Bankim Chandra Chatterjee Biography in Hindi | बंकिमचंद्र चटर्जी का जीवन परिचय
Bankim Chandra Chatterjee Biography in Hindi | बंकिम चन्द्र चटर्जी भारत देश के एक महान लेखक, कवी और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रगीत (National Anthem) वन्दे मातरम् को सालों पहले इनके द्वारा ही लिखा गया जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था।
Bankim Chandra Chatterjee Biography in Hindi | बंकिमचंद्र चटर्जी का जीवन परिचय
- पूरा नाम बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय
- जन्म 27 जून 1838
- जन्मस्थान नईहाटी नगर
- पिता यादव चंद्रा चट्टोपाध्याय
- माता दुर्गादेबी चट्टोपाध्याय
- पत्नी राजलक्ष्मी देवी
- व्यवसाय लेखक, कवि, उपन्यासकार
- नागरिकता भारतीय
लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी (Bankim Chandra Chatterjee Biography in Hindi)
Bankim Chandra Chatterjee Biography in Hindi | बंकिम चन्द्र चटर्जी भारत देश के एक महान लेखक, कवी और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रगीत (National Anthem) वन्दे मातरम् को सालों पहले इनके द्वारा ही लिखा गया जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। बंकिम चंद्र चटर्जी भारत का राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' लिखने के के बाद प्रसिद्ध हो गया।
प्रारंभिक जीवन (Bankim Chandra Chatterjee Early Life)
लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी जन्म 27 जून 1838 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के कांठल पाड़ा नामक गाँव में हुआ था। एक रूढ़िवादी बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। लेखक बंकिमचंद्र चटर्जीबंकिमचन्द्र तीन भाइयों में सबसे छोटे थे, उनके पिता एक सरकारी अधिकारी, मिदनापुर के डिप्टी कलेक्टर बन गए थे। उनके एक भाई, संजीब चंद्र चट्टोपाध्याय भी उपन्यासकार थे।
लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी की शिक्षा (Education)
बंकिम चंद्र अपनी स्कूलिंग मिदनापुर कॉलेजिएट स्कूल से की थी, जहाँ उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। उन्होंने हुगली मोहसिन कॉलेज (बंगाली परोपकारी मुहम्मद मोहसिन द्वारा स्थापित) और बाद में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता में 1858 में कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। बाद में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में भाग लिया और जिसके बाद में उन्होंने वर्ष 1869 में लॉ की डिग्री भी हासिल की।
निजी जीवन (Bankim Chandra Chatterjee Marriage Life)
बंकिम जी कि शादी मात्र 11 वर्ष में हो गई थी, उस समय उनकी पत्नी महज 5 साल की थी। शादी के 11 साल बाद इनकी पत्नी कि मृत्यु हो गई, जब बंकिम जी 22 साल के थे। इसके बाद बंकिम चन्द्र जी ने दूसरी शादी राजलक्ष्मी देवी से की, जिसके बाद उन्हें तीन बेटियां हुई।
साहित्य क्षेत्र में करियर (Bankim Chandra Chatterjee Literature Career)
बंकिम चन्द्र जी ने सबसे पहले ईश्वर चंद्र गुप्ता के साथ प्रकाशन का काम शुरू किया था। वे इनके साप्ताहिक समाचार पत्र "संगबा प्रभाकर" में लिखा करते थे।अपने आदर्श ईश्वरचंद्र गुप्ता जी को मानते थे, उन्ही के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने भी कविता लेखन के द्वारा अपनी साहित्यिक यात्रा शुरू की।
