किसान आंदोलन: अब तक 20 प्रदर्शनकारियों की मौत, 20 दिसंबर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे किसान

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने इन मौतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। किसान नेताओं का कहना है कि अगर सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो उनका आंदोलन जारी रहेगा। भले ही हमें अपने जीवन का भुगतान करना पड़े, हम अंत तक लड़ेंगे और जीतेंगे।

Update: 2020-12-16 05:02 GMT

किसान आंदोलन: अब तक 20 प्रदर्शनकारियों की मौत, 20 दिसंबर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे किसान

जनशक्ति: केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। इस आंदोलन में अब तक 20 किसानों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को सिंघू बॉर्डर पर डटे किसानों ने ऐलान किया कि वे आंदोलन शुरू होने के बाद से दम तोड़ने वाले 20 किसानों को 20 दिसंबर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। श्रद्धांजलि सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक अर्पित की जाएगी।

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने इन मौतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा, "इन मौतों के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है। भले ही हमें अपने जीवन का भुगतान करना पड़े, हम अंत तक लड़ेंगे और जीतेंगे।"

प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग के खिलाफ विभिन्न आरोपों को खारिज करते हुए किसान नेताओं ने कहा, "केंद्र सरकार हमारे बीच दरार पैदा नहीं कर सकती।" जब किसान नेता मीडिया को संबोधित कर रहे थे, उस समय भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के महासचिव युद्धवीर सिंह भी मौजूद थे। इसके अलावा भाकियू के हरियाणा चैप्टर के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, जगजीत सिंह दल्लेवाला, ऋषि पाल अंबावता और संदीप गिद्दे जैसे अन्य लोग भी वहीं थे।


प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हुए युद्धवीर सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री उद्योगपतियों को फिक्की के अपने संबोधन के दौरान बता रहे थे कि किसानों के लिए कृषि क्षेत्र खोला गया है। वह पूरी दुनिया के साथ 'मन की बात' कर रहे हैं, लेकिन हम किसानों के लिए समय नहीं है।"

एक बार फिर से स्थिति स्पष्ट करते हुए दल्लेवाला ने कहा कि वे कानूनों में संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं, बल्कि उनकी मांग है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। उन्होंने दावा किया कि यह किसानों के आंदोलन का कारण ही है कि केंद्र संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुला रहा है। उन्होंने कहा, "सरकार कहती है कि वह कानूनों को रद्द नहीं करेगी, लेकिन हम उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर देंगे।"

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