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योगी सरकार का फैसला, मदरसों में चलेगा NCERT का कोर्स; अंग्रेजी-हिंदी में होगी पढ़ाई
BY Jan Shakti Bureau23 May 2018 7:37 PM IST
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Jan Shakti Bureau24 May 2018 1:11 AM IST
लखनऊ। मदरसों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लगातार अभियान चला रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला किया है। अब मदरसों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीइआरटी) की पाठ्य पुस्तकें पढ़ाई जाएंगी। इनमें उर्दू के अलावा हिंदी और अंग्रेजी भाषा भी अनिवार्य होगी। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसके अलावा कैबिनेट ने एटा और मीर्जापुर में मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए जमीन देने का फैसला किया है।
11 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक में 11 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी मिली। राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पत्रकारों को फैसलों की जानकारी दी। श्रीकांत शर्मा ने बताया कि कैबिनेट ने उप्र अशासकीय अरबी फारसी मदरसा मान्यता प्रशासन व सेवा नियमावली 2016 में संशोधन प्र्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह संशोधन प्रस्ताव राज्य मदरसा बोर्ड ने दिया था। बोर्ड ने पारंपरिक शिक्षा पद्धति को बदलते हुए मदरसों को आधुनिक बनाने की दिशा में प्रयास किया है।
सरकार की इच्छा है कि मदरसों में शिक्षा के स्तर में सुधार हो। इसलिए अब सूबे के मदरसों में दीनियत के अलावा पाठ्यक्रम में एनसीइआरटी की किताबें शामिल होंगी। मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, कंप्यूटर और सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम के लिए यह जरूरी था कि हिंदी और अंग्रेजी भाषा में इनकी किताबें उपलब्ध कराई जाएं। पहले उर्दू, अरबी और फारसी में मदरसों की कक्षाएं चलती थीं। सरकार की इच्छा है कि सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा मिले। सरकार ने मदरसों के संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए वेब पोर्टल भी बनाया है।
मेडिकल कालेज के लिए दी जमीन
मेडिकल कालेज स्थापित किए जाने की केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रदेश में आठ मेडिकल कॉलेज बनने हैं। राज्य सरकार ने एटा और मीरजापुर में मेडिकल कालेज बनाने का फैसला किया है। इसके लिए मंगलवार को जमीन उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। प्रवक्ता ने बताया कि जिला अस्पतालों को मेडिकल कालेज में तब्दील करने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें हैं। मसलन इनके लिए जिला अस्पताल में दो सौ बेड और 20 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि कालेजों की स्थापना के लिए पिछड़ा और असेवित जिलों का चयन किया जा रहा है। तीन संसदीय क्षेत्रों के बीच एक मेडिकल कॉलेज बनाना है।
इन मेडिकल कॉलेजों में अस्पताल और प्रशासनिक भवन का निर्माण होना है। एटा में मेडिकल कॉलेज के लिए जिला अस्पताल के पास इतनी जमीन उपलब्ध न होने से वहां गांधी स्मारक इंटर कालेज से 16.44 एकड़ जमीन लेने का प्रस्ताव था। इसे मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा मीर्जापुर में कृषि विभाग से 21.185 एकड़ जमीन ली गई है। यह जमीन निर्धारित मानक से ज्यादा ली गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि उप्र में चिकित्सकों की कमी है। मेडिकल कॉलेज की स्थापना के साथ चिकित्सकों की भी कमी दूर होगी।
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