Napoleon Bonaparte Biography in Hindi | नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन परिचय
Napoleon Bonaparte Biography in Hindi | दुनिया के सबसे महान और विजयी सेनापतियों में से एक नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस के एक महान बादशाह थे। जिन्होंने हारना कभी सीखा ही नहीं था, उनके पिता कार्लो बोनापोर्ट, फ्रांस के राजा के दरबार में कोर्सिका द्दीप से प्रतिनिधि थे।
Napoleon Bonaparte Biography in Hindi | नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन परिचय
- पूरा नाम नेपोलियोनि दि बोनापार्टे
- जन्म 15 अगस्त 1769
- जन्मस्थान अज़ाशियो
- पिता कार्लो बोनापार्ट
- माता लेटीजिए रमोलिनो
- पत्नी मेरी लुईस
- पुत्र चार्ल्स ल्योन
- व्यवसाय राजनीतिज्ञ, सेनापति
- नागरिकता फ्रेंच, वेनिस
महान बादशाह नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte Biography in Hindi)
Napoleon Bonaparte Biography in Hindi | दुनिया के सबसे महान और विजयी सेनापतियों में से एक नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस के एक महान बादशाह थे। जिन्होंने हारना कभी सीखा ही नहीं था, उनके पिता कार्लो बोनापोर्ट, फ्रांस के राजा के दरबार में कोर्सिका द्दीप से प्रतिनिधि थे। उन्होंने अपने मजबूत इरादे और अटूट दृढ़ संकल्पों के साथ दुनिया के एक बड़े हिस्से पर अपना दबदबा कायम कर विश्व को अपनी ताकत और बहादुरी का परिचय करवाया था।
प्रारंभिक जीवन (Napoleon Bonaparte Early Life)
नेपोलियन बोनापोर्ट का जन्म 15 अगस्त, 1769 में फ्रांस के कोर्सिका द्धीप के अजैक्सियों में एक सुख-समृद्ध परिवार में हुआ था। उसके पिता चार्ल्स बोनापार्ट एक चिरकालीन कुलीन परिवार के थे। उनका वंश कार्सिका के समीपस्थ इटली के टस्कनी प्रदेश से संभूत बताया जाता है। चार्ल्स बोनापार्ट फ्रेंच दरबार में कार्सिका का प्रतिनिधित्व करते थे। उनकी माता का नाम लीतिशिया रेमॉलिनो था। वे अत्यन्त साहसी, विदुषी महिला थी।
शिक्षा (Napoleon Bonaparte Education)
नेपोलियन बोनापोर्ट ने पेरिस के एक कॉलेज से 1785 में अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की, और फिर रेजीमेंट तोपखाने में उसे सबलेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्त किया गया।
शादी (Napoleon Bonaparte Marriage)
नेपोलियन बोनापोर्ट ने जोसेफीन से शादी की थी। लेकिन इनसे कोई संतान नहीं होने के चलते, उन्होंने मैरी लुईस के साथ अपनी दूसरी शादी की और फिर नेपोलियन के पिता बनने की चाहत भी पूरी हुई, और उन्हें एक बेटा हुआ। जिसका नाम चार्ल्स ल्योन रखा गया।
करियर (Napoleon Bonaparte Career)
1786 में नेपोलियन बोनापार्ट कोर्सिका आ गए, इसके 3 साल बाद 1789 में फ्रांस की लोकतांत्रिक क्रांति हो गई, इस विद्रोह का मकसद फ्रांस की राजशाही को पूरी तरह खत्म कर लोकतंत्र की स्थापना करना था, वहीं फ्रांस के विद्रोह 1799 तक चला। फ्रांस के विद्रोह के समय वे फिर से फ्रांस आ गए, जहां उनकी सैन्य प्रतिभा को देखते हुए, उन्हें विद्रोही सेना की एक टुकड़ी का कमांडर बना दिया।
जब इंग्लैंड की सेना से फ्रांस के टाउलुन शहर पर कब्जा कर लिया, तो नेपोलियन को अंग्रेजों को बाहर निकालकर जीतने की जिम्मेदारी दी गई, जिसके बाद उन्होंने अपने अद्भुत युद्द कौशल और अदम्य सैन्य प्रतिभा का प्रदर्शन कर वहां से अंग्रेजों को खदेड़ दिया, और जीत हासिल की।
उनकी इस अद्भुत जीत से फ्रांस के कई बड़े राजा बेहद प्रभावित हुए और महज 24 साल के नेपोलियन को बिग्रेडियर जनरल बना दिया गया। वहीं इसके बाद नेपोलियन इटली में विजय हासिल कर वहां के बादशाह बन गए, जिससे उनके शौहरत और प्रसिद्दि और भी अधिक बढ़ गई।
