इन्द्र कुमार गुजराल की जीवनी | I K Gujral Biography in Hindi
I K Gujral Biography in Hindi | न्द्र कुमार गुजराल (Politician Indra Kumar Gujral) भारत के एक बहुचर्चित राजनीतिज्ञ थे। वे भारत के 12 वें प्रधानमंत्री के रूप में 21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998 तक उन्होंने भारत की कमान संभाली। इंद्रा कुमार गुजराल राज्य सभा से मनोनीत होने वाले तीसरे प्रधानमंत्री थे।
इन्द्र कुमार गुजराल की जीवनी | I K Gujral Biography in Hindi
- नाम इंद्र कुमार गुजराल
- जन्म 4 दिसम्बर 1919
- जन्म स्थान झेलम, पंजाब
- माता पुष्पा गुजराल
- पिता अवतार नारायण
- पत्नी शीला गुजराल
- व्यवसाय राजनीतिज्ञ
- राजनैतिक पार्टी जनता दल
- राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिज्ञ इन्द्र कुमार गुजराल (I K Gujral Biography in Hindi) :
इन्द्र कुमार गुजराल (Politician Indra Kumar Gujral) भारत के एक बहुचर्चित राजनीतिज्ञ थे। वे भारत के 12 वें प्रधानमंत्री के रूप में 21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998 तक उन्होंने भारत की कमान संभाली। इंद्रा कुमार गुजराल राज्य सभा से मनोनीत होने वाले तीसरे प्रधानमंत्री थे। गुजराल एक महान स्वंत्रता सैनानी भी थे। इन्होने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन में संघर्ष किया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इन्हें जेल भी जाना पड़ा, परन्तु इन्होंने कभी भी अपना कदम पीछे नहीं किया।
प्रारंभिक जीवन (I K Gujral Early Life) :
आई. के. गुजराल का जन्म 4 दिसम्बर 1919 को ब्रिटिश भारत के अविभाजित भारत के झेलम में हुआ था। उनके पिता का नाम अवतार नरेन और माता का नाम पुष्पा गुजराल था। इनकी दो बहनें उमा नंदा तथा सुनीता जज थी। इनके भाई का नाम श्री सतीश गुजराल था।
निजी जिंदगी (I K Gujral Personal Life) :
आई.के. गुजराल की पत्नी का नाम शीला गुजराल था। इनके 2 पुत्र नरेश तथा राहुल थे। इनके बड़े पुत्र नरेश भी राजनीति में रूचि रखते थे तथा वे राज्य सभा में शिरोमणि अकादली दल के नेता थे।
शिक्षा (I K Gujral Education) :
गुजराल बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। उनकी शिक्षा भी उच्च ही रही। उन्होंने डी.ए.वी. कॉलेज जो, कि अब गवर्नमेंट इस्लामिन कॉलेज से प्रसिद्ध है, कॉमर्स हैली कॉलेज और फॉर्मर क्रिस्चियन कॉलेज लाहौर से अपनी पढाई पूरी की।
गुजराल कला प्रेमी तथा कला के धनि व्यक्ति थे। उन्हें कविता लिखने का शौक था। जितनी अच्छी वे हिंदी जानते थे, उतनी ही अच्छी उर्दू भी बोलते और समझते थे। वे मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी में चांसलर के पद पर भी रहे।
राजनीतिक करियर (I K Gujral Political Career) :
- राजनीतिक जीवन की शुरुआत अपने कॉलेज के दिनों से की। भारतीय स्वतंत्रता अभियान में भी उन्होंने भाग लिया था और 1942 में भारत छोडो अभियान के समय उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। वह लाहौर छात्रसंघ के सदस्य थे और संघ के अध्यक्ष भी बने। इसके साथ ही वह कम्यूनिस्ट पार्टी का हिस्सा बन गए। अपनी बेसिक शिक्षा पूरी करने तक वह कम्यूनिस्ट पार्टी कार्ड धारी सदस्य बन गए थे।
- 1958 में गुजराल नयी दिल्ली म्युनिसिपल कमिटी के उपाध्यक्ष बने और 1964 में वे कांग्रेस पार्टी में दाखिल हुए। वे इंदिरा गाँधी के काफी करीबी थे और अप्रैल 1964 में राज्य सभा के सदस्य बने। 1975 में आनी-बानी के समय, गुजराल इनफार्मेशन और ब्राडकास्टिंग के मिनिस्टर बने, भारत में सेंसरशिप के समय में वे मीडिया के इन चार्ज भी थे और दूरदर्शन भी उनके चार्ज में ही था। इसके बाद दोबारा वे राज्य सभा में चुने गये और 1976 तक सेवा की। इसके बाद उन्होंने पानी नियंत्रण मंत्री बनकर भी सेवा की।
- 1976 में इन्हे सोवियत संघ का राजदूत बनाया गया। इस पद पर उन्होंने अपनी कुशाग्र बुद्धि तथा कौशल से 1980 तक देवश की कमान संभाली। वे इस पद मोरारजी देसाई तथा चरण सिंह के कार्यकाल तक रहे।
- 1980 में गुजराल कांग्रेस पार्टी छोड़कर जनता दल में शामिल हो गए। वी.पी. सिंह के कार्यकाल में वह 1989-1990 तक विदेश मंत्री बने। इसके बाद 1996 में एच.डी. देवगोड़ा सरकार में यही जिम्मेदारी फिर निभाई।
जनता दल में प्रवेश (I K Gujral Entry into Janata Dal) :
1980 में गुजराल कांग्रेस पार्टी छोड़कर जनता दल में शामिल हो गए। 1989 के चुनाव के दौरान पंजाब के जालंधर से वे चुने गए तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार में वे विदेश मंत्री रहे। इसके बाद 1996 में एच.डी. देवगोड़ा सरकार में यही जिम्मेदारी फिर निभाई।
राजनीति के दौरान उन्हें कई आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। गल्फ युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन से गले मिलने के कारण उन्हें कई आरोप झेलने पड़े। इस बात पर उनके करीबियों का कहना था, कि पाकिस्तान में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा के मद्देनजर श्री गुजराल ने यह कदम उठाया, जिससे पाक सरकार का भारत पर विश्वास बना रहे तथा वहाँ रहने भारतीयों को कॉल नुक्सान ना पहुंचे। इसके बाद वे पंजाब की जगह 1992 में बिहार, पटना से चुनाव लड़े, जहां से वे जीते भी, परन्तु अनियमितताओं के आरोप चलते यह चुनाव रद्द हो गए।
प्रधानमंत्री बने (I K Gujral as a Prime Minister) :
1996 के चुनाव के बाद जनता दल, समाजवादी पार्टी, डीएमके, टीडीपी, एजीपी, INC, बाएं दल, तमिलनाडु कांग्रेस और महाराष्ट्रावि गोमांतक पार्टी ने मिलकर यूनाइटेड फ्रंट (UF13) बनाया। इस दौरान श्री एच.डी. देवगोड़ा प्रधानमंत्री थे। अप्रैल 1997 में देवे गौड़ा सरकार लोक सभा में 158 मत के साथ विश्वास मत हासिल करने में असफल हो गई।
इसके बाद श्री आई.के. गुजराल को सरकार का जिम्मा सौंपा। फिर कांग्रेस की सरकार आने पर उन्होंने सबसे पहली बार 21 अप्रैल 1997 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। लेकिन नवंबर 1997 में अप्रैल 1997 में कांग्रेस ने यूनाइटेड फ्रंट से अपना समर्थन हटा लिया, जिसके कारण गुजराल जी को अपनी पद से इस्तीफा देना पड़ा।
लेकिन फिर भी नई सरकार के बनने तक मार्च 1998 तक उन्होंने एक सफल नेता को दर्शाते हुए देश को सम्भाला। उनके इस छोटे से कार्यकाल में ही उन्होंने गुजराल डॉक्ट्रिन पॉलिसी पेश की, जिसने पडोसी देशों के साथ भारत के सम्बन्धों को मजबूत बनाया।
इन्द्र कुमार गुजराल एक भारतीय राजनेता थे जिन्होंने अप्रैल 1997 से मार्च 1998 तक देश के प्रधानमंत्री बने रहते हुए देश की सेवा की थी। राज्य सभा से चुने गये प्रधानमंत्रियो में गुजराल तीसरे थे, इससे पहले इंदिरा गाँधी और फिर एच.डी. देवगोड़ा को चुना गया था। गुजराल ने "मैटर्स ऑफ़ डिस्क्रेशन: एक आत्मकथा" लिखी, जिसमें उन्होंने अपनी जन्म से ले कर भारत विभाजन तथा उनके भारत आने एवं उनके राजनीतिक सफर को चित्रित किया है।
मृत्यु (I K Gujral Death) :
19 नवंबर 2012 को फेफड़ों में परेशानी के चलते उन्हें गुड़गांव, हरियाणा के मेदांता हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा। इसके बाद उन्हें कई समय तक मलमूत्र तंत्र बंद रहने की भी शिकायत हुई, जिसके कारण उनकी तबियत और बिगड़ गई। 27 नवंबर 2012 के बाद वे 3 दिन तक डायलिसिस की भी शिकायत रही।
30 नवंबर 2012 को 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी अंतिम सांसें ली। यह उनके जन्मदिन के 5 दिन पहले था। उनकी मृत्यु की सुचना तत्कालीन गृहमंत्री श्री सुशिल कुमार ने सार्वजनिक की एवं इसके बाद दोनों सदन स्थगित कर दिए गए। यह समाचार सुनने के बाद पुरे देश में शौक की लहर दौड़ गई।