किसानों के आंदोलन पर बोले अखिलेश- 'अगर किसान आतंकवादी हैं तो भाजपाई उनका उगाया न खाएं'
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने किसान आंदोलन पर बीजेपी को घेरते हुए कहा कि किसानों (Farmer Protest) को आतंकवादी कहकर अपमानित करना भाजपा का निकृष्टतम रूप है. किसानों का यह उत्पीड़न बीजेपी को भारी पड़ेगा.
लखनऊ: किसान आंदोलन (Farmer Protest) के प्रति सरकार के रवैए पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों को आतंकवादी कहकर अपमानित करना भाजपा का निकृष्टतम रूप है. अखिलेश यादव ने रविवार सुबह ट्वीट कर किसान आंदोलन पर बीजेपी को घेरते हुए कहा कि किसानों को आतंकवादी कहकर अपमानित करना भाजपा का निकृष्टतम रूप है. ये अमीरों की पक्षधर भाजपा का खेती-खेत, छोटा-बड़ा व्यापार, दुकानदारी, सड़क, परिवहन सब कुछ, बड़े लोगों को गिरवी रखने का षड्यंत्र है. अगर भाजपा के अनुसार किसान आतंकवादी हैं तो भाजपाई उनका उगाया न खाने की कसम खाएं.
अखिलेश यादव ने किसानों पर पानी की बौछार और लाठियों की निंदा
इससे पहले समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के चलते देश का किसान समुदाय आंदोलित और आक्रोशित है. अन्नदाताओं की मांगों पर सकारात्मक रूख अपनाने के बजाय उन पर आंसू गैस के गोले दागना, ठंडे पानी की बौछार करना और लाठियां चलाना घोर निंदनीय है.
किसानों को आतंकवादी कहकर अपमानित करना भाजपा का निकृष्टतम रूप है. ये अमीरों की पक्षधर भाजपा का खेती-खेत, छोटा-बड़ा व्यापार, दुकानदारी, सड़क, परिवहन सब कुछ, बड़े लोगों को गिरवी रखने का षड्यंत्र है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 29, 2020
अगर भाजपा के अनुसार किसान आतंकवादी हैं तो भाजपाई उनका उगाया न खाने की कसम खाएं. pic.twitter.com/BAD6NSiBYZ
साथ ही उन्होंने कहा कि लगभग 70 प्रतिशत भारत कृषि पर निर्भर है, फिर भी अपने ही देश में भाजपा ने किसानों को बेगाना बना दिया है. उनकी आय दोगुनी करने, उनकी फसल के उत्पादन लागत का डेढ़ गुना देने जैसे वायदे भाजपा सरकार की जुमलेबाजी बनकर रह गए हैं.
किसानों का उत्पीड़न भाजपा को भारी पड़ेगा: अखिलेश यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि शांतिपूर्ण अहिंसात्मक प्रदर्शन करना लोकतंत्र में लोगों का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन भाजपा सरकार तो किसानों की बात सुनने के बजाय अपनी हठधर्मी पर जमी है. किसानों का यह उत्पीड़न भाजपा को भारी पड़ेगा.