Gulzarilal Nanda Biography In Hindi | गुलजारी लाल नंदा का जीवन परिचय
Gulzarilal Nanda Biography In Hindi | गुलजारी लाल नंदा एक महान राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद व् अर्थशास्त्री थे. जिन्होंने भारत की राजनीती को करीब से देखा था, साथ ही इन्होने देश के बुरे दौर में देश की कमान अपने हाथों में लेकर देश को बिखरने नहीं दिया था.
गुलजारी लाल नंदा का जीवन परिचय,जीवनी एवम इतिहास, कार्यकाल ( Gulzarilal Nanda biography and history in hindi)जाति, जन्म, मृत्यु
पूरा नाम: गुलजारीलाल नंदा
जन्म: 4 जुलाई 1898
जन्म स्थान: सियालकोट, पंजाब, पाकिस्तान
धर्म: हिन्दू
जाति: खत्री
माता: पिता ईश्वर देवी नंदा, बुलाकी राम नंदा
पत्नी: लक्ष्मी देवी
बच्चे: 2 पुत्र 1 पुत्री
मृत्यु: 15 जनवरी 1998
गुलजारी लाल नंदा जी का जन्म व् परिवार (Gulzarilal Nanda Short biography)
गुलजारी लाल नंदा एक महान राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद व् अर्थशास्त्री थे. जिन्होंने भारत की राजनीती को करीब से देखा था, साथ ही इन्होने देश के बुरे दौर में देश की कमान अपने हाथों में लेकर देश को बिखरने नहीं दिया था. गुलजारीलाल नन्दा भारत के चौथे प्रधानमंत्री थे, परन्तु जवाहरलाल नेहरूजी के बाद इनका स्थान दूसरा था (क्यूंकि जवाहरलाल नेहरु 1947 से आजादी के बाद लगातार 3 बार प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान रहे). गुलजारी लाल जी कांग्रेस पार्टी के प्रति अत्याधिक समर्पित थे.
गुलजारी लाल नंदा का जन्म कब हुआ था (When was Gulzari Lal Nanda born)
- 4 जुलाई 1898
गुलजारी लाल नंदा का इतिहास (Gulzarilal Nanda history)
गुलजारी लाल जी का जन्म पंजाब के सिलायकोट, पंजाब (पकिस्तान) में हुआ था . इनके पिता का नाम बुलाकी राम नन्दा एवम उनकी माता का नाम ईश्वर देवी नन्दा था. वे एक हिन्दू पंजाबी परिवार से थे. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा लाहौर,आगरा व् अमृतसर में हुई थी. व उच्चत्तर शिक्षा लाहौर के 'फोरमेन क्रिश्चयन कॉलेज' और इलाहबाद के विश्वविद्यालय से सम्पन्न हुई . गुलजारी लाल जी ने कला-संकाय एवम कानून शास्त्र में ग्रेजुएशन किया था. इन्होने इलाहबाद विश्वविद्यालय से रिसर्च स्कॉलर डिग्री भी प्राप्त की थी.
विभाजन के बाद इनका जन्म स्थान सीलायकोट पाकिस्तान में आने लगा. गुलजारी लाल जी का बचपन लाहौर से अमृतसर व आगरा से इलाहबाद के बीच गुजरा था. 18 साल की उम्र में ही 1916 में इन्होने लक्ष्मीदेवी से विवाह किया . वे बहुत ही सरल स्वभाव के निष्ठावान व्यक्ति थे. गुलजारी लाल जी महात्मा गांधीजी के विचारो से काफी प्रभावित थे. वे सदैव उन्ही का अनुसरण पूरी निष्ठा से करते थे. नंदा जी ने दिल से भारत की सेवा की, जिसके बदले में इन्हें कभी कुछ मांग नहीं की, उन्होंने बाकि राजनेताओं की तरह अपने पद का कभी गलत इस्तेमाल नहीं किया, प्रधानमंत्री को मिलने वाले सभी तरह के सुख से वे अपने आप को दूर रखते थे. अपने पद की गरिमा को उन्होंने बखूबी बनाये रखा था.
गुलजारी लाल जी का शुरुवाती सफ़र (Gulzari Lal Nanda Personal Life)
भारत की आजादी में इन्होने असीम योगदान दिया, यह देश के लिए सदैव समर्पित रहे. 1921 में इन्होने महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में 'असहयोग-आन्दोलन' में भाग लिया . वे बम्बई के नेशनल कॉलेज में अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे . अध्यापक के रूप में इन्हें छात्रो का बहुत स्नेह प्राप्त हुआ . 1922-1946 तक इन्होने अहमदाबाद की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में लेबर एसोसिएशन के सचिव के रूप में कार्यभार सम्भाला. इन्होने श्रमिको की समस्या को सदैव समझा एवम उनका निर्वाह किया. प्रोफेसर की अच्छी जॉब होने के बावजूद गुलजारी लाल जी ने अपना काम छोड़ आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और 1932 में 'सत्याग्रह आन्दोलन' में हिस्सा लेने के दौरान उन्हें जेल की यातना भी सहनी पड़ी. 1942 में भारत-छोडो आन्दोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जहाँ उन्हें 2 साल तक जेल में रहना पड़ा.
