मशहूर समाजसेवी बाबा आमटे की पोती डॉ. शीतल आमटे ने की आत्महत्या, जानिए क्या था मामला
समाजसेवी बाबा आमटे की पोती और आनंदवन के महारोगी सेवा समिति की सीईओ डॉक्टर शीतल आमटे ने जहर का इंजेक्शन लगाकर खुदकुशी की, घर पर मिला शव
जनशक्ति डेस्क: समाजसेवी बाबा आमटे की पोती डॉक्टर शीतल आमटे ने खुदकुशी कर ली है। वे आनंदवन के महारोगी सेवा समिति की सीईओ थीं। डॉक्टर शीतल आमटे ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर में सोमवार सुबह जहर का इंजेक्शन लगाकर जान दे दी। सोमवार सुबह उन्हें वरोरा के उपजिला अस्पताल इलाज के लिए ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
बताया जा रहा है कि वे कुछ दिनों से परेशान चल रही थीं। उन्होंने आमटे महारोगी सेवा समिति में वित्तीय घोटाले की बात कही थी। वे महारोगी सेवा समिति में कई वर्षों से अपने परिवार के साथ मिलकर कुष्ठ रोगियों के लिए काम कर रही थीं। कुष्ठ रोगियों की सेवा में उनके पति भी उनका साथ देते थे। डॉक्टर शीतल विकास आमटे और भारती आमटे की बेटी हैं। डॉक्टर प्रकाश आमटे शीतल के चाचा थे। डॉक्टर शीतल को वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने 2016 में यंग ग्लोबल लीडर चुना था।
करीब सात दशक से बाबा आमटे का परिवार चंद्रपुर के आनंदवन में कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहा है। आनंदवन में आर्थिक घोटालों का आरोप सामने आने पर परिवार ने कहा था कि शीतल को गलतफहमी हो गई है। दरअसल शीतल ने सोशल मीडिया पर घोटाले का मुद्दा सार्वजनिक किया था। खुदकुशी करने से पहले सुबह करीब पौने 6 बजे शीतल ने सोशल मीडिया पर एक पेंटिंग शेयर की थी। जिसमें उन्होंने लिखा था कैनवास पर वॉर और पीस के एक्रेलिक। उसके बाद उन्होंने खुदकुशी कर ली। पुलिस इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है।
घर में मृत मिली
पुलिस के मुताबिक शीतल आमटे अपने घर में अचेत अवस्था में मिली। उन्हें वरोरा के उपजिला अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने बताया कि शीतल आमटे के शरीर के पास से जहरीले इंजेक्शन बरामद हुए हैं। ऐसे में आशंका है कि उन्होंने खुद को जहरीला इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या की है। डॉक्टर शीतल आमटे को जनवरी 2016 में विश्व आर्थिक मंच द्वारा 'यंग ग्लोबल लीडर 2016' के रूप में चुना गया था।
कौन हैं बाबा आमटे?
Baba Amte Biography in Hindi | बाबा आमटे का जीवन परिचय बाबा आमटे का पूरा नाम डॉ मुरलीधर देवीदास आमटे था। वे देश के प्रख्यात और सम्माननीय समाजिक कार्यकर्ता Social Worker थे। उन्होंने आनंदवन की स्थापना कर कुष्ट रोगियों को नये जीवन और नये संघर्ष के लिए रास्ता दिया। उन्होंने वन्य जीव संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक बनाने के लिए नई तरह के क्रियाकलाप आरंभ किया। नर्मदा को भी प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए भी इन्होंने आंदोलन चलाया। 26 दिसंबर 1914 को जन्मे बाबा का 94 वर्ष की आयु में 9 फरवरी 2008 को निधन हो गया.