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Mayawati Biography in hindi | मायावती की जीवनी हिंदी में

Mayawati Biography in hindi | मायावती एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ हैं और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमन्त्री रह चुकी हैं। वे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष हैं। उन्हें भारत की सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री के साथ-साथ सबसे प्रथम दलित मुख्यमंत्री भी होने का श्रेय प्राप्त है।

Mayawati Biography, news, education, net worth in Hindi
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Mayawati Biography, news, education, net worth in Hindi

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  1. पूरा नाम (Full Name) मायावती प्रभु दास
  2. अन्य नाम (Nickname) बेहन जी, कुमारी मायावती, आयरन लेडी मायावती
  3. पेशा (Profession) भारतीय राजनीतिज्ञ
  4. राजनीतिक पार्टी (Political Party) बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी)
  5. जन्म (Birthdate) 15 जनवरी, 1956
  6. उम्र (Age) 61 साल
  7. जन्म स्थान (Birth Place) श्रीमती सुचेता कृपलानी हॉस्पिटल, नई दिल्ली, भारत
  8. राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय
  9. गृहनगर (Hometown) बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तरप्रदेश, भारत
  10. धर्म (Religion) हिन्दू
  11. जाति (Caste) अनुसूचित जाति (एससी)
  12. वैवाहिक स्थिति (Marital Status) अविवाहित
  13. नेट वर्थ (Net Worth) 111 करोड़ (सन 2012 में)
  14. पसंद (Hobbies) पढ़ना एवं लिखना
  15. पसंदीदा राजनेता (Favourite Politician) कांशी राम
  16. राशि (Zodiac Sign) मकर राशि
  17. कद (Height) 5 फुट 2 इंच
  18. वजन (Weight) 80 किलोग्राम
  19. बालों का रंग (Hair Colour) काला
  20. आँखों का रंग (Eye Colour) काला

मायावती के परिवार की जानकारी (Family Details of Kumari Mayawati)

  • पिता का नाम (Father's Name) प्रभु दास
  • माता का नाम (Mother's Name) राम रती
  • भाई का नाम (Brother's Name) आनंद कुमार

मायावती एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ हैं और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमन्त्री रह चुकी हैं। वे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष हैं। उन्हें भारत की सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री के साथ-साथ सबसे प्रथम दलित मुख्यमंत्री भी होने का श्रेय प्राप्त है। वे चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उन्होंने सत्ता के साथ-साथ आनेवाली कठिनाइओं का सामना भी किया है।

उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक स्कूल शिक्षिका के रूप में की थी लेकिन कांशी राम की विचारधारा और कर्मठता से प्रभावित होकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। उनका राजनैतिक इतिहास काफी सफल रहा और 2003 में उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव हारने के बावजूद उन्होने सन 2007 में फिर से सत्ता में वापसी की। अपने समर्थको में बहन जी के नाम से मशहूर मायावती 13 मई 2007 को चौथी बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमन्त्री बनीं और पूरे पाँच वर्ष शासन के पश्चात सन 2012 का चुनाव अपनी प्रमुख प्रतिद्विन्द्वी समाजवादी पार्टी से हार गयीं।

मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 में दिल्ली में एक दलित परिवार के घर पर हुआ। पिता प्रभु दयाल जी भारतीय डाक-तार विभाग के वरिष्ठ लिपिक के पद से सेवा निवृत्त हुए। उनकी माता रामरती अनपढ़ महिला थीं परन्तु उन्होंने अपने सभी बच्चों की शिक्षा में रुचि ली और सबको योग्य भी बनाया। मायावती के 6 भाई और 2 बहनें हैं।

इनका पैतृक गाँव बादलपुर है जो उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित है। बीए करने के बाद उन्होंने दिल्ली के कालिन्दी कॉलेज से एलएलबी किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने बीएड भी किया। अपने करियर की शुरुआत दिल्ली के एक स्कूल में एक शिक्षिका के रूप में की। उसी दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेस की तैयारी भी की। वे अविवाहित हैं और अपने समर्थकों में 'बहनजी' के नाम से जानी जाती हैं।

मायावती सफल राजनेत्री के रूप में अपनी एक ख़ास पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने अपनी मजबूत छवि का निर्माण अपनी योग्यता और वैयक्तिक विशेषताओं के बल पर किया है। वे एक आत्म-निर्भर महिला हैं। उनके व्यक्तित्व में आत्म-विश्वास और दृढ़ता कूट-कूट कर भरी है। काम के प्रति बेहद सजग रहने वाली मायावती अपने अफ़सरों की लापरवाही के लिए कठोर व सख्त भी बन जाती हैं।

