CBI कस्टडी से सौ किलो सोना ग़ायब, कोर्ट ने सीबी-सीआईडी ​​को सौंपी जांच, जानीये क्या है पूरा मामला

तमिलनाडु में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने छापेमारी के दौरान 103 किलोग्राम से अधिक का सोना (Gold) जब्त किया था। जो अब सीबीआई की कस्टडी से गायब है। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सीबी-सीआईडी (CB-CID) को मामले की जांच का आदेश दिया।

Update: 2020-12-12 05:30 GMT

CBI कस्टडी से सौ किलो सोना ग़ायब, कोर्ट ने सीबी-सीआईडी ​​को सौंपी जांच, जानीये क्या है पूरा मामला

जनशक्ति: तमिलनाडु में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने छापेमारी के दौरान 103 किलोग्राम से अधिक का सोना (Gold) जब्त किया था। जो अब सीबीआई की कस्टडी से गायब है। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सीबी-सीआईडी (CB-CID) को मामले की जांच का आदेश दिया। सीबीआई की टीम ने 2012 में चेन्नई के सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड के दफ्तर में छापा मारा था। सीबीआई ने रेड के दौरान वहां से सोने की ईंटों और गहनों के रूप में 400.5 किलोग्राम सोना जब्त किया था। जब्त किए गए सोने को सीलकर सीबीआई की सेफ कस्टडी में रखा गया था, लेकिन अब जब्त किए गए सोने में से 103 किलोग्राम से अधिक का सोना गायब है।

इस सोने की कीमत करीब 43 करोड़ रुपये है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई को शर्मिंदा होना पड़ा है। एजेंसी का कहना है कि यदि स्थानीय पुलिस द्वारा जांच की जाती है तो सीबीआई की प्रतिष्ठा नीचे आ जाएगी। कोर्ट ने सीबीआई की स्थानीय पुलिस द्वारा जांच ना कराये जाने की याचिका को खारिज कर दिया है और सीबी-सीआईडी ​​को एफ़आईआर दर्ज करने के लिए कहा है।

कोर्ट ने कहा "यह सीबीआई के लिए अग्नि परीक्षा हो सकती है, लेकिन इसका कुछ नहीं किया जा सकता। अगर सीता की तरह उनके हाथ साफ हैं, तो वे बच जाएंगे और यदि नहीं, तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।" सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक ने राज्य पुलिस के बजाय सीबीआई या राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराने की बात कही है।

इसपर न्यायाधीश पी एन प्रकाश ने कहा कि अदालत ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि कानून इस तरह के आक्षेप को मंजूरी नहीं देता है। जज ने कहा कि सभी पुलिसकर्मियों पर भरोसा किया जाना चाहिए और यह कहना कि सीबीआई अलग है और स्थानीय पुलिस को उसकी जांच नहीं करनी चाहिए गलत है।

सीबीआई की ओर से जानकारी दी गई है कि सेफ और वॉल्ट्स की 72 चाबियों को चेन्नई की प्रिसिंपल स्पेशल कोर्ट को सौंप दिया था। सीबीआई की ओर से दावा किया गया है छापेमारी के दौरान जब सोना जब्त किया गया था उस दौरान सोने को एक साथ लिया गया था जबकि एसबीआई और सुराना के बीच कर्ज के मामले के निस्तारण के लिए नियुक्त किए गए लिक्विडेटर को सौंपते वक्त वजन अलग-अलग किया गया है। यही कारण है कि सोने के वजन में अंतर दिखाई दे रहा है।

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