Mannu Bhandari Biography in Hindi | मन्नू भंडारी का जीवन परिचय
Mannu Bhandari Biography in Hindi | मन्नू भंडारी जन्म: 3 अप्रॅल, 1931 हिंदी की आधुनिक कहानीकार और उपन्यासकार हैं। मध्य प्रदेश के भानपुरा नगर में 1931 में जन्मी मन्नू भंडारी को श्रेष्ठ लेखिका होने का गौरव हासिल है। मन्नू भंडारी ने कहानी और उपन्यास दोनों विधाओं में कलम चलाई है।
Mannu Bhandari Biography in Hindi | मन्नू भंडारी का जीवन परिचय
- नाम: मन्नू भंडारी
- जन्म: 3 अप्रेल, 1931
- जन्म स्थान: भानपुरा नगर, मध्य प्रदेश
- पिता: सुखसम्पत राय भंडारी
- पति: राजेंद्र यादव
- व्यवसाय: लेखक
- रचनाएँ: पटकथा- रजनीगंधा, निर्मला आदि
- पुरस्कार: उपाधि व्यास सम्मान (2008)
- नागरिकता: भारतीय
Mannu Bhandari Biography in Hindi | मन्नू भंडारी जन्म: 3 अप्रॅल, 1931 हिंदी की आधुनिक कहानीकार और उपन्यासकार हैं। मध्य प्रदेश के भानपुरा नगर में 1931 में जन्मी मन्नू भंडारी को श्रेष्ठ लेखिका होने का गौरव हासिल है। मन्नू भंडारी ने कहानी और उपन्यास दोनों विधाओं में कलम चलाई है। राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास 'एक इंच मुस्कान' पढ़े-लिखे और आधुनिकता पसंद लोगों की दुखभरी प्रेमगाथा है। विवाह टूटने की त्रासदी में घुट रहे एक बच्चे को केंद्रीय विषय बनाकर लिखे गए उनके उपन्यास 'आपका बंटी' को हिंदी के सफलतम उपन्यासों की कतार में रखा जाता है। आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उकेरने वाले उनके उपन्यास 'महाभोज' पर आधारित नाटक खूब लोकप्रिय हुआ था। इनकी 'यही सच है' कृति पर आधारित 'रजनीगंधा फ़िल्म' ने बॉक्स ऑफिस पर खूब धूम मचाई थी।
मन्नू भंडारी एक भारतीय लेखक है जो विशेषतः 1950 से 1960 के बीच अपने अपने कार्यो के लिए जानी जाती थी। सबसे ज्यादा वह अपने दो उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थी। पहला आपका बंटी और दूसरा महाभोज। नयी कहानी अभियान और हिंदी साहित्यिक अभियान के समय में लेखक निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीषम साहनी, कमलेश्वर इत्यादि ने उन्हें अभियान की सबसे प्रसिद्ध लेखिका बताया था।
1950 में भारत को आज़ादी मिले कुछ ही साल हुए थे, और उस समय भारत सामाजिक बदलाव जैसी समस्याओ से जूझ रहा था। इसीलिए इसी समय लोग नयी कहानी अभियान के चलते अपनी-अपनी राय देने लगे थे, जिनमे भंडारी भी शामिल थी। उनके लेख हमेशा लैंगिक असमानता और वर्गीय असमानता और आर्थिक असमानता पर आधारित होते थे।
मन्नू भंडारी एक भारतीय लेखक है जो विशेषतः 1950 से 1960 के बीच अपने कार्यो के लिए जानी जाती थी। सबसे ज्यादा वह अपने दो उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थी, पहला आपका बंटी और दूसरा महाभोज। नयी कहानी अभियान और हिंदी साहित्यिक अभियान के समय में लेखक निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीषम साहनी, कमलेश्वर इत्यादि ने उन्हं अभियान की सबसे प्रसिद्ध लेखिका बताया था।
1950 में भारत को आज़ादी मिले कुछ ही साल हुए थे, और उस समय भारत सामाजिक बदलाव जैसी समस्याओ से जूझ रहा था। इसीलिए इसी समय लोग नयी कहानी अभियान के चलते अपनी-अपनी राय देने लगे थे, जिनमे भंडारी भी शामिल थी। उनके लेख हमेशा लैंगिक असमानता और वर्गीय असमानता और आर्थिक असमानता पर आधारित होते थे।
नाटक `बिना दीवारों का घर' (१९६६) विवाह विच्छेद की त्रासदी में पिस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका उपन्यास `आपका बंटी' (१९७१) हिन्दी के सफलतम उपन्यासों में गिना जाता है। लेखक और पति राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास `एक इंच मुस्कान' (१९६२) पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है जिसका एक एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा था।
मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास `महाभोज' (१९७९) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। इसी प्रकार 'यही सच है' पर आधारित 'रजनीगंधा' नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको १९७४ की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था इसके अतिरिक्त उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, व्यास सम्मान और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।
भारतीय लेखक मन्नू भंडारी (Mannu Bhandari Biography in Hindi)
मन्नू भंडारी एक भारतीय लेखक है जो विशेषतः 1950 से 1960 के बीच अपने कार्यो के लिए जानी जाती थी। सबसे ज्यादा वह अपने दो उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थी। पहला आपका बंटी और दूसरा महाभोज। नयी कहानी अभियान और हिंदी साहित्यिक अभियान के समय में लेखक निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीषम साहनी, कमलेश्वर इत्यादि ने उन्हें अभियान की सबसे प्रसिद्ध लेखिका बताया था।
प्रारंभिक जीवन (Mannu Bhandari Early Life)
मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को मध्यप्रदेश के भानपुरा में हुआ था और राजस्थान में वे बड़े हुए, जहाँ उनके पिता सुखसम्पत राय भंडारी एक स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और पहली इंग्लिश टू हिंदी और इंग्लिश टू मराठी डिक्शनरी के निर्माता भी थे। अपने माता-पिता की पाँच संतानों में से भंडारी सबसे छोटी थी। वे दो भाई और तीन बहने थी।
शिक्षा और शादी (Mannu Bhandari Education And Marriage)
मन्नू भंडारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर से पूरी की, कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुए और फिर हिंदी भाषा और साहित्य में एम.ए. की डिग्री हासिल करने के लिए वे हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी गयी। भंडारी हिन्दू लेखक राजेन्द्र यादव की पत्नी थी।
व्यावसायिक करियर (Mannu Bhandari Professional Career)
उन्होंने हिंदी प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुवात की थी। 1952-1961 तक उन्होंने कोलकाता बालीगंज शिक्षण सदन में, 1961-1965 तक कोलकाता रानी बिरला कॉलेज में, 1964-1991 तक मिरांडा हाउस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थी और फिर 1992-1994 तक वे विक्रम यूनिवर्सिटी की उज्जैन प्रेमचंद सृजनपीठ में डायरेक्टर थी।
साहित्यिक करियर (Mannu Bhandari Literary Career)
आज़ादी के बाद भारत के मुख्य लेखिकाओ में से एक थी। जो 1950 से 1960 के बीच अपने अपने कार्यो के लिए जानी जाती थी। सबसे ज्यादा वह अपने दो उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थी। पहला आपका बंटी और दूसरा महाभोज। नयी कहानी अभियान और हिंदी साहित्यिक अभियान के समय में लेखक निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीषम साहनी, कमलेश्वर इत्यादि ने उन्हें अभियान की सबसे प्रसिद्ध लेखिका बताया था।
1950 में भारत को आज़ादी मिले कुछ ही साल हुए थे, और उस समय भारत सामाजिक बदलाव जैसी समस्याओ से जूझ रहा था। इसीलिए इसी समय लोग नयी कहानी अभियान के चलते अपनी-अपनी राय देने लगे थे, जिनमे भंडारी भी शामिल थी। उनके लेख हमेशा लैंगिक असमानता और वर्गीय असमानता और आर्थिक असमानता पर आधारित होते थे।
नाटक "बिना दीवारों का घर" (1966) विवाह विच्छेद की त्रासदी में पिस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका उपन्यास "आपका बंटी" (1971) हिन्दी के सफलतम उपन्यासों में गिना जाता है। लेखक और पति राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास "एक इंच मुस्कान" (1962) पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है जिसका एक एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा था।
मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास "महाभोज" (1979) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था।
