अखिलेश यादव का जीवन परिचय | Akhilesh Yadav Biography In Hindi
Akhilesh Yadav Biography In Hindi: अखिलेश वर्ष 2000 में 27 वर्ष की आयु में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने थे। उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने उस समय कन्नौज और मैनपुरी दोनों जगहों से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और दोनों ही जगहों से विजयी भी रहे थे। बाद में मुलायम सिंह ने कन्नौज की सीट खाली कर दी और उपचुनाव में वहां से अखिलेश को टिकट दिया गया।
Akhilesh Yadav Biography In Hindi | अखिलेश यादव का जीवन परिचय
वास्तविक नाम: अखिलेश यादव
उपनाम: टीपू
व्यवसाय: भारतीय राजनेता
पार्टी/दल: समाजवादी पार्टी
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि: 1 जुलाई 1973
आयु (2020 के अनुसार): 47 वर्ष
जन्मस्थान: सैफई, जिला इटावा, उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीयता: भारतीय
गृहनगर: सैफई, जिला इटावा, उत्तर प्रदेश
शैक्षिक योग्यता: मास्टर डिग्री सिविल पर्यावरण इंजीनियरिंग में, मास्टर डिग्री पर्यावरण इंजीनियरिंग में
डेब्यू: वर्ष 2000 में, वह उत्तर प्रदेश के कन्नौज लोकसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में चुने गए।
परिवार
पिता - मुलायम सिंह यादव (उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री)
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति: विवाहित
विवाह तिथि: 24 नवंबर 1 999
पत्नी: डिंपल यादव, राजनीतिज्ञ
बच्चे बेटा :- अर्जुन यादव
बेटी :- अदिति यादव, टीना यादव
राजनीतिक यात्रा
- 2000: उप-चुनाव में, वह कन्नौज लोकसभा क्षेत्र से 13 वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए।
- 2004: लोकसभा चुनावों में, वह 14 वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए।
- 2009: आम चुनाव में, वह तीसरे कार्यकाल के लिए 15 वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए।
- 10 मार्च 2012: को, उन्हें समाजवादी पार्टी का नेता नियुक्त किया गया।
- 15 मार्च 2012 को, वह 38 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को ग्राम सैफई, जनपद इटावा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पिता का नाम मुलायम सिंह यादव तथा माता का नाम मालती देवी है। अखिलेश ने प्राथमिक शिक्षा इटावा के सेंट मेरी स्कूल में पूरी की। आगे की पढाई के लिए उन्हें राजस्थान में धौलपुर स्थित सैनिक स्कूल भेजा गया।
वहां से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अखिलेश ने मैसूर के एसजे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इसके बाद वे एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने ऑस्ट्रेलिया चले गए। सिडनी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई खत्म करने के बाद अखिलेश वापस आकर अपने पिता मुलायम सिंह यादव के साथ राजनीति में जुड़ गये। अखिलेश की शादी डिंपल यादव से 24 नवम्बर, 1999 को हुई। आज उनके तीन बच्चे अदिति, अर्जुन और टीना हैं। इनमें अर्जुन और टीना जुड़वां भाई-बहन हैं।
लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, अखिलेश ने अपने आपको राजनीतिज्ञ के अलावा किसान, इंजीनियर और समाजसेवी बताया है। अखिलेश वर्ष 2000 में 27 वर्ष की आयु में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने थे। उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने उस समय कन्नौज और मैनपुरी दोनों जगहों से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और दोनों ही जगहों से विजयी भी रहे थे। बाद में मुलायम सिंह ने कन्नौज की सीट खाली कर दी और उपचुनाव में वहां से अखिलेश को टिकट दिया गया।
मार्च 2012 के विधान सभा चुनाव में 224 सीटें जीतकर मात्र 38 वर्ष की आयु में ही वे उत्तर प्रदेश के 33वंक मुख्यमन्त्री बन गये। जुलाई 2012 में जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उनके कार्य की आलोचना करते हुए व्यापक सुधार का सुझाव दिया तो जनता में यह सन्देश गया कि सरकार तो उनके पिता और दोनों चाचा चला रहे हैं।
