खतरा: कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में गंभीर बीमारी, आईसीयू में लगी कतार
देश में एक ओर कोविड 19 महामारी भारी तबाही मचा रही है तो वहीं अब एक और जानलेवा बीमारी गुजरात में देखने को मिल रही है। यहां ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाने वाला म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) का प्रकोप पैर पसार चुका है।
देश में एक ओर कोविड 19 महामारी भारी तबाही मचा रही है तो वहीं अब एक और जानलेवा बीमारी गुजरात में देखने को मिल रही है। यहां ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाने वाला म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) का प्रकोप पैर पसार चुका है। यह बीमारी कोरोना से उबर चुके मरीजों को फिर से आईसीयू और सर्जिकल वॉर्ड में धकेल रही है। जिन लोगों को कंट्रोल के बाहर डायबीटीज है या फिर कोरोना के इलाज में जिन्हें हैवी स्टेरॉयड दी गई हैं उन पर इसका खतरा अधिक मंडरा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक वरिष्ठ ईएनटी एक्सपर्ट डॉ नवीन पटेल कहते हें, 'एमएम की सुनामी जैसी आई है जो कोरोना से उबर चुके मरीजों के लिए जानलेवा सिद्ध हो रही है। कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड का सोच समझकर उपयोग करना होगा।'
इन मरीजों को भयानक दर्द का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से 20 से 30 फीसदी मरीज अपनी आंखें खो बैठते हैं। लाखों रुपये खर्च करके जिन पेशंट की जान बचाई जा रही है वे अब इस बीमारी से पीड़ित होने लगे हैं। वहीं इनके उपचार में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन अम्फोटेरिसिन बी की किल्लत शुरू हो गई है। यह अब लगभग दोगुने दामों पर मिल रहा है।
चिकित्सकों का कहना है कि पहले साल भर में इस बीमारी का एक मरीज आता था। मगर अब हर रोज 5 से 6 मरीजों की सर्जरी में 14-16 घंटे व्यस्त रहना पड़ रहा है। पिछले एक माह में ईएनटी सर्जन ऐसे करीब 150 मरीजों की सर्जरी कर चुके हैं।
एमएम से ग्रस्त और कोविड 19 से सही होने वाले मरीजों में चेहरे में तेज दर्द होता है, तेज सिर दर्द होता है, नाक और साइनस ब्लॉक रहते हैं, मुंह के अंदर तालू के पास काले रंग के घाव हो जाते हैं, आंखों में दर्द रहता है और आंखों की रौशनी जाने का डर बना रहता है। जितनी जल्दी इन लक्षणों से रोग की पहचान हो इलाज में उतनी सफलता मिलने की संभावना रहती है।