किसान आंदोलन : किसान संगठनों ने दिया संकेत, आज बन सकती है सरकार के साथ वार्ता पर बात

किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। वहीं, केंद्र सिर्फ संशोधन की बात कह रही है। गुरुवार को भेजे गए पत्र में केंद्र ने एमएसपी का जिक्र किया था। जिसमें स्पष्ट तौर से कहा था कि इसका नए कानून से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए इस पर बातचीत करना तर्कसंगत नहीं है।

Update: 2020-12-26 06:06 GMT

किसान आंदोलन : किसान संगठनों ने दिया संकेत, आज बन सकती है सरकार के साथ वार्ता पर बात

जनशक्ति: नए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन का एक महीना हो चुका है। बीते महीने इसी तारीख को पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों के किसान 'दिल्ली चलो' नारो के साथ राजधानी के लिए कूच किया था। एक महीने बीत जाने के बाद भी इसका समाधान नहीं निकाला जा सका है। कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। अब फिर से केंद्र ने किसानों को बातचीत का न्योता दिया है। जिस पर आज यानी शनिवार को किसान मंथन करेंगे और भेजे गए पत्र को लेकर जवाब देंगे। वहीं, किसान संगठनों ने आज के दिन को धिक्कार दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है।

किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। वहीं, केंद्र सिर्फ संशोधन की बात कह रही है। गुरुवार को भेजे गए पत्र में केंद्र ने एमएसपी का जिक्र किया था। जिसमें स्पष्ट तौर से कहा था कि इसका नए कानून से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए इस पर बातचीत करना तर्कसंगत नहीं है।

इससे इतर केंद्र कानून का बचाव भी अपने हर एक संवाद में करती नजर आ रही है। कृषि मंत्री, गृह मंत्री और देश के प्रधानमंत्री लगातार कृषि कानून के फायदे बता रहे हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। इसलिए केंद्र की चिठ्ठी पर संयुक्त किसान मोर्चा आज बैठक करेंगे और सरकार के प्रस्ताव पर मंथन करेंगे। किसानों ने 'कार्पोरेट' बहिष्कार की अपील की है। इसके अलावा 27 दिसंबर को किसान थाली बजाकर 'मन की बात' का विरोध करेंगे।

दरअसल, गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से किसानों को फिर से चिट्ठी लिखकर बातचीत की टेबल पर लौटने की अपील की गई थी। चिट्ठी में कहा गया कि वो सभी मुद्दों पर खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है, साथ ही एमएसपी के बारे में लिखित आश्वासन देने के लिए भी तैयार है। बुधवार को किसानों ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन की बात भी उठाई थी। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि नई मांग रखना तर्कसंगत नहीं है, फिर भी इस पर चर्चा की जा सकती है।


किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत ने सरकार को बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर लेकर परेड में किसान जाएंगे। तिरंगे के साथ किसान ट्रैक्टर लेकर राजपथ पर जाएगा। देखते हैं किसानों को कौन रोकता है और कौन वॉटर कैनन चलाता है। अब तक किसानों और सरकार के बीच 6 राउंड की बातचीत हो चुकी है। इस बीच केंद्र विपक्ष पर भी हमला कर रही है। आरोप है कि ये किसानों को गुमराह कर रहे हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि 'जमीनी आधार खो चुके लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं।

आंदोलन के 30वें दिन यानी शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 7 राज्यों के किसानों से बातचीत की। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा के किसान प्रधानमंत्री के साथ चर्चा में शामिल हुए। किसानों से 80 मिनट की बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने 20 मिनट सिर्फ किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखी, किसानों के विचार सुने। पीएम मोदी ने एक बार फिर कृषि कानून को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की कोशिश की।

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