चुनाव परिणाम घोषित हुए और तेजी से बदलते घटनाक्रम में इस युवा को प्रदेश के मुख्यमंत्री का ताज पहना दिया गया। अखिलेश यादव 15 मार्च, 2012 को उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। उनके मुख्यमंत्री बनने के वक़्त एक उनके विरोधियों और छिपी चुनौतियों की एक अलग धारा बह रही थी, जिसे समझने में खुद अखिलेश नाकाम रहे। नतीजा आज प्रदेश में हो रही उथल-पुथल के रूप में सामने है।
अखिलेश कन्नौज से विजयी होकर लोकसभा पहुंचे। तब से अखिलेश 3 बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। वर्ष 2009 में अखिलेश ने भी दो जगहों कन्नौज और फिरोजाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा। वे भी दोनों जगहों से विजयी रहे। फिरोजाबाद की सीट उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल यादव के लिए खाली कर दी। लेकिन अफ़सोस कि इस बार यह रणनीति काम न आई और डिंपल फिल्म स्टार और कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर से चुनाव हार गईं।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों के लिए अखिलेश ने काफी पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए उन्होंने 6 महीनों में 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की और 800 रैलियों को संबोधित किया। उनके प्रोफेशनल नजरिये के चलते सपा ने चुनावों में ज्यादातर प्रोफेशनली क्वालिफाइड लोगों को टिकट दिया ताकि, पार्टी की पहले वाली इमेज को बदला जा सके। इसी का नतीजा था कि सपा पूर्ण बहुमत के साथ प्रदेश में सत्ता में वापस आई। इस बदलाव को परखते हुए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने भी मुख्यमंत्री के लिए अखिलेश का नाम प्रस्तावित किया, जो थोड़ी-बहुत अंदरूनी कशमकश के बाद सभी ने स्वीकार कर लिया। मंत्रिमंडल में भी अखिलेश ने नयी और पुरानी, दोनों पीढ़ियों का समावेश किया।
अखिलेश यादव हालांकि अपने पिता मुलायम सिंह की छत्र-छाया में ही शासन चला रहे हैं, लेकिन उनके कुछ फैसले उनके लिए मुसीबत का सबब भी बन गए और उनकी अपरिपक्वता को भी दर्शा गए। उन्होंने डीपी यादव जैसे दागी नेताओं को पार्टी से दूर रखने का फैसला लिया तो उनकी चारो ओर सराहना हुई, लेकिन जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो कई दागी चेहरों के शामिल हो जाने चलते उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। हाल-फिलहाल में नोएडा के एसडीएम दुर्गा शक्ति के निलंबन का मामला भी सरकार और पार्टी, दोनों के लिए गले का फांस बन चुका है।
यूपी के सीएम अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नौज से चुनी गईं देश की पहली निर्विरोध सांसद डिंपल यादव किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। 1978 में पुणे में आर्मी कर्नल एससी रावत के घर जन्मीं डिंपल की शुरुआती पढ़ाई और पालन-पोषण पुणे, भटिंडा और अंडमान निकोबार में हुआ। इंटरमीडिएट के बाद डिंपल यादव ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ह्यूमेनिटीज़ में स्नातक किया। यहीं अखिलेश यादव से उनकी मित्रता हुई। दोनों की मित्रता कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला। अखिलेश मरीन इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया से लौटे तो दोनों ने शादी कर ली। विवाह के बाद डिंपल गृहिणी बन गईं और अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में सक्रिय हो गये।
डिंपल के पिता कर्नल रावत उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के मूल निवासी हैं। वर्तमान में वहीं रह रहे हैं। डिंपल की दो बहनें हैं। कर्नल रावत के मुताबिक, शादी से पहले वह काफी बोल्ड हुआ करती थीं। अपनी बात बेबाकी से रखने वाली डिंपल कभी किसी बात को कहने में हिचकती नहीं थीं। अब शादी के बाद बेहद शांत स्वभाव की हो चुकीं डिंपल स्पोर्ट्स में काफी रुचि रखती हैं। घुड़सवारी उनको बेहद पसंद है। इसकी वजह से आज भी पहाड़ों पर जब जाने का मौका मिलता है तो घुड़सवारी ज़रूर करती हैं।