Delhi Chalo March: 'इस देश में किसान होना अपराध है'?
Delhi Chalo March: छह राज्यों के 500 संगठनों से जुड़े किसान नए कृषि कानूनों का विरोध करने दिल्ली कूच (Delhi Chalo) कर रहे हैं । प्रशासन उन्हें हर हाल में दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना चाहता है। सरकार की ओर से आदेश हैं कि किसी भी हाल में किसानों का विरोध (Delhi farmer Protest) दिल्ली में न हो।
Delhi Chalo March: छह राज्यों के 500 संगठनों से जुड़े किसान नए कृषि कानूनों का विरोध करने दिल्ली कूच (Delhi Chalo) कर रहे हैं । प्रशासन उन्हें हर हाल में दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना चाहता है। सरकार की ओर से आदेश हैं कि किसी भी हाल में किसानों का विरोध (Delhi farmer Protest) दिल्ली में न हो। किसानों को बॉर्डर पर ही रोकने के लिए भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है। बैरिकेडिंग की गई है। किसानों पर आंसू गैस के गोले बरसाए जा रहे हैं और वॉटर कैनन से किसानों को रोका जा रहा है। अंबाला में पंजाब-हरियाणा बॉर्डर के पास पंजाब के किसानों और हरियाणा पुलिस के बीच झड़प की खबरें हैं। किसानों ने पुलिस द्वारा लगाए बैरिकेड तोड़ पुल से नीचे फेंक दिए हैं।
प्रदर्शन करने से क्यों रोक रही सरकार?
दिल्ली पुलिस के अनुसार कई किसान संगठनो द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में नए कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की इजाज़त मांगी गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। दिल्ली पुलिस ने किसानों को चेतावनी दी थी कि अगर किसी भी तरह का प्रदर्शन या जमावड़ा कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली में किया गया तो कानूनी कार्यवाई की जाएगी। इसके बावजूद किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं।
केंद्र सरकार हर हाल में किसान प्रदर्शन को दबाना चाहती है उनके अनुसार कुछ लोग राजनीतिक फायदे कि लिए किसानों को इस कानून के खिलाफ भड़का रहे हैं। जबकि यह कानून किसानों की भलाई के लिए है। इस नए कानून से किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और बिचौलियों की समाप्ति हो जाएगी। सरकार का मानना है कि बिचौलियों के हितैशी लोग ही विरोध प्रदर्शन को हवा दे रहे हैं। आपको बता दें कि सरकार के खिलाफ इतना बड़ा प्रदर्शन अगर दिल्ली में होगा तो इस कानून के खिलाफ माहौल बनाने में किसान संगठनों को सफलता मिल जाएगी। सरकार इस विरोध को हरियाणा पंजाब तक ही सीमित रखना चाहती है।
क्या इस देश में किसान होना अपराध है?
किसानों के साथ मार्च कर दिल्ली आ रहे किसान नेता योगेंद्र यादव को पुलिस ने गुरुग्राम के पास से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस द्वारा हिरासत में लेने पर योगेंद्र यादव ने कहा, मुझे कह रहे हैं कि मैं शांति भंग करा हूं। कहा जा रहा है कि महामारी एक्ट का उल्लंघन कर रहा हूं। किसानों पर पानी की बौछार की जा रही हैं, क्या इस देश में किसान होना अपराध है?
गणतंत्र की रक्षा के लिए आगे आना होगा
प्रशांत भूषण ने किसानों पर किए जा रहे बल प्रयोग पर ट्वीट करते हुए लिखा कि संविधान दिवस के दिन किसानों को दिल्ली में शांति पूर्ण प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है। मौलिक अधिकारों का हनन देश में हो रहा होता है तब सुप्रीम कोर्ट उसके बचाव में नहीं आता तो ऐसे में हमें अपने गणतंत्र की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन संवैधानिक अधिकार है
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी किसानों को दिल्ली आने से रोके जाने का विरोध किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार के तीनों खेती बिल किसान विरोधी हैं। ये बिल वापिस लेने की बजाय किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है, उन पर वॉटर कैनन चलाई जा रही हैं। किसानों पर ये जुर्म बिलकुल ग़लत है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन उनका संवैधानिक अधिकार है।
दिल्ली में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस तरह से किसानों का जमावड़ा किसानों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो सकता है। लेकिन किसानों का इसके पीछे तर्क है कि बिहार में चुनावों में नेताओं की रैली पर रोक नहीं लगाई जाती। नेता जब चाहे जहां चाहे कोरोना महामारी के बीच लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकता है लेकिन जब किसान शांतिपूरण ढंग से प्रदर्शन करना चाहता है तो कोरोना का डर दिखाया जाता है। योगेंद्र यादव ने कहा कि क्या इस देश में किसान होना अपराध है? रविवार को मेवात में हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की रैली थी तब कोरोना नहीं था क्या?" जब सरकार कोरोना के दौरान यह काले कानून पास कर सकती है तो किसान क्या उसका विरोध भी नहीं कर सकते।