महात्मा गांधी की पड़पोती को चोरी और धोखाधड़ी के आरोप में 7 साल की जेल, जानें पूरा मामला

महात्मा गांधी की पड़पोती आशीष लता रामगोबिन को 6 मिलियन रैंड (3 करोड़ 22 लाख 84 हजार 460 भारतीय रुपये) धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में दोषी पाया गया है. उन्हें दक्षिण अफ्रीका के डरबन की एक अदालत ने सात सात जेल की सजा सुनाई है.

Update: 2021-06-08 10:37 GMT

दक्षिण अफ्रीका में रह रही महात्मा गांधी की पड़पोती को फर्जीवाड़े के आरोप में जेल भेज दिया गया है। 56 वर्ष की आशीष लता रामगोबिन को डरबन के एक कोर्ट ने 60 लाख रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में 7 साल जेल की सजा सुनाई है। सोमवार को अदालत ने अपना निर्णय सुनाया जिसमें आशीष लता रामगोबिन को दोषी करार दिया गया।

स्वयं को कारोबारी बताने वाली लता ने स्थानीय कारोबारी से धोखे से 62 लाख रुपये हड़प लिए। धोखाधड़ी का शिकार हुए एसआर महाराज के अनुसार लता ने उन्हें फायदे का लालच देकर उनसे पैसे लिए थे। लता रामगोबिन पर व्यवसायी एसआर महाराज को धोखा देने का आरोप लगा था। महाराज ने लता को एक कनसाइंमेंट के इम्पोर्ट और कस्टम क्लियर करने लिए 60 लाख रुपये दिए थे मगर ऐसा कोई कनसाइंमेट था ही नहीं। लता ने वादा किया था कि वो इसके मुनाफे का हिस्सा एसआर महाराज को देंगी।

गौरतलब है कि लता रामगोबिन प्रख्यात मानवाधिकार इला गांधी और दिवंगत मेवा रामगोबिंद की बेटी हैं, लता को डरबन स्पेशलाइज्ड कमर्शियल क्राइम कोर्ट ने दोषी पाए जाने और सजा दोनों के विरुद्ध अपील करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि लता रामगोबिन ने न्यू अफ्रीका अलायंस फुटवियर डिस्ट्रीब्यूटर्स के डायरेक्टर महाराज से अगस्त 2015 में मुलाकात की थी।

एसआर महाराज की कंपनी कपड़े, लिनन के कपड़े और जूते का आयात, निर्माण और बिक्री का कार्य करती है। वहीं महाराज की कंपनी अन्य कंपनियों को प्रोफिट-शेयर के आधार पर पैसे भी देती है। लता रामगोबिन ने महाराज से कहा था कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी अस्पताल ग्रुप नेटकेयर के लिए लिनन के कपड़े के 3 कंटेनर आयात किए हैं।

कोर्ट में बताया गया कि लता ने एसआर महाराज से कहा कि उसे आयात लागत और सीमा शुल्क का भुगतान करने के लिए पैसे की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और उसे बंदरगाह पर सामान खाली करने के लिए पैसे की आवश्यकता थी।"

इसके बाद आशीष लता ने एसआर महाराज से कहा कि उसे 62 लाख रुपये की आवश्यकता है और अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उसने दस्तखत किया हुआ खरीदारी का ऑर्डर भेजा जो यह दिखाता कि लता ने माल खरीदा है।मगर महाराज को अंतिम में पता चल गया कि जो कागजात उसे दिखाए गए हैं वो नकली है और उसने लता के विरुद्ध मुकदमा दायर कर दिया। 

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