सन 1984 तक मायावती ने बतौर शिक्षिका काम किया। वे कांशी राम के कार्य और साहस से काफी प्रभावित थी। 1984 में जब कांशी राम ने एक नए राजनैतिक दल 'बहुजन समाज पार्टी' का गठन किया तो मायावती शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर पार्टी की पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता बन गयीं। उसी साल उन्होंने मुज्ज़फरनगर जिले की कैराना लोक सभा सीट से अपना पहला चुनाव अभियान आरंभ किया। सन 1985 और 19 87 में भी उन्होने लोक सभा चुनाव में कड़ी मेहनत की। आख़िरकार सन 1989 में उनके दल 'बहुजन समाज पार्टी' ने 13 सीटो पर चुनाव जीता।

धीरे-धीरे पार्टी की पैठ दलितों और पिछड़े वर्ग में बढती गयी और सन 1995 में वे उत्तर प्रदेश की गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री बनायी गयीं। सन 2001 में पार्टी के संस्थापक कांशी राम ने मायावती को दल के अध्यक्ष के रूप में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 2002-2003 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में मायावती फिर से मुख्यमंत्री चुनी गई। इस के पश्चात बीजेपी ने सरकार से अपना समर्थन वापिस ले लिया और मायावती सरकार गिर गयी। इसके बाद मुलायम सिंह यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया।

सन 2007 के विधान सभा चुनाव के बाद मायावती फिर से सत्ता में लौट आई और भारत के सबसे बड़े राज्य की कमान संभाली। मायावती के शासनकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के बाहर बसपा का विस्तार नहीं हो पाया क्योंकी उनके निरंकुश शासन के चलते ज्यादातर पिछड़े वर्ग के लोगों ने उनसे मुंह मोड़ लिया।

मायावती अपने शासनकाल में कई विवादों और घोटालों के आरोपों में जरूर रही हों पर उनका राजनितिक अभ्युदय सचमुच अध्भुत रहा है।एक सामान्य परिवार से आई दलित महिला ने ऐसा मक़ाम हासिल किया जैसा इस देश के इतिहास में कम ही महिलाओं ने किया है। विवादों की परवाह किए बिना, मायावती के समर्थको ने हर बार उनका साथ दिया औउर अपनी वफादारी साबित की है। मायावती ने दलितों के दिल में अपनी खुद की जगह बनाई है और दलितों में अपने प्रति विश्वास कायम किया है।

अपने राजनीतिक गुरु, सचेतक और बसपा के संस्थापक मान्यवर कांशीराम जी के गुजरने के बाद मायावती को झटका लगा. लेकिन तब तक वे परिपक्व हो चुकी थीं. एक वक्त ऐसा भी आया जब कई बड़े नामों ने बसपा का साथ छोड़ दिया. इनमें बसपा को कई साल देने वाले सलेमपुर के पूर्व सांसद बब्बन राजभर हो, बलिया से ही कांशीराम के साथी पूर्व सांसद बलिहारी बाबू हो, इलाहबाद से इंडियन जस्टिस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कालीचरण सोनकर हो या फिर आजमगढ़ के सगड़ी के नेता मल्लिक मसूद तमाम लोग पार्टी से अलग हो गए.

इसमें से कई आज कांग्रेस की शोभा बढ़ा रहे है. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी रहें तो 'बहन जी' के पीछे साए की तरह खड़े रहें. इनमें कांशीराम के सेक्रेट्री अम्बेथ राजन व पार्टी के बिहार प्रभारी गांधी आज़ाद जैसे प्रतिबद्ध दलित कार्यकर्ता हैं. अम्बेथ राजन का संगठन कांशीराम व अन्य दलितों को दिल्ली में मूलभूत सुविधाएं देता था. आज भी वे उसी प्रकार की सेवाएं बसपा का खजांची बन कर दे रहे हैं.

गेस्ट हाउस कांड

यूपी की राजनीति में 2 जून 1995 का दिन स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में जाना जाता है. दरअसल कांशीराम की अगुवाई वाली पार्टी बसपा से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 में गठबंधन करके राजनीति की नई इबारत लिखी थी. दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन पर लड़कर सत्ता की सीढ़ियां तो चढ़ीं, लेकिन दो साल बाद ही इस रिश्ते में ऐसी दरार पड़ी कि जिसने यूपी की सियासत बदल दी.

आपसी खींचतान के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया. इससे मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई. इससे नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने सांसद, विधायकों के नेतृत्व में लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव कर शुरू कर दिया, घंटों ड्रामा चला. बाद में भाजपा के कुछ नेताओं के हस्तक्षेप और मामला राजभवन पहुंचने पर पुलिस सक्रिय हुई और किसी तरह मायावती को बचाया.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बसपा सुप्रीमो मायावती गेस्ट हाउस के कमरा नंबर- 1 में रुकी हुईं थीं. उनके साथ बसपा विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद थे. इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा के लोगों से मारपीट कर उन्हें बंधक बना लिया.

