कौन है अनिल देशमुख जिन्होंने उड़ा दी है उद्धव ठाकरे की नींद, अब क्या करेंगे शरद पवार

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों भारी हलचल है। दरअसल मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्र के बाद उद्धव सरकार के सामने नई मुसीबत आ गई है। वहीं महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का सियासी करियर भी ख़तरे में लगने लगा है।

Update: 2021-03-21 04:43 GMT

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों भारी हलचल है। दरअसल मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्र के बाद उद्धव सरकार के सामने नई मुसीबत आ गई है। वहीं महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का सियासी करियर भी ख़तरे में लगने लगा है। बता दें कि परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों को हर महीने सौ करोड़ रुपए की उगाही का लक्ष्य दिया था। इस पत्र के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा जहां शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार को घेरने में लग गई है। वहीं अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सामने डैमेज कंट्रोल करने की बड़ी चुनौती है।

आखिर कौन हैं अनिल देशमुख जिनकी वजह से ठाकरे सरकार परेशानियोंमें घिर गई है?

दरअसल, अनिल देशमुख महाराष्ट्र की सियासत के ऐसे कुछ नेताओं में से हैं जिन्होंने हर पार्टी की सरकार में अपना स्थान बनाने में सफलता हासिल की है। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बनी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के 5 साल के शासनकाल को छोड़ दिया जाए तो देशमुख 1995 के बाद से लगातार मंत्री रहे हैं।अनिल देशमुख महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के नागपुर ज़िले के कटोल के पास वाडविहिरा गांव के हैं। उन्होंने वर्ष 1995 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता। तब उन्होंने शिवसेना भाजपा सरकार का समर्थन किया और बदले में मंत्रीपद लिया। हालांकि बाद में वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ आ गए। अनिल देशमुख को शरद पवार का बेहद करीबी माना जाता है। देशमुख विदर्भ से आते है। माना जाता है कि इस क्षेत्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विस्तार के उद्देश्य से ही उन्हें गृह मंत्री का पद दिलवाया गया।

राजनीतिक करियर

नागपुर में पले बढ़े अनिल देशमुख ने 1970 के दशक में ही सियासत में पांव रख दिया था। पहली बार 1992 में जिला परिषद के चुनाव से उन्होंने चुनावी राजनीति में पदार्पण किया। वो ज़िला परिषद का चुनाव जीत गए थे। यहीं से उन्होंने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। उन्होंने साल 1995 में कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगा मगर जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े और जीत भी गए।

  1. -शिवसेना भाजपा की गठबंधन सरकार का समर्थन कर 1995 में वो स्कूली शिक्षा विभाग और सांस्कृतिक विभाग के मंत्री बन गए
  2. -1999 में शरद पवार ने जब कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी का गठन किया तो अनिल देशमुख भी पार्टी में शामिल हो गए
  3. -1999 में वो एनसीपी के टिकट फिर एक बार चुनाव जीते। साल 2004 में तीसरी बार काटोल से जीतकर उन्होंने जीत की हैटट्रिक लगाई
  4. -अनिल देशमुख वर्ष 2014-2019 के बीच भाजपा-शिवसेना सरकार को छोड़कर 1995 के बाद से महाराष्ट्र की हर सरकार में मंत्री रहे हैं। उन्होंने स्कूली शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, आबकारी विभाग और गृह मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली है
  5. -अनिल देशमुख के कई फैसलों की चर्चा हुई। सिनेमाघरों में राष्ट्रगीत के प्रसारण का निर्णय उन्होंने ही लिया था। उन्होंने महाराष्ट्र में गुटखा खाने पर रोक भी लगाई थ

विवादों से नाता

मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के क़रीब मिली विस्फोटकों से भरी कार की जांच के विवाद में अब गृहमंत्री अनिल देशमुख भी फंस गए हैं। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पत्र लिखकर गृहमंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब किसी वरिष्ठ अधिकारी ने देशमुख पर निशाना साधा है। अप्रैल 2020 में महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेट्री कमिशन के चेयरमैन आनंद कुलकर्णी ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए देशमुख के विरुद्ध पोस्ट लिखी थी। अपनी पोस्ट में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने देशमुख के पिछले कामों पर होमवर्क किया है और वो सही वक्त पर जुटाई गई जानकारियों को सार्वजनिक करेंगे।

देशमुख अपने बयानों से भी चर्चित रहे। जब अन्वय नाइक की मौत के मामले में टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी घिर रहे थे तब उन्होंने विधानसभा में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने कार्यकाल के दौरान इस मामले को दबा दिया था। वहीं जब महाराष्ट्र कोविड महामारी में घिरा तो अनिल देशमुख ने पुलिसकर्मियों को अपनी लाठियों में तेल लगाने की बात कह दी। उनके इस बयान पर भी भारी विवाद हुआ था।

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