गुलजारी लाल जी का राजनैतिक सफ़र (Gulzari Lal Nanda Political Career)
1937-1939 में वे बॉम्बे विधानसभा के सदस्य रहे, इस समय इन्होने श्रम एवम आवास मंत्रालय सम्भाला. इसी कार्यकाल के दौरन नंदा जी ने 'श्रमिक विवाद विधेयक' को पास करवाया. उन्हें बॉम्बे हाउसिंग बोर्ड व् हिंदुस्तान मजदूर संघ का अध्यक्ष भी बनाया गया. 1947-1950 में इन्हें विधायक नियुक्त किया गया. विधायक के तौर पर इन्होने कई सराहनीय कार्य किये. 1947 में इन्होने 'इन्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन काँग्रेस' की स्थापना की. इनकी कार्य के प्रति निष्ठा को देखकर इन्हें दिल्ली बुलाया गया. इन्हें सरकार ने अहम भूमिका एवम कार्यभार दिए. आजादी के कुछ समय पश्चात् ही 1947 में 'अन्तराष्ट्रीय मजदुर सम्मलेन' में भारत के प्रतिनिधित्व के रूप में इन्हें स्वीटजरलैंड भेजा गया. श्रमिक व आवासीय व्यवस्था को करीब से जानने के लिए इन्होनें बहुत अध्ययन किया.
1950 में देश का सविधान लागु होने के बाद, वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष बनाये गये. भारत की पंच-वर्षीय योजनाओ में इनका भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ. जवाहरलाल नेहरु इनके कार्य से बहुत प्रभावित थे. नंदा जी मंत्री मंडल में केबिनेट मंत्री के पद पर रहे और 1951-1952 तक योजना मंत्रालय का कार्यभार सम्भाला. 1952-1955 तक नदी-घाटी परियोजना में अहम योगदान दिया. 1957-1967 में सिचाई एवम उर्जा विभाग को भी सम्भाला. 1963-1964 में इन्होने श्रम और रोजगार विभाग के कार्यभार का निर्वाह किया. वे प्रथम पाँच आम चुनावों में लोकसभा के सदस्य चुने गये।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री ( Gulzarilal Nanda Prime Minister Period)
गुलजारी लाल का प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल 2 बार 13-13 दिनों का रहा. भारत के सविधान के अनुसार देश के प्रधानमंत्री के पद को कभी रिक्त नहीं रखा जा सकता, किसी कारणवश अगर प्रधानमंत्री अपना पद छोड़ दें या पद में रहते हुए उनकी म्रत्यु हो जाये, तो तुरंत नए प्रधानमंत्री का चुनाव होता है. अगर ये तुरंत संभव नहीं होता है तो कार्यवाहक या अंतरिम प्रधानमंत्री को नियुक्त किया जाता है. कार्यवाहक तब तक उस पद पर कार्यरत रहता है जब तक विधि वत रूप से नए प्रधानमंत्री का चुनाव न हो जाये. 1964 में नेहरु जी की म्रत्यु के पश्चात गुलजारी लाल ही वरिश्ठ नेता था, यही वजह है की उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गया. गुलजारी जवाहरलाल के चहिते थे, दोनों साथ में लम्बे समय से काम कर रहे थे, गुलजारी लाल जी नेहरु जी के काम को अच्छे से समझते थे. 1962 में चीन से युद्ध समाप्त हुआ था, नेहरु जी की मौत के समय प्रधानमंत्री पद के उपर बहुत अधिक दबाब था, इसके बावजूद नंदा जी दे इस पद को बखूबी संभाला था.
1966 में लाल बहाद्दुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात पुन: कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गये. 1965 में पाकिस्तान के युद्ध की समाप्ति हुई थी, जिस वजह से देश एक बार फिर कठिन दौर से गुजर रहा था. लाल बहादुर शाष्त्री जी की आकस्मिक मौत के बाद गुलजारी लाल जी ने देश की गरिमा को बनाये रखा. दोनों समय अपने कार्यकाल के दौरान नंदा जी ने कोई भी बड़े निर्णय नहीं लिए थे, इस दौरान उन्होंने बहुत ही शांति व संवेदनशील होकर कार्य किया था. गुलजारी जी को संकटमोचन कहना गलत नहीं होगा.
व्यक्तित्व
गुलजारीलाल नन्दा जी एक कुशल लेखक के रूप में भी जाने जाते है, इन्होने कई अनमोल रचनाओ को जन्म दिया,उनमे से कुछ इस प्रकार हैं "सम आस्पेक्ट्स ऑफ़ खादी"," अप्रोच टू द सेकंड फ़ाइव इयर प्लान"," गुरु तेगबहादुर"," संत एंड सेवियर"," हिस्ट्री ऑफ़ एडजस्टमेंट इन द अहमदाबाद टेक्सटाल्स"," फॉर ए मौरल रिवोल्युशन" एवम"सम बेसिक कंसीड्रेशन" आदि. गुलजारी जी कभी अपने पद का दुरुपयोग नहीं करते थे, उनके नाम पर कोई भी निजी संपत्ति नहीं थी. वे अपने परिवार के साथ किराये के घर में रहते थे. इन्हें पैसों से कभी भी मोह नहो रहा. सादा जीवन उच्च विचारक नंदा जी का सिधान्त था. अपने अंतिम समय में उनके पास जीवन निर्वाह करने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे, तब भी उन्होंने अपने बेटों के सामने हाथ नहीं फैलाया. इस समय उन्होंने पहली बार अपने मित्र के कहने पर स्वतंत्रता संग्रामी को मिलने वाले 500 रुपय के लिए एप्लीकेशन साइन किया था.
गुलजारी लाल नंदा की मृत्यु कब हुई (Gulzarilal Nanda Death)
1997 में इन्हें 'भारत-रत्न' और 'पद्मविभूषण' से सुशोभित किया गया . गुलजारी लाल जी का निधन 15 जनवरी 1998 को दिल्ली में उनके निज निवास में हुआ. इन्हें 100 वर्षो की दीर्घ आयु प्राप्त हुई . सरल एवम शान्त स्वभाव के इस शक्स ने आजीवन के लिए सबके दिलो में जगह बनाई.
गुलजारी लाल नंदा का समाधि स्थल कहां है
नारायण घाट