी की थी, लेकिन उनको यह रास नहीं आया और वह वापस गौरखपुर लौट आए और अपने पिता की पार्टी में शामिल हो गए। उस वक़्त प्रवीण कुमार निषाद उस पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए थे। राजनीति में आने के बाद प्रवीण निषाद लगातार सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। इसी कारण गोरखपुर में उन्होंने खुद की पहचान बनाई। गोरखपुर उपचुनाव की सुगबुगाहट के बाद उनके पिता ने सपा से तालमेल किया।



निषाद समाज में पैठ के कारण प्रवीण को सपा ने टिकट दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव में भाजपा चित हो गई। गोरखपुर में भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ल को सपा के प्रवीण निषाद ने 21961 मतों से हराया। प्रवीण को गोरखपुर के उपचुनाव में कुल 4,56,513 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी उम्मीदवार उपेन्द्र शुक्ल को 4,34,625 वोट मिले। फूलपुर में भाजपा के कौशलेंद्र पटेल को सपा के नागेंद्र पटेल ने 59613 मतों से हरा दिया। वहीं अररिया सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार सरफराज आलम ने 61988 मतों से जीत हासिल की है।

Similar News