डॉ. अशोक चक्रधर (कवि) का जीवन परिचय | Dr. Ashok Chakradhar (Writer) Biography In Hindi
भारतीय हिंदी साहित्य में डॉ अशोक चक्रधर एक महान लेखक एवं कवि के रूप में जाने जाते है. डॉ अशोक बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे है, ये लेखक, हास्य कवि, धारावाहिक लेखक, कलाकार , वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, टेलीफ़िल्म लेखक, निर्देशक एवं अभिनेता रहे हैं.
डॉ. अशोक चक्रधर (कवि) का जीवन परिचय |
Dr. Ashok Chakradhar (Writer) Biography, Education, Age, Poem, Family, Award, In Hindi
भारतीय हिंदी साहित्य में डॉ अशोक चक्रधर एक महान लेखक एवं कवि के रूप में जाने जाते है. डॉ अशोक बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे है; ये लेखक, हास्य कवि, धारावाहिक लेखक, कलाकार , वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, टेलीफ़िल्म लेखक, निर्देशक एवं अभिनेता रहे हैं. ऐसी विशिष्ट प्रतिभा के व्यक्ति बहुत कम ही होते है. इन्होंने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है. अशोक चक्रधर ने कवि के रूप मे अपनी सबसे पहली कविता 1960 में देश के रक्षामंत्री 'कृष्णा मेनन' को सुनाई और उन्हें इस कविता पर काफी सराहा गया.
डॉ. अशोक चक्रधर (कवि) का जीवन परिचय | Ashok Chakradhar (Writer) Biography In Hindi
अशोक चक्रधर का जन्म 8 फ़रवरी 1951 में खु्र्जा, उत्तर प्रदेश में एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ. उनका परिवार संयुक्त परिवार था. उनके पिता संयुक्त परिवार में भाइयो में छोटे थे. बचपन से अशोक ने संयुक्त परिवार में बड़ों के दबदबे के कारण, पिता की लाचारियों और माँ की मजबूरियों को महसूस किया. उन्होंने यह सब छोटी उम्र में महसूस किया जिससे वह अपनी उम्र से ज़्यादा परिपक्व हो गये. उनका परिवार अहिरपाड़ा मोहल्ले में रहता था. इस मोहल्ले में निम्नमध्यवर्गीय और अत्यंत निम्नवर्गीय लोग रहते थे; जिसके कारण उन्होंने बचपन से ही निम्न वर्ग और निम्नमध्ययम वर्ग के परिवारों के संकटों को महसूस किया.
डॉ. अशोक चक्रधर (कवि) का जीवन परिचय | Ashok Chakradhar (Writer) Biography In Hindi
नाम (Name) डॉ. अशोक चक्रधर
जन्म (Date of Birth) 08/02/1951
आयु 69 वर्ष
जन्म स्थान (Birth Place) खु्र्जा, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम (Father Name) डॉ. राधेश्याम 'प्रगल्भ',
पत्नी का नाम (Wife Name) बागेश्री चक्रधर
पेशा (Occupation ) प्रोफेसर, लेखक, हास्य कवि, फ़िल्म एवं धारावाहिक लेखक व निर्माता, अभिनेता
बच्चे (Children) अनुराग, स्नेहा
अवार्ड (Award) पद्म श्री, हास्य-रत्न उपाधि, बाल साहित्य पुरस्कार, आउटस्टैंडिंग परसन अवार्ड, निरालाश्री पुरस्कार, शान-ए-हिन्द अवार्ड
डॉ. अशोक चक्रधर के पिता श्री राधेश्याम 'प्रगल्भ' इंटर कॉलेज में अध्यापक थे और इसके साथ वे एक प्रतिष्ठित कवि एवं बाल साहित्यकार भी थे. लेकिन उन्होंने अपने जीवन में आर्थिक संकटों का सामना किया जिसके परिणाम स्वरूप उनका परिवार अपने गांव से हाथरस आ गया. यहां वे एक बाल कला केंद्र की देख रेख करबे लगे. यहाँ पर अशोक रामलीला में अभिनय करने लगे. परन्तु यहां ओर भी उनके पिताजी को वेतन नही मिलने जे कारण उनका परिवार मथुरा आ गया और मथुरा में प्रिटिंग प्रेस शुरू किया. जो अच्छा चल निकला.
