करोड़ों का सूट बनाम किराए का मकान, नमन है आपकी ईमानदारी को गुलज़ारी लाल नंदा जी!
BY Jan Shakti Bureau4 July 2018 8:47 PM IST
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Jan Shakti Bureau5 July 2018 2:31 AM IST
वर्तमान में सत्ता और सादगी का कोई मेल नहीं है. मौजूदा पीएम जहाँ करोड़ों का सूट पहनने के लिए विख्यात हैं, वही बात जब गुलजारीलाल नंदा की हो तो सादगी का सही अर्थ समझ आता है. आज नेता और भ्रष्टाचार का अटूट रिश्ता है लेकिन नंदा एक ऐसे नेता थे जिन्होंने दो बार कार्यवाहक पीएम रहने के बावजूद कभी अपने पद का दुरूपयोग नहीं किया. ईमानदारी का आलम यह था कि उनके नाम पर कोई भी निजी संपत्ति नहीं थी. सरकार में बड़े-बड़े पद संभालने के बावजूद वह हमेशा किराए के घर में रहे. पूरी जिंदगी उन्हें पैसों का मोह नहीं रहा. यही वजह रही कि अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में उन्हें पैसों की अच्छी-खासी तंगी से जूझना पड़ा. आलम यह था कि अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए उनके पैसे कम पड़ जाते थे.
महात्मा गांधी के साथ 1921 में असहयोग आंदोलन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले गुलजारीलाल नंदा ने मुश्किल वक्त में बाहरवालों के सामने तो क्या कभी अपने बेटों के सामने भी हाथ नहीं फैलाया. उनके दो बेटे थे जिनके नाम नरिंदर नंदा और महाराज कृषेण नंदा थे. पैसों की बहुत तंगी देखकर उनके एक दोस्त ने उन्हें स्वतंत्रता सेनानी को मिलने वाले पेंशन के लिए अप्लाई करने को कहा. अपने दोस्त शीलभद्र याजी के बहुत जोर देने पर गुलजारीलाल नंदा ने 500 रुपए के भत्ते के लिए अपने आखिरी दिनों में पहली बार आवेदन किया.
गुलजारीलाल की जिंदगी से किसी के लिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि भ्रष्टाचार से उनका कितनी दूर का नाता है. उन्होंने ना कभी भ्रष्टाचार किया और ना पद-प्रतिष्ठा की लालच में कभी भ्रष्टाचार सहा. 1978 में साप्ताहिक पत्रिका रविवार से बातचीत में उन्होंने खुद कहा था, 'मैंने एक बड़े कांग्रेसी नेता को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेज दिया. इससे काफी लोग नाराज हो गए और साजिश करके मुझे गृह मंत्रालय से हटवा दिया. भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए पहले नेताओं को अपना व्यवहार सुधारना होगा.'
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गुलजारीलाल नंदा इंदिरा गांधी के पीएम रहते हुए गृहमंत्री थे. वह 19 अगस्त 1963 से लेकर 14 नवंबर 1966 तक देश के गृहमंत्री थे. ऐसा नहीं था कि नंदा भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी यूटोपिया की उम्मीद कर रहे थे. यह बात खुद उन्होंने कही भी है. इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगाने के बाद जब चुनाव हुआ तो जनता पार्टी की सरकार बनी. केंद्र में मोरारजी देसाई पीएम थे. तब गुलजारीलाल नंदा ने कहा था कि जनता पार्टी के लोग अपनी संपत्ति की घोषणा करने की बात कई बार कह चुके हैं लेकिन ऐसा किया नहीं है. उन्होंने कहा था, 'भ्रष्टाचार दाल में नमक के बराबर हो तो चल जाता है. लेकिन यहां दाल ही पूरी भ्रष्टाचार से भरी है.'
गुलजारी लाल नंदा को एकबार नहीं बल्कि दो-दो बार पीएम बनने का मौका मिला. दोनों ही बार वो 13-13 दिन के लिए कार्यवाहक बने लेकिन कभी भी उन्हें लालकिला के प्राचीर से झंडा फहराने का मौका नहीं मिला. नंदा पहली बार 27 मई से 9 जून 1964 और दूसरी बार 11 से 24 जनवरी 1966 तक पीएम पद पर रहे. वह पहली बार जवाहरलाल नेहरू और दूसरी बार लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने.
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