इसी प्रकार "यही सच है" पर आधारित "रजनीगंधा" नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था इसके अतिरिक्त उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, व्यास सम्मान और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।
सम्मान (Mannu Bhandari Honor)
2008 में भंडारी को के.के.बिरला फाउंडेशन की तरफ से उनकी आत्मकथा एक कहानी यह भी के लिए "व्यास सम्मान" से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड हर साल हिंदी साहित्य में अतुलनीय उपलब्धियाँ प्राप्त करने वाले इंसानों को दिया जाता है।
मन्नू भंडारी के मुख्य रचनाएँ (Compositions of Mannu Bhandari)
कहानी-संग्रह (Story of Mannu Bhandari)
- एक प्लेट सैलाब
- मैं हार गई
- तीन निगाहों की एक तस्वीर
- यही सच है
- त्रिशंकु
- श्रेष्ठ कहानियाँ
- आँखों देखा झूठ
- नायक खलनायक विदूषक
उपन्यास (The Novel of Mannu Bhandari)
- आपका बंटी
- महाभोज
- स्वामी
- एक इंच मुस्कान
- कलवा
फ़िल्म पटकथाएँ (Movie Scripts of Mannu Bhandari)
- रजनीगंधा
- निर्मला
- स्वामी
- दर्पण
नाटक (Drama of Mannu Bhandari)
- बिना दीवारों का घर (1966)
- महाभोज का नाट्य रूपान्तरण (1983)
आत्मकथा (Autobiography of Mannu Bhandari)
- एक कहानी यह भी (2007)
- प्रौढ़ शिक्षा के लिए: सवा सेर गेहूं (1993)
आप का बंटी फिल्म अनुकूलन के विषय में विवाद
भंडारी ने अपने दूसरे उपन्यास 'आप का बंटी' के अधिकार बेच दिए और बाद में धर्मेंद्र गोयल द्वारा बनाई गई फिल्म के लिए और बाद में सिसिर मिश्रा द्वारा निर्देशित फिल्म के लिए अनुकूलित किया गया। इस फिल्म, समी की धारा, ने शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा, टीना मुनीम और विनोद मेहरा की भूमिका निभाई। भंडारी ने बाद में फिल्म निर्माता काले विकास पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड को मुकदमा दायर किया कि इस अनुकूलन ने उनके उपन्यास को विकृत कर दिया और इसके परिणामस्वरूप भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1 9 57 की धारा 57 का उल्लंघन किया। इस मामले में निर्णय, मनु कृष्णा बनाम कला विकास मोशन पिक्चर्स लिमिटेड भारतीय कॉपीराइट कानून में एक ऐतिहासिक निर्णय है जो भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत लेखक के नैतिक अधिकारों के दायरे को स्पष्ट करता है। न्यायालय भंडारी के पक्ष में था, लेकिन वह और निर्माता अंततः अदालत के बाहर एक समझौते पर पहुंचे।
प्रकाशित कृतियाँ
- कहानी-संग्रह :- एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, श्रेष्ठ कहानियाँ, आँखों देखा झूठ, नायक खलनायक विदूषक।
- उपन्यास :- आपका बंटी, महाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्कान और कलवा, एक कहानी यह भी।
- पटकथाएँ :- रजनी, निर्मला, स्वामी, दर्पण।
- नाटक :- बिना दीवारों का घर।
पुरस्कार
- महाभाज 1980-1981 के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान)
- भारतीय भाषा परिषद (भारतीय भाषा परिषद), कोलकाता, 1 9 82
- काला-कुंज सन्मान (पुरस्कार), नई दिल्ली, 1 9 82
- भारतीय संस्कृत संसद कथा समरोह (भारतीय संस्कृत कथा कथा), कोलकाता, 1 9 83
- बिहार राज्य भाषा परिषद (बिहार राज्य भाषा परिषद), 1991
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, 2001- 02
- महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी (महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी), 2004
- हिंदी अकादमी, दिलीली शालका सन्मैन, 2006- 07
- मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन (मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन), भवभूति अलंकरण, 2006- 07
- के.के. बिड़ला फाउंडेशन ने उन्हें अपने काम के लिए 18 वें व्यास सम्मान के साथ प्रस्तुत किया, एह कहानी यहे भी, एक आत्मकथात्मक उपन्यास