शिक्षा
अशोक चक्रधर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय प्राइमरी पाठशाला में प्राप्त की इस समय शिक्षा के साथ उन्होंने अनेक संस्कृति कार्यक्रमो में भाग लिया. वे कक्षा छः से ही कविता लिखने लग गए थे. उन्होंने ने बी.ए. की डिग्री मथुरा से ली. फिर उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से सर्वाधिक अंको के साथ एम.ए. की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.लिट्. एवं हिंदी में पी एच डी की.
डॉ. अशोक चक्रधर का कार्यक्षेत्र
अशोक चक्रधर का कार्यक्षेत्र मथुरा से प्रारंभ हुआ. 1968 में जब मथुरा में आकाशवाणी केन्द्र खुला तब श्री चक्रधर उसके प्रथम ऑडिशंड आर्टिस्ट के रूप में चुने गए. इसके साथ ही उन्होंने अपनी एम.ए. की शिक्षा भी जारी रखी. इसके बाद नवम्बर, 1972 में अशोक चक्रधर दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में प्रध्यापक पद पर नियुक्त किए गये. लेकिन 1973 में विश्वविद्यालयो में धांधली एवं पाठ्यक्रम में सुधार हेतु अध्यापकों की हड़ताल में ये भी शामिल हो गए. जिसके कारण इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. अब 2 वर्ष बेरोजगारी में बीतने के साथ ही अथक प्रयासों द्वारा 1975 में मैकमिलन से उनकी पुस्तक 'मुक्तिबोध की काव्य प्रक्रिया' प्रकाशित हुई. जोधपुर विश्वविद्यालय ने इस पुस्तक को युवा लेखन द्वारा लिखी गई वर्ष की 'सर्वश्रेष्ठ पुस्तक' का पुरस्कार दिया. 1975 में ही डॉ अशोक चक्रधर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में नौकरी भी लग गई. नौकरी मिलते ही श्री चक्रधर अपने पूरे परिवार को दिल्ली ले आए.
फ़िल्म और अभिनय
अशोक चक्रधर ने फ़िल्म लेखन, निर्देशन और अभिनय भी किया है. चक्रधर काका हाथरसी के दामाद थे. इन्होंने फ़िल्म जमुना किनारे (ब्रजभाषा) का लेखन, काका हाथरसी प्रोडक्शंस, 1983 के अंतर्गत किया और श्री चक्रधर ने डीडी-1 के धारावाहिक बोल बसंतो तथा सोनी चैनल के धारावाहिक छोटी सी आशा में अभिनय भी किया. डॉ अशोक चक्रधर ने निम्नांकित विधाओ में कार्य किया है-
टेलीफिल्म्स में लेखन एवं निर्देशन–
- 'जीत गई छन्नो'
- 'मास्टर दीपचंद'
- 'झूमे बाला झूमे बाली'
- 'गुलाबड़ी'
- 'हाय मुसद्दी'
- 'तीन नज़ारे'
- 'बिटिया'.
