किसान आंदोलन का 44वां दिन: आज सरकार के साथ होगी आठवें दौर की बातचीत, क्या दूर होगा गतिरोध?
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए किसानों को एक महीने से ज्यादा हो गया है। इस बीच किसानों और सरकार के बीत सात बार बातचीत हो चुकी है लेकिन उससे कोई बड़ा हल निकल कर नहीं आया है।
जनशक्ति: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए किसानों को एक महीने से ज्यादा हो गया है। इस बीच किसानों और सरकार के बीत सात बार बातचीत हो चुकी है लेकिन उससे कोई बड़ा हल निकल कर नहीं आया है। आज यानी शुक्रवार को किसान सरकार के साथ आठवें दौर की वार्त करेंगे। पिछली बार हुई बातचीत में सरकार मे उन कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया। किसानों का कहना है कि इन कानूनों से उनकी आय को नुकसान होगा और सरकार को ये कानून वापस लेने ही पड़ेंगे।
4 जवनरी को हुई अंतिम दौर की वार्ता में इस गतिरोध को समाप्त करने में विफल रही। सरकार का कहना है कि उसने किसानों के लिए एक अलग प्लान तैयार करके रखा है और किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मांगे पूरी नहीं होती है तो गणतंत्र दिवस पर वे योजनाबद्ध तरीके से मार्च निकालेंगे। इसी कड़ी में हजारों किसानों ने कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर शुक्रवार को दिल्ली की सीमाओं पर अपने शिविरों से ट्रैक्टर मार्च का मंचन किया।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सचिव अविक साहा ने कहा, "किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और हम आधिकारिक परेड में खलल डाले बिना गणतंत्र दिवस मनाने के लिए राजधानी में प्रवेश करेंगे।"