मायावती ने खुद को बचाने के लिए कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. इस बीच सपा के दबंग विधायक एक-एक कर बसपा के विधायकों को उठाकर अगवा करने लगे. गेस्ट हाउस के बाहर खड़े फोटोग्राफरों ने इस पूरे हंगामे को सिलसिलेवार तरीके से कैमरे में कैद किया और बाद में सीबीसीआईडी ने इसे बतौर सुबूत इस्तेमाल किया इस कांड में हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए. इस मामले की तफ्तीश सीबीसीआईडी को दी गई और सीबीसीआईडी ने अरोपपत्र अदालत में दाखिल किया.सरकारें आती और जाती रहीं. स्टेट गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा चलता रहा. मौजूदा वक्त में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.

मायावती से जुड़े विवादों (Mayawati Controversies)

ताज कॉरिडोर केस :- सन 2002 में, केन्द्रीय जाँच ब्यूरो ने ताज हेरिटेज कॉरिडोर से सम्बंधित प्रोजेक्ट में वित्तीय अनियमितताओं के शक के अधार पर कुछ अन्य लोगों के साथ मायावती के घर पर भी छापा मारा था. फिर जून सन 2007 में, तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने घोषणा की, कि मायावती के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था. जिसके चलते सुप्रीमकोर्ट ने भी इस मामले में सीबीआई की याचिका ख़ारिज कर दी. और मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश देने के लिए भी असहमति जताई.

डिसप्रोपॉर्शनेट संपत्ति का केस :- सीबीआई ने मायावती के खिलाफ आय के औपचारिक स्त्रोतों के साथ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में मामला दर्ज किया. इस पर मायावती का कहना था, कि यह उनकी आय का हिस्सा नहीं है, बल्कि उनके समर्थकों का प्यार है, जो उन्हें गिफ्ट्स देते रहते है. फिर सन 2011 को केंद्र सरकार ने मायावती के खिलाफ दायर अपील को ख़ारिज कर दिया. इसके बाद सन 2012 में इस मामले को रद्द कर दिया गया. किन्तु इसके एक साल बाद तक सीबीआई इसकी जाँच करती रहीं, थोड़े सी बाद यह केस बंद हुआ.

आलोचनाएँ :- मायावती जी की अब तक कई मामलों में आलोचनाएँ की जा चुकी हैं. जैसे एक बार मायावती ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान बौद्ध, हिन्दू धर्म एवं दलितों की कई प्रतिमाएं स्थापित कराई, जिसमें वे खुद भी शामिल थी. कर – दाताओं का पैसा बर्बाद करने के लिए इनकी काफी आलोचना हुई. इसके अलावा वर्ल्ड बैंक फण्ड की अव्यवस्था के लिए भी वे आलोचनाओं का शिकार हुई. एक बार उन्हें विकीलीक्स के आरोप का भी सामना करना पड़ा था.

मूर्ती पर पैसे खर्च :- हालही में यानि मार्च 2019 में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने मायावती से हाथी की मूर्ती और साथ ही खुद की मूर्ती पर खर्च होने वाले पैसे का स्पष्टीकरण भी मांगा था.

2019 आम चुनाव में :- अप्रैल 2019 में भारत के चुनाव आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती पर 48 घंटे का प्रतिबन्ध लगा दिया था. दरअसल आयोग को यह पता चला था, कि मायावती चुनाव के दौरान धर्म के आधार पर वोट की अपील कर रही थीं.

उपलब्धियाँ

सत्ता में आने के बाद से ही मायावती ने अनियमितताओं को समाप्त करने का प्रयत्न किया। शिकायत थी कि कई विभागों में होने वाली भर्तियों में धाँधली की गई है। मायावती ने संस्थानों में होने वाली भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए भी कड़े प्रयत्न किए। उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक सुधारों की सूची में गैर दलित वर्गों के लोगों के उत्थान के साथ निम्न और दलित वर्गों के लोगों को आरक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में दलित वर्ग के लोगों के लिए सीट आरक्षित हैं।

पुस्तकें

मायावती के ऊपर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहला नाम 'आयरन लेडी कुमारी मायावती' का है। इस पुस्तक के लेखक पत्रकार मोहम्मद जमील अख़्तर हैं। मायावती ने स्वयं हिन्दी में 'मेरा संघर्षमयी जीवन' और 'बहुजन मूवमेंट का सफ़रनामा' तीन भागों में लिखा है। ये दोनों ही पुस्तकें काफ़ी चर्चित रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार अजय बोस द्वारा लिखी गयी 'बहनजी: अ पॉलिटिकल बायोग्राफ़ी ऑफ़ मायावती', मायावती से संबंधित अब तक की सर्वाधिक प्रशंसनीय पुस्तक है।

टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)

  1. 1956: दिल्ली में जन्म
  2. 1977: शिक्षिका के रूप में करियर की शुरुआत
  3. 1984: शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर बसपा में प्रवेश और अपने पहले लोक सभा चुनाव अभियान का प्रारंभ
  4. 1989: लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 13 सीटों पर जीत हासिल की
  5. 1995: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई
  6. 1997: दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई
  7. 2001: कांशी राम की उत्तराधिकारी घोषित की गई
  8. 2002: एक बार फ़िर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी
  9. 2007: चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री नियुक्त हुयीं
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