वृत्तचित्र में लेखन एवं निर्देशन
- 'विकास की लकीरें'
- 'पंगु गिरि लंघै'
- 'गोरा हट जा'
- 'हर बच्चा हो कक्षा पांच'
- 'इस ओर है छतेरा'
- 'बहू भी बेटी होती है'
- 'जंगल की लय ताल'
- 'साड़ियों में लिपटी सदियां' आदि
धारावाहिक लेखन एवं प्रस्तुति
- 'कहकहे'
- 'परदा उठता है'
- 'वंश'
- 'अलबेला सुरमेला'
- 'फुलझड़ी एक्सप्रैस'
- 'बात इसलिए बताई'
- 'पोल टॉप टैन'
- 'न्यूज़ी काउंट डाउन'
- 'चुनाव-चालीसा'
- 'वाह-वाह'
- 'चुनाव चकल्लस'
- 'बजट व्यंग्य'
- 'चलो आओ चक्रधर चमन में'
- 'भोर तरंग'
- 'ढाई अखबार'
- 'बोल बसंतो'.
पुस्तकें एवं कविता संग्रह | Ashok Chakradhar Books and Poem
सो तो है, चक्रधर चमन में, ए जी सुनिये, तमाशा, भोले भाले चक्रधर, जब रहा ना कोई चारा, रंग जमा लो, जामे क्या टपके, चुनी चुनाई, चुटकुले, हंसो और मर जाओ, जो करे सो जोकर, चम्पू कोई बयान नही देगा, कुछ कर ना चम्पू, बूढ़े बच्चे, देश धन्या पंच कन्या, इसलिये बौड़म जी इसलिये, खिड़कियाँ, बोल-गप्पे, मसलाराम. इसके अलावा भी अनेक पुस्तकें अशोक जी द्वारा लिखी गई है तथा अनेक लिखी भी जा रहीं है.
कवि अशोक चक्रधर की भ्र्ष्टाचार पर कविता की कुछ पंक्तियां–
कुछ तुले, कुछ अनतुले भ्रष्टाचारी,
कुछ कुख्यात निलंबित अधिकारी,
जूरी के सदस्य बनाए गए,
मोटी रकम देकर बुलाए गए…मुर्ग तंदूरी, शराब अंगूरी,
और विलास की सारी चीज़ें जरूरी,
जुटाई गईं,
और निर्णायक मंडल,
यानि कि जूरी को दिलाई गईं…
एक हाथ से मुर्गे की टांग चबाते हुए,
और दूसरे से चाबी का छल्ला घुमाते हुए,
जूरी का एक सदस्य बोला –
मिस्टर भोला,
यू नो,
हम ऐसे करेंगे या वैसे करेंगे,
बट बाइ द वे,
भ्रष्टाचार नापने का पैमाना क्या है,
हम फैसला कैसे करेंगे…?
"सिपाही और कविता" के कुछ अंश–
दरवाजा पीटा किसी ने सबेरे-सबेरे
मैं चीखा; भाई मेरे;
घंटी लगी है, बटन दबाओ
मुक्केबाजी का अभ्यास मत दिखाओ;
दरवाज खोला तो सिपाही था
हमारे दिमाग के लिए तबाही था
सुबह-सुबह देखी खाकी वर्दी
तो लगने लगी सर्दी
मैंने पूछा; कैसे पधारे?
वो बोला; आपको देख लिया है.
आपको देख लिया है
इसलिए रोजाना आयेंगे आपके दुआरे
सुनकर पसीने आ गए
खोपड़ी पर भयानक काले बादल छा गए
मैंने कहा; क्या?
रोजाना आयेंगे
यानि आप मुझे किसी झूठे केस में फसायेंगे
उसने कहा; ;नहीं-नहीं, अशोक जी ऐसा मत सोचिये
आप पहले पसीना पोछिये
मैं करतार सिंह, पुलिस में हवालदार हूँ
लेकिन मूलतः एक कलाकार हूँ
मुझे सही रास्ता दिखा दें
मैं आपका शिष्य बनना चाहता हूँ
मुझे कविता लिखना सिखा दें
पुरुस्कार एवं सम्मान:-
- वर्ष 2014 में साहित्य एवं शिक्षा में "पद्म श्री'
- इसके अतिरिक्त अशोक चक्रधर को देश विदेश में अनेकोनेक सम्मान एवं पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है.