1799 में जब फ्रांस की राजधानी पेरिस के हालात बेहद बिगड़ गए थे। ऐसे वक्त में नेपोलियन बोनापार्ट ने अपनी रणनीतिक कौशल से वहां एक नई सरकार की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने फ्रांस की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के साथ वहां कई बड़े परिवर्तन किए साथ ही शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया।
लोगों को उनके अधिकार दिलवाए यहीं नहीं उन्होंने फ्रांस की एक ताकतवर सेना भी तैयार की। जिससे उनकी लोकप्रियता लोगों की बीच और अधिक बढ़ गई। 1804 में उन्होंने फ्रांस में अमन कायम करने के लिए खुद को वहां का सम्राट घोषित किया।
1805 में नेपोलियन ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई जीती, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और रुस की विशाल सेनाओं को अपने रणनीतिक कौशल से पराजित कर दिया। इस विद्रोह में नेपोलियन ने दुश्मन के करीब 26 हजार सैनिकों को मार गिराकर अपनी बहादुरी का परिचय दिया था।
वाटरलू का युद्ध (Napoleon Bonaparte Battle of Waterloo)
19वीं शताब्दी के शुरुआत में यूरोप के आधे से ज्यादा हिस्सों में राज करने वाला फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट को उसके देश से ही देश निकाला कर दिया गया था। और एल्बा द्वीप भेज दिया गया था। 1815 मे नेपोलियन ने 70 हजार सैनिकों के साथ नीदरलैंड्स पर हमला करने का निर्णय़ लिया था। लेकिन इस बीच नेपोलियन के खिलाफ विद्रोह की हवा चलने लगी थी। नेपोलियन के सपनों को चंकना चूर करने वाला एक गठबंधन तैयार हो रहा था।
बेल्जियम, ब्रिटिश, जर्मन और डच सेनाओं की इस गठबंधन वाली सेना का नेतृत्व उस समय वेलिंग्टन के ड्यूक और मार्शल गेभार्ड वॉन ब्लूचर ने किया था। गठंबधन वाली सेना और नेपोलियन की सेना के बीच वाटरलू की लड़ाई करीब दस घंटे चली। बारिश के कारण जमीन गीली थी इसलिए नेपोलियन के सैनिक लड़ने में कमजोर होने लगे और युद्ध में उसे घोर पराजय का सामना करते हुए इंग्लैण्ड के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा, जिसके फलस्वरूप उसे सेंटहेलेना द्वीप में भेज दिया गया।
नेपोलियन बोनापोर्ट के अनमोल विचार (Napoleon Bonaparte Precious Thoughts)
- अनजानी राहोँ पर वीर ही आगे बढ़ा करते हैं, कायर तो परिचित राह पर ही तलवार चमकाते हैं।
- अवसर के बिना काबिलियत कुछ भी नहीं है।
- जो अत्याचार पसंद नहीं करते, उनमे से कई ऐसे होते हैं, जो अत्याचारी होते हैं।
- संविधान छोटा और अस्पष्ट होना चाहिए।
- शेर द्वारा संचालित भेड़ों की सेना भेड़ द्वारा संचालित शेरो की सेना से हमेशा जीतेगी।
- साहस, प्यार के समान है दोनों को आशा रूपी पोषण आवशयकता होती है।
- एक लीडर आशा का व्यापारी होता है।
- जितनी मुझे फ्रांस की ज़रुरत नहीं है, उससे ज्यदा फ्रांस को मेरी ज़रुरत है।
- पिरामिडों की इन ऊंचाइयों से चालीस सदियाँ हमे देख रही है।
- जिसे जीत लिए जाने का भय होता है। उसकी हार निश्चित होती है।
- धर्म आम लोगों को शांत रखने का एक उत्कृष्ट साधन है।
- सम्पन्नता धन के कब्जे मैं नहीं उसके उपयोग में है।
मृत्यु (Napoleon Bonaparte Death)
हालांकि नेपोलियन बोनापार्ट की मौत को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। अधिकांश मानते हैं कि उसकी मौत पेट के कैंसर की वजह से हुई थी। हालांकि कुछ मानते हैं कि 'वॉटरलू की लड़ाई' में हार जाने के बाद नेपोलियन को 1821 में 'सेन्ट हैलेना द्वीप' निर्वासित कर दिया गया था, जहाँ 52 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई।