Jamshedji Tata Biography in Hindi | जमशेदजी टाटा का जीवन परिचय
Jamshedji Tata Biography in Hindi | जमशेदजी टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति तथा औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया, वह अति असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
- पूरा नाम जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा
- जन्म 3 मार्च 1839
- जन्मस्थान नवसारी, गुजरात
- पिता नुसीरवानजी टाटा
- माता जीवनबाई टाटा
- पुत्र दोराबजी टाटा
- विवाह हीराबाई दबू
- व्यवसाय उद्योगपति
- राष्ट्रीयता भारतीय
भारत के उद्योगपति जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata Biography In Hindi)
Jamshedji Tata Biography in Hindi | जमशेदजी टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति तथा औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया, वह अति असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। जब सिर्फ यूरोपीय, विशेष तौर पर अंग्रेज़, ही उद्योग स्थापित करने में कुशल समझे जाते थे, जमशेदजी ने भारत में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था। टाटा साम्राज्य के संस्थापक जमशेदजी द्वारा किए गये कार्य आज भी लोगों प्रोत्साहित करते हैं। उद्योगों के साथ-साथ उन्होंने विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के लिए बेहतरीन सुविधाएँ उपलब्ध करायीं।
प्रारंभिक जीवन (Jamshedji Tata Early life)
जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को नवसारी, बड़ौदा स्टेट, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम नुसीरवानजी टाटा था। उनकी माता का नाम जीवनबाई टाटा था। जमशेद जी के यहाँ खानदानी व्यवसाय का रिवाज था, इनके पिता जी एक व्यावसायिक थे। जमशेद जी जब 14 साल ले थे तभी ये अपने पिता जी के साथ बम्बई चले आये और इन्होने व्यवसाय में अपना कदम रखा। Jamshedji Tata Biography In Hindi
शिक्षा (Education)
17 साल के होने पर जमशेदजी बम्बई के " एल्फ्रिसटन कॉलेज " में दाखिला लिया। दो साल के बाद इन्होने 1858 में ग्रीन स्कॉलर के रूप में उत्तीर्ण किया, यानी दुसरे शब्दों में इसको स्नातक भी कह सकते है।
जमशेद जी हांगकांग और शंघाई जैसे बड़े शहरो में अपने ब्रांच खोले और वही रह कर अपने व्यापार को आगे बढाया और साथ में इन्होने वही रहकर अर्थशास्त्र की पढाई भी की। अपनी पढाई पूरी करने के बाद ये पूरी तरह से अपने पिता के व्यवसाय को देखने लगे। इसके पश्चात् इनका विवाह बाई दबू के साथ हो गया।
व्यापर में शुरूआती जीवन (Jamshedji Tata Early Life in Business)
जमशेदजी टाटा का व्यापार धीरे – धीरे बढ़ रहा था और फिर इन्होने अपने व्यवसाय को देश के बाहर फैलाने के बारे में सोचा और इसी काम को पूरा करने के लिए जमशेद जी को चीन जाना पड़ा।
चीन के बाद जमशेद जी लन्दन गए वह भी इन्होने अपने व्यापार का काम शुरू किया, यहाँ इन्होंने सूती वस्त्रो का काम शुरू किया, इन्होने मैनचेस्टर नगरो की यात्रा की जोकि वस्त्रो के लिए बहुत प्रसिद्ध माना जाता। इन्होने यहाँ वस्त्रो से सम्बंधित समस्याओं का अध्यन किया।
29 वर्ष की आयु तक जमशेद जी ने अपने पिता के साथ व्यवसाय किया। 1868 में पहली बार इन्होने खुद के लिए 21000 के साथ अपना पहला बिजनेस शुरू किया। जमशेद जी सबसे पहले एक दिवालिया तेल के कारखाने को खरीदा और उसको एक रूई के कारखाने में बदल दिया और उसका नाम एलेक्जेंडर मील रखा।
दो साल के बाद जमशेदजी इस मिल को अच्छे खासे मुनाफे में बेच दिया और उसी पैसे इन्होने नागपुर में एक दूसरी रुई की मिल खरीदी और इसका नाम इम्प्रेस्स मिल रखा। इम्प्रेस्स का अर्थ होता है महारानी। उस समय महारानी विक्टोरिया ने भारत की रानी का ख़िताब जीता था उसी से प्रेरित होकर इन्होने अपने कंपनी का नाम इम्प्रेस्स मिल रख दिया।
