Sucheta Kriplani Biography in Hindi | सुचेता कृपलानी का जीवन परिचय
Sucheta Kriplani Biography in Hindi | सुचेता कृपलानी Sucheta Kriplani (First Woman Chief Minister of India) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिग्य थीं। एक लेक्चरर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली सुचेता बाद में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं जो भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं।
Sucheta Kriplani Biography in Hindi | सुचेता कृपलानी का जीवन परिचय
- नाम सुचेता कृपलानी
- जन्म 25 जून, 1908
- जन्मस्थान अम्बाला
- पिता एस.एन. मजूमदार
- पति जे.बी कृपलानी
- शिक्षा उच्च शिक्षा
- व्यवसाय पूर्व मुख्यमंत्री
- नागरिकता भारतीय, ब्रिटिश राज
प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी (Sucheta Kriplani Biography in Hindi)
Sucheta Kriplani Biography in Hindi | सुचेता कृपलानी Sucheta Kriplani (First Woman Chief Minister of India) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिग्य थीं। एक लेक्चरर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली सुचेता बाद में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं जो भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं।
प्रारंभिक जीवन (Sucheta Kriplani Early Life)
सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को भारत के हरियाणा राज्य के अम्बाला शहर में एक बंगाली परिवार में में हुआ। उनके पिता एस.एन. मजूमदार राष्ट्रिय आन्दोलन के समर्थक थे। सुचेता कृपलानी अपने पिता के जीवन से काफी प्रभावित थी। इस लिए उन्होंने स्वातंत्र्य सेना में शामिल होने का सोचा।
शिक्षा और शादी (Sucheta Kriplani Education and Marriage)
उनकी शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई। सुचेता कृपलानी ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और सेंट स्टीफन कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद सुचेता बनारस हिंदु यूनिवर्सिटी में लेक्चरार बनीं गयीं। बाद में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य नेता आचार्य कृपलानी से शादी कर ली। दोनों ने परिवारों ने उनकी शादी का विरोध किया था क्योंकि आचार्य खुद को गाँधी बताते थे।
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (Sucheta Kriplani Contribution to Freedom Movement)
राष्ट्रीयता और खादी के परिवेश में पलकर स्वाधीन भारत के सपने वे बचपन से ही देखने लगी थी। 1939 से राजनीति में कूद पड़ी, बाढ़ पीडितो की सेवा, भूकम्प पीडितो के लिए राहत कार्य, फिर विभाजन के बाद शरणार्थी पुनर्वास, महिला संस्थाए, कांग्रेस संघठन, श्रमिक संघ सभी उनके कार्यक्षेत्र बनते गये।
1939 तक उन्होंने सामने न आकर गुप्त रूप से कार्य किया, फिर कांग्रेस में शामिल हो स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगी। 1940 और 1944 में दो बार जेल भी गयी।
वह अरुणा आसफ अली और ऊषा मेहता के साथ आजादी के आंदोलन में शामिल हुई। सुचेता कृपलानी ने भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान दिया और नोआखली में महात्मा गांधी के साथ दंगा पीडित इलाकों में गांधी जी के साथ चलते हुए पीड़ित महिलाओं की मदद की।
1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के समय अग्रणी युवा उत्साही कार्यकताओ में उनका नाम लिया जाता था। कुछ समय भूमिगत रहकर उन्होंने कांग्रेस सेवा दल और महिला कार्यकर्ता टोलियों के प्रशिक्षण का भार सम्भाला, फिर गिरफ्तार कर जेल भेज दी गयी। जेल से छूटने के बाद तो वे कभी जनता की आँखों से ओझल हुयी ही नही।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब सभी दिग्गज नेता अंग्रेजों की गिरफ्त में आए तब, सुचेता कृपलानी ने अपनी बुद्दिमत्ता का परिचय देते हुए भूमिगत होकर इस आंदोलन को आगे बढ़ाया और करीब 2 साल तक इस आंदोलन को चलाया। यही नहीं सुचेता जी ने अंडरग्राउंड वालंटियर फोर्स भी बनाई और इस दौरान महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दी। इसके अलावा सुचेता कृपलानी जी कैदियों के परिवार की सहायता की भी जिम्मेदारी बखूबी निभाती रहीं।
राजनीतिक जीवन (Sucheta Kriplani Politacal Life)
1941-42 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महिला विभाग में, विदेश विभाग में, 1945 में कस्तूरबा ट्रस्ट के संगठन मंत्री पद पर उनकी नियुक्ती हुयी। 1946 में केन्द्रीय संविधान सभा की सदस्या रहने के बाद 1950-52 में संसद की अस्थायी सदस्य रही।
1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा अधिवेशन में भारतीय प्रतिनिधि मंडल की सदस्या थी, तो 1954 में टर्की भेजे गये संसदीय प्रतिनिधि मंडल की और 1961 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघठन के सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधि मंडल में थी। इसी तरह 1956 में राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित "एशियाई महिलाओं की नागरिक जिम्मेदारियाँ" सम्मेलन में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी उन्होंने ही किया था, क्योंकि तब तक महिलाओं के रचनात्मक क्षेत्र में वे काफी काम कर चुकी थी।
कांग्रेस कार्यकारिणी में उन्होंने 1948-51 में सदस्यता के नाते तथा 1958-60 में महामंत्री के नाते काम किया। बीच में 1951 में कांग्रेस से त्याग पत्र देकर वे किसान-मजदूर प्रजा पार्टी में शामिल हो गयी थी और 1952 और 1957 के चुनावों में लोकसभा के लिए प्रजा समाजवादी पार्टी से ही निर्वाचित हुयी थी। इसके बाद फिर से कांग्रेस में शामिल हो गई।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री (Sucheta Kriplani Chief Minister of UP)
1962 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा में आयी। 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री चुनी गईं। सुचेता दिल की कोमल तो थीं, लेकिन प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिल की नहीं, दिमाग की सुनती थीं। उनके मुख्यमंत्री काल के दौरान राज्य के कर्मचारियों ने लगातार 62 दिनों तक हड़ताल जारी रखी, लेकिन वह कर्मचारी नेताओं से सुलह को तभी तैयार हुईं, जब उनके रुख़ में नरमी आई।
5 साल तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने के बाद वह वापस केंद्र में पहुंची। चौथी लोकसभा में उत्तर प्रदेश के गोंडा से वह सांसद चुनीं गयीं। 1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था।
मृत्यु (Sucheta Kriplani Death)
67 वर्ष की आयु में 1 दिसंबर, 1974 को उनका निधन हो गया। अपने शोक संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा कि "सुचेता जी ऐसे दुर्लभ साहस और चरित्र की महिला थीं, जिनसे भारतीय महिलाओं को सम्मान मिलता है।"