भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 7.3% बढ़ोतरी, रोजाना औसतन होते हैं 87 रेप
2019 में प्रति एक लाख महिला आबादी पर 62.4 फीसदी केस रजिस्टर्ड हुए हैं, जो साल 2018 में 58.8 फीसदी था। इससे पहले देशभर में साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकडे भी कम नहीं थे। साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ 3,78, 236 मामले दर्ज किए गए थे। NCRB के आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में देश में रेप के 33,356 मामले दर्ज हुए।
नई दिल्ली। हाथरस में हुए गैंगरेप के बाद देश में अब न्याय की मांग उठने लगी है। एक बार फिर से दरिंदों की हवस का शिकार बनी मासूम को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। लेकिन यह पहला मामला नहीं है जहां किसी लड़की को बलात्कार का शिकार होने के बाद अपनी जिंदगी से भी हाथ धोना पड़ा हो।
इसी बीच नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने अपनी रिपोर्ट जारी कर यह बताया है कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 7.3% बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2019 में दर्ज मामलों के अनुसार भारत में औसतन रोजाना 87 रेप के मामले सामने आ रहे हैं। इस साल के शुरुआती नौ महीनों में देश में महिलाओं के खिलाफ अबतक कुल 4 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। महिलाओं के खिलाफ 4,05, 861 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार यह 2018 की तुलना में सात फीसदी ज्यादा है। रिपोर्ट इस बात को सबके सामने पेश करती है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पिछले साल के मुकाबले 7.3 प्रतिशत बढ़ गए हैं।
आपको बता दें कि साल 2019 में प्रति एक लाख महिला आबादी पर 62.4 फीसदी केस रजिस्टर्ड हुए हैं, जो साल 2018 में 58.8 फीसदी था। इससे पहले देशभर में साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकडे भी कम नहीं थे। साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ 3,78, 236 मामले दर्ज किए गए थे। NCRB के आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में देश में रेप के 33,356 मामले दर्ज हुए।
NCRB के आंकड़ों के अनुसार "भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज इन मामलों में से अधिकतर 'पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला पर की गई क्रूरता के 30.9% मामले हैं। इसी कड़ी में महिलाओंकि 'शीलता का अपमान करने के इरादे से महिलाओं पर हमले का प्रतिशत 21.8 है। आपको बता दें कि महिलाओं के अपहरण के 17.9 प्रतिशत मामले दर्ज हैं।
महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ते मामले और आए दिन रेप की बढ़ती घटनाएं सरकार के लिए भी एक बड़ा चिंता का विषय है। ऐसे में यह बहुत जरुरी हो जाता है कि अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए और अधिक कड़े कानून बनाए जाए।