जमशेद जी भारत के एक महान व्यापारी थे, इन्होने इस्पात कारखानों की स्थापना की योजना बनाई। इन्होने ऐसे जगहों पर अपना कारखाना खोला जहाँ उनको कोयला और पानी की सुविधा मिल सके। जमशेद जी ने बिहार के जंगलो में सिंहभूमि जिले के वह स्थान खोज निकली। इन्होने उसके अलावा पश्चिमी घाटो पर बिजली उत्पन करने के लिए एक विशाल उधोग की नीव डाली।
सेंट्रल इंडियन स्पिनिंग एंड कम्पनी का निर्माण (Jamshedji Tata Construction of Central Indian Spinning and Company)
जमशेदजी टाटा ने पूरी आंखें और दिमाग खोलकर यहां का दौरा किया और कपड़े का व्यापार के गुप्त भेद समझे। उनके समझ आ गया कि कपड़ा मिल ऐसी जगह खोलनी चाहिए जहां आस-पास कपास की खेती होती हो।
जमशेदजी टाटा ने भी काफी सोच विचारकर नागपुर को चुना। यहां जो कम्पनी खोली उसका नाम "सेंट्रल इंडियन स्पिनिंग एंड कम्पनी" पड़ा और 1 जनवरी 1877 को मिल शुरू हो गयी। कई कठिनाइयां आयी लेकिन जमीनें खरीदी गईं और इमारतें खड़ी कर दी गईं। पूर्व जीआईपी रेलवे ट्रैफिक मैनेजर सरवेजनजी दादा भाई को जमशेदजी ने इम्प्रेस मिल का मैनेजर बनाया। काम अच्छा चलने लगा। बाजार पकड़ में आ गया मगर इसके बाद भी काम सीखने के लिए टाटा जापान गए और नए विचार लेकर बम्बई लौटे।
ताज होटल का निर्माण (Jamshedji Tata Build of Taj Hotel)
भारत का प्रसिद्ध ताज होटल केवल मुंबई में ही नही बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। ताज होटल के बनने के पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी छुपी हुई है। बात उन दिनों की है जब भारत आजाद नही हुआ था और सिनेमा घरो की शुरुआत हुई थी और पहली फिल्म मुंबई में लगी हुई थी, जिस होटल में फिल्मे लगी हुई थी उस होटल का नाम वाटसन होटल था।
वहां केवल ब्रिटिशो को ही आमंत्रित किया गया था और उस होटल के बाहर एक बोर्ड भी लगा हुआ था जिसमे लिखा हुआ था "भारतीय और कुत्ते अंदर नही आ सकते है"। चूकी भारत में फिल्मे पहली बार लगी थी इसीलिए जमशेद जी भी देखना चाहते थे लेकिन उनको प्रवेश नही मिला सका।
शायद ये बात का जमशेद जी को बहुत बुरा लगा और उन्होंने दो साल के अन्दर ही वाटसन होटल को की सुन्दरता को पीछे छोड़ते हुए 1903 में ताज होटल का निर्माण करवा दिया। ताज होटल के बाहर एक बोर्ड लगवाया उसमे लिखा था "अंग्रेज और बिल्लियाँ अंदर नही जा सकते"। ये इमारत बिजली की रोशनी वाली पहली इमारत थी। आज भी ताज होटल की तुलना संसार के सबसे सर्वश्रेष्ट होटलों में किया जाता है।
टाटा का लौह उद्योग (Jamshedji Tata Steel Industry)
जमशेदजी टाटा सोचते थे कि किस तरह भारत में लौहे का काम शुरू किया जाए। टाटा ने अपने खर्च पर विशेषज्ञों से सर्वे कराया। उन्हें पता चला कि मोरभंज में लोहा निकलने की सम्भावना है। इसके बाद जमशेद जी ने काम शुरू कर दियां मोरभंज रियासत ने सहायता का वादा किया। बंगाल नागपुर रेलवे ने किराया कम करने का आश्वासन दिया। और भारत सरकार ने हर साल 20 हजार टन माल खरीदने की जिम्मेदारी ली।
टाटा का बिजली उत्पादन (Jamshedji Tata Power Generation)
जमशेदजी ने जो भी कारोबार शुरू किए, वो देशहित में थे। कपड़ा मिल और लौह उद्योग के बाद उन्होंने पानी से बिजली बनाने का विचार पैदा किया। कई इंजीनियरों के साथ बिजली उत्पादन प्लांट की रूपरेखा तैयार की। उनके जीते-जी तो बिजली पैदा नहीं हो सकी लेकिन जिस विचार की नींव उन्होंने पैदा की थी उसे उनके पुत्रों ने पूरा किया।
1911 में इस इमारत की नींव पड़ी और इस काम के लिए 2 करोड़ रूपये इकट्ठे किए गए। इस काम में देशी रजवाड़ों ने भी मदद की। उनके पुत्र दोराबजी टाटा ने इस काम को आगे बढ़ाया। Jamshedji Tata Biography In Hindi
मृत्यु (Jamshedji Tata Death)
1903 के अंत में जमशेदजी बीमार पड़ गए। मार्च 1904 में उनकी पत्नी हीराबाई दबू का देहांत हो गया। इसके कुछ ही दिनों बाद भारतीय उद्योग के पितामह जमशेदजी टाटा का 13 मई 1904 में जर्मनी के एक शहर में देहांत हो गया। हालांकि आज उनकी टाटा कंपनी रतन टाटा संभाल रहे हैं।