Farmers Protest: 32वां दिन, किसान बातचीत के लिए तैयार, लेकिन शर्त बरकरार- अब आगे क्या?

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि किसानों ने भी अपनी शर्तें रखी हैं। इसके लिए 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे का समय प्रस्तावित किया है। ऐसे में अब गेंद सरकार के पाले में है।

Update: 2020-12-27 04:09 GMT

Farmers Protest: 32वां दिन, किसान बातचीत के लिए तैयार, लेकिन शर्त बरकरार- अब आगे क्या?

जनशक्ति: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि किसानों ने भी अपनी शर्तें रखी हैं। इसके लिए 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे का समय प्रस्तावित किया है। ऐसे में अब गेंद सरकार के पाले में है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार सोमवार तक किसान संगठनों को बातचीत के प्रस्ताव पर स्वीकृति पत्र भेज देगी। बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का 31 दिनों से आंदोलन जारी है और शनिवार को समझौते के लिए सरकार की ओर से पिछले दिनों एक पत्र भेजा गया था, जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से 29 दिसंबर को बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा है।


बातचीत को लेकर किसान संगठनों ने सरकार के सामने चार शर्तें भी रखी हैं। साथ ही किसानों ने कहा कि सरकार किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें। किसानों का कहना है कि पहले सरकार तीनों नए कृषि कानून रद्द करे। दूसरे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी दी जाए। तीसरे बिजली बिल ड्राफ्ट में बदलाव की मांग है और चौथे पराली कानून से किसनों को बाहर रखा जाए। कृषि कानूनों के प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं।

बता दें कि 23 दिसम्बर को किसान संगठनों ने सरकार की ओर से पहले भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि सरकार की ओर से कुछ ठोस प्रस्ताव आने के बाद ही बातचीत करने पर विचार किया जाएगा। इसके बाद 24 दिसंबर को सरकार ने किसान संगठनों को फिर से बातचीत का निमंत्रण दिया। किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में सरकार ने उनसे बातचीत की तारीख और समय बताने को कहा था।

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