लेकिन बाद में जब उनके अंदर लेखन की क्षमता का विकास हुआ तो उन्होंने कथा, कहानी, उपन्यास लिखने की तरफ अपना रुख किया। उनका पहला लेखन एक उपन्यास था जिसे उन्होंने एक प्रतियोगिता के लिए लिखा था। चूंकि उन्होंने प्रतियोगिता नहीं जीती और उपन्यास कभी प्रकाशित नहीं हुआ था। इसके बाद उनका बड़ा प्रकाशन 'कपालकुंडा' था। जिसे सभी ने बहुत पसंद किया और इस उपन्यास ने उन्हें एक लेखक के रूप में स्थापित किया।
1857 की क्रांति के बंकिम जी प्रत्यक्ष गवाह थे। यही सब उनके अंदर क्रांति की आग को भर रहा था। 1857 की लड़ाई के बाद भारत देश कि शासन प्रणाली पूरी तरह बदल गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी की हार के बाद, भारत देश अब ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के अंदर आ गया था। भारत के शासन पर अब इनका ही अधिकार था।
बंकिम जी उस समय सरकारी नौकरी में थे, जिस वजह से वे खुल कर अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन का हिस्सा नहीं बन सके, लेकिन अंग्रेजों के प्रति रोष, आक्रोश उनके अंदर बढ़ता ही जा रहा था। जिसे उन्होंने अपनी कलम के द्वारा सभों तक पहुँचाने का रास्ता निकाला।
1877 में बंकिम जी ने "चंद्रशेखर" नाम का उपन्यास लिखा और प्रकाशित किया था, यह उपन्यास बंकिम चन्द्र जी की बाकि रचना से अलग था।
1882 में बंकिमचन्द्र जी ने "आनंदमठ" उपन्यास लिखा था, जो एक राजनीतिक उपन्यास था। इसकी कहानी हिन्दू राष्ट्र और ब्रिटिश राज्य के इर्द गिर्द थी।
1891 में बंकिम जी ने ब्रिटिश सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने का निर्णय लिया और नौकरी छोड़ दी। बंकिमचंद्र जी ने लगभग 30 साल तक अंग्रेजों के अधीन होकर काम किया।
बंकिमचंद्र चटर्जी का उपन्यास (Bankim Chandra Chatterjee Novel) :
- कपाल कुण्डली
- मृणालिनी
- विषवृक्ष
- कृष्णकांत का वसीयत नामा
- रजनी
- चन्द्रशेखर
- आनंदमठ
राष्ट्रीय दृष्टि से 'आनंदमठ' उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी में सर्वप्रथम 'वन्दे मातरम्' गीत प्रकाशित हुआ था। ऐतिहासिक और सामाजिक तानेबाने से बुने हुए इस उपन्यास ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बहुत योगदान दिया।
लोगों ने यह समझ लिया कि विदेशी शासन से छुटकारा पाने की भावना अंग्रेज़ी भाषा या यूरोप का इतिहास पढ़ने से ही जागी। इसका प्रमुख कारण था। अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों का अपमान और उन पर तरह-तरह के अत्याचार। बंकिम के दिए 'वन्दे मातरम्' मंत्र ने देश के सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम को नई चेतना से भर दिया।
ग्रंथ संपत्ती :
कृष्ण कांतेर विल
देवी चौधुराणी
सीताराम
कमला कांतेर दप्तर
विज्ञान रहस्य
लोकरहस्य
धर्मतत्व
बंकिमचंद्र चटर्जी की मुख्य उपाधि (Bankim Chandra Chatterjee Create Vande Mataram Song)
1906 में बिपीन चंद्र पाल ने बंदीचन्द्र जी के गीत के बाद "वंदे मातरम्" के नाम से देशभक्ति पत्रिका शुरूकी थी। इनकी तरह ही लाला लाजपत राय जी ने भी इसी नाम का जर्नल प्रकाशित किया। बंकिमचंद्र जी ने वंदेमातरम् गीत को पहली बार लिखा था। इसी से रवींद्रनाथ टैगोर ने 'वंदे मातरम्' गीत लिया जो आगे 1937 में भारत का राष्ट्रीय गीत बन गया।
बंकिमचंद्र चटर्जी की मृत्यु (Bankim Chandra Chatterjee Death)
बंकिम जी की मात्र 55 साल में अपने कामकाज से सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद ही 8 अप्रैल को 1894 को बंगाल के कलकत्ता में मृत्यु हो गई थी।