क्या लोकतंत्र बन रहा है मोदी सरकार के रास्ते का पत्थर? अमिताभ कांत ने क्यों कहा "Too Much Democracy"
Too Much Democracy: नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने एक वीडियो कांफ्रेंस के दौरान कहा कि भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है, जिसके कारण यहां पर कड़े सुधारों को लागू करना काफी मुश्किल होता है। अमिताभ कांत स्वराज पत्रिका की ओर से आयोजित 'आत्मनिर्भर भारत की राह' विषय पर एक ऑन लाइन इवेंट में बोल रहे थे।
Too Much Democracy: नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने एक वीडियो कांफ्रेंस के दौरान कहा कि भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है, जिसके कारण यहां पर कड़े सुधारों को लागू करना काफी मुश्किल होता है। अमिताभ कांत स्वराज पत्रिका की ओर से आयोजित 'आत्मनिर्भर भारत की राह' विषय पर एक ऑन लाइन इवेंट में बोल रहे थे। वीडियो कांफ्रेंस के दौरान अमिताभ कांत ने कहा कि कहा कि मोदी सरकार ने खनन, कोयला, कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाया है। अब राज्यों को सुधारों को आगे के चरण को आगे बढ़ाना चाहिए। साथ ही उन्होंने राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी बात कही। इसके साथ ही अमिताभ कांत ने मोदी सरकार के कृषि क़ानून का भी बचाव किया और कहा कि इससे किसानों को विकल्प मिलेगा।
क्या पूरा मामला ?
वीडियो कांफ्रेंस के दौरान अमिताभ कांत से पूछा गया कि अगर कोविड 19 महामारी में भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का मौक़ा दिया है तो ऐसी कोशिश तो पहले भी की गई थी। इस पर नीति आयोग के सीईओ ने कहा, "भारत में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है। हमारे यहां लोकतंत्र कुछ ज़्यादा ही है (Too Much Democracy)। पहली बार कोई सरकार हर सेक्टर में सुधारों को लेकर साहस और प्रतिबद्धता दिखा रही है। कोल, कृषि और श्रम सेक्टर में सुधार किए गए हैं। ये बहुत ही मुश्किल रिफ़ॉर्म हैं। इन्हें लागू करने के लिए गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धता की ज़रूरत होती है।"
इस बयान के बाद अमिताभ कांत घिर गए
सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर अमिताभ कांत पर निशाना साधा है। प्रशांत भूषण ने लिखा है, "आलोचना के बाद अमिताभ कांत ने अपने बयान से पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद मीडिया में भी स्टोरी डिलीटी कर दी गई लेकिन वीडियो डिलीट करना भूल गए।" प्रशांत भूषण ने अमिताभ कांत की कही बातों के उस हिस्से का वीडियो भी पोस्ट किया है।
CEO of Niti Aayog, Amitabh Kant says: We have too much democracy! Hard reforms like mining & farm reforms can't be pushed through with this. Later while facing flak, he denied having said this! The Godi media withdrew that statement of his, but they forgot to delete this video! pic.twitter.com/JA5EVasErg
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 8, 2020
विवाद के बाद अमिताभ कांत ने भी ट्विटर पर स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मैंने जो कहा है वो ये बिल्कुल नहीं है। मैं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर बोल रहा था।"
This is definitely not what I said. I was speaking about MEIS scheme & resources being spread thin & need for creating global champions in manufacturing sector. https://t.co/6eugmtoinB
— Amitabh Kant (@amitabhk87) December 8, 2020
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भारत में लोकतंत्र (Too Much Democracy) के बयान के बाद, यह वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होना शुरू हो गया। लोगों ने बयान को लेकर मीम्स भी बनाना